रांची: केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकारों को आरबीआई से लोन लेने की सलाह पर झारखंड सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है. राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि केंद्र के इस प्रस्ताव पर झारखंड तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में ही यह बात सामने आई थी कि रिजर्व बैंक से राज्य सरकारों को लोन दिया जाएगा, लोन का मकसद कोविड-19 की वजह से बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था को ठीक करना है. उन्होंने कहा कि केंद्र ने इस बाबत पत्र भी भेजा है, जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि लोन की मूल राशि केंद्र सरकार भरेगी, जबकि सूद राज्य सरकारों को भरना होगा.
राज्य सरकार का दावा जब है बकाया तो लोन की बात सही नहीं
मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि इस तरह का प्रस्ताव झारखंड सरकार मानने को तैयार नहीं है, राज्य सरकार का टैक्स लगाने का पावर केंद्र ने सीज कर लिया और राज्य सरकार ने भी सरेंडर कर दिया है, ऐसे में अब केंद्र सरकार के ऊपर है कि वह अपनी जिम्मेदारी निभाए. दरअसल राज्य सरकार का दावा है कि जीएसटी शेयर के हिसाब से उसके 2500 करोड़ रुपए फिलहाल केंद्र सरकार के पास बकाया के रूप में है. इसके अलावा केंद्र के अलग-अलग उपक्रमों के ओर से उपयोग की जा रही झारखंड की जमीन के एवज में लगभग 45000 करोड़ रुपया भी केंद्र पर बकाया है. ऐसे में राज्य सरकार अपने हक की मांग कर रही है. इन परिस्थितियों में केंद्र का लोन दिए जाने का प्रस्ताव सही नहीं है.
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स्किल्ड मजदूर जा रहे हैं वापस, राज्य सरकार ने की है बात
मंत्री ने कहा कि राज्य से मजदूर पलायन नहीं कर रहे हैं, दरअसल उनके लायक यहां कोई काम नहीं है, अलग-अलग सेक्टर में काम करने वाले उन मजदूरों को उनके अनुसार काम मिल रहा है, इसलिये वह वापस जा रहे हैं, यहां की सरकार ने उन राज्यों की सरकार से इस बाबत बात की है और उन मजदूरों को पर्याप्त सुविधा दिए जाने को भी कहा है, साथ ही कंपनियों से भी राज्य सरकार ने संपर्क कर यहां से जा रहे मजदूरों को पर्याप्त सुविधा देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि उन मजदूरों के बच्चों के लिए शिक्षक और स्वास्थ्य की सुविधा देने की भी मांग की है.