रांची: झारखंड में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए राज्य सरकार ने सरकारी डॉक्टरों की सेवानिवृति की उम्र सीमा को 65 वर्ष से बढ़ाकर 67 वर्ष कर दिया है. इसे लेकर झारखंड के डॉक्टर (Government doctors of Jharkhand) खुश नहीं हैं. डॉक्टरों का कहना है कि राज्य में चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए सरकार स्थायी व्यवस्था करे, एमबीबीएस की सीट बढ़ाए ताकि डॉक्टरों की कमी न हो. राज्य के सरकारी डॉक्टरों का कहना है कि हर दो साल पर सेवानिवृति की उम्र सीमा (Retirement Age) बढ़ा देना डॉक्टरों की कमी दूर करने का कोई स्थायी रास्ता नहीं है.
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'सेवानिवृति की बढ़ी उम्र सीमा ऑप्शनल हो': झारखंड में सरकारी डॉक्टरों के संगठन झासा (झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन) का कहना है कि राज्य में डॉक्टरों की कमी से तात्कालिक व्यवस्था के तहत सरकार ने डॉक्टरों के सेवानिवृत्त होने की उम्र सीमा बढ़ा दी है लेकिन, यह मेंडेटरी नहीं बल्कि ऑप्शनल होना चाहिए.
डॉक्टरों ने दिए अपने तर्क: राज्य के सरकारी डॉक्टरों का कहना है कि राज्य में जब वह सेवा में आये थे तब से लगातार कई वर्षों तक काम किया. अब 65-67 वर्ष की उम्र में कई डॉक्टर्स खुद बीमार रहते हैं, कई की अपनी पारिवारिक समस्याएं हैं. ऐसे में उन्हें यह ऑप्शन मिलना चाहिए, जो डॉक्टर्स फिट हैं और 67 साल तक सेवा देना चाहते हैं. वह जरूर राज्यहित में सेवा देंगे. उन्होंने कहा यह बाध्यकारी नहीं होना चाहिए.
राज्य में डॉक्टरों की है घोर कमी: राज्य में मेडिकल अफसर के 2099 पद, डेंटल चिकित्सक के 190 और विशेषज्ञ डॉक्टरों के 1012 पद यानि कि कुल मिलाकर 3301 पद सृजित हैं. जिसमें से मेडिकल अफसर के 234 पद, डेंटल चिकित्सक के 61 पद और विशेषज्ञ डॉक्टरों के 878 पद खाली पड़े हैं. ऐसे में डॉक्टरों की और कमी न हो, इसके लिए राज्य की सरकार के लिए सबसे सहज होता है कि रिटायरमेंट की उम्र सीमा को बढ़ा दी जाये. राज्य के ज्यादातर सरकारी डॉक्टर सरकार के इस फैसले से खुश नहीं हैं.