रांची: बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी जातीय जनगणना की मांग तेज हो गई है. झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव के द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए सरकार द्वारा इसपर सहमति जताई गई है. संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने सदन में बताया कि बिहार सरकार की मांग पर वहां की हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी है. जातीय जनगणना के पक्ष में झारखंड सरकार भी है. इस पर चर्चा कर जल्द ही फैसला लिया जाएगा.
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कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने जानकारी देते हुए कहा कि सबको यह जानने का अधिकार है कि सरकार में हमारी कितनी भागीदारी है, समाज में हमारी क्या वस्तु स्थिति है, इसलिए यह आवश्यक है. सरकार द्वारा कहा गया है कि यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. अगर केंद्र सरकार स्वीकार नहीं करती है तो राज्य सरकार बिहार की तर्ज पर जातीय जनगणना कराने पर सरकार विचार करेगी.
झारखंड सरकार के विवेकाधिकार का विषय है-अमर बाउरी: जातीय जनगणना को लेकर राजनीति तेज है. बीजेपी ने जातीय जनगणना को लेकर स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यह विषय केंद्र का नहीं है. झारखंड सरकार चाहे तो जातीय जनगणना करा सकती है. यह उसके विवेकाधिकार क्षेत्र में है. भाजपा विधायक अमर कुमार बाउरी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि बिहार में जिस तरह से यह मामला उठा और उसके बाद हाईकोर्ट ने हरी झंडी दी है. उसके बाद झारखंड में जातीय जनगणना को लेकर स्वभाविक रूप से मांग उठने लगी है. राज्य सरकार चाहे तो इस पर निर्णय ले सकती है.
गौरतलब है कि झारखंड में जातीय जनगणना कराने की मांग होती रही है. ऐसे में पटना हाईकोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले के बाद एक बार फिर झारखंड में जातीय जनगणना की मांग तेज हो गई है. हालांकि इसे लेकर सरकार का रुख अभी तक स्पष्ट नहीं था. लेकिन सदन में जिस तरह से सरकार की ओर से जवाब आया है उसके बाद जातीय जनगणना कराने को लेकर संकेत मिलने लगे हैं.