रांची: दीपोत्सव के दौरान घर में घरौंदा भरने के साथ-साथ लक्ष्मी गणेश की पूजा और दीपक जलाने की पुरानी परंपरा है. इसलिए राजधानी के दिवाली बाजार में रंग-बिरंगे और आकर्षक घरौंदे बड़ी संख्या में बिक रहे हैं. राजधानी के हरमू, कडरू, डोरंडा, धुर्वा और मेन रोड के विभिन्न स्थानों पर लगने वाले दिवाली बाजारों में लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, दीया बाती के साथ चीनी की मिठाई, लावा फरही की बिक्री हो रही है. वहीं बड़ी संख्या में लोग घरौंदा की खरीदारी करते नजर आ रहे हैं.
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किशोरियों में घरौंदा को लेकर एक खास आकर्षण दिख रहा है. अशोक नगर की अनन्या ने एक बेहद खूबसूरत घरौंदा और उसको भरने के लिए कुल्हियां-चुकिया और रसोई के अन्य सामान खरीदने के बाद उत्साहित होकर कहा कि जो घरौंदा सबसे अधिक पसंद आया है उन्होंने वह घरौंदा खरीदी है. दिवाली की रात वह, इसे भरकर सुख समृद्धि की कामना करेंगी.
अपने परिवार के सदस्यों के साथ खुद घरौंदा बनाने वाली सुमन बताती हैं कि वह दशहरा खत्म होते ही घरौंदा बनाना शुरू कर देती हैं. इसमें परिवार के अन्य सदस्यों की भी मदद मिलती है. उन्होंने बताया कि इस बार बाजार बहुत अच्छा है और घरौंदा 250₹ से 1000₹ तक बिक रहा है.
लकड़ी से बने घरौंदा की मांग हुई कम: पिछले कुछ सालों तक दिवाली के बाजार में लकड़ी से बने घरौंदा की मांग रहती थी, लेकिन इसका आकर्षण न सिर्फ कम हुआ है बल्कि यह महंगा भी हुआ है, ऐसे में थर्माकोल और हार्ड पेपर से बना सुंदर सजावट से बनें घरौंदा की अच्छी मांग है. पहले दिवाली के मौके पर घर की महिलाएं घर पर ही मिट्टी के बर्तन बनाती थीं और उन्हें चुनकर रंगों से रंगकर आकर्षक रूप दिया जाता था. आज यह कला सिमटती जा रही है. अब बढ़ते शहरीकरण, अपार्टमेंट कल्चर ने दिवाली मनाना और गमले सजाना मुश्किल कर दिया है. इसे बनाने की कला भी बदल गई है.