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 रांची: पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर ने किसानों को यूरिया उपलब्ध करने की मांग की - गंगोत्री कुजूर ने यूरिया उपलब्ध कराने की मांग की

रांची के मांडर से पूर्व विधायक सह भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने मांडर विधानसभा क्षेत्र में किसानों के लिए यूरिया उपलब्ध कराने की मांग की है.

Gangotri kujur demands urea for farmers, गंगोत्री कुजूर ने किसानों के लिए यूरिया मांगा
किसान
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Published : Aug 23, 2020, 8:42 PM IST

रांची: मांडर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक सह भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष गंगोत्री कुजूर ने किसानों के बीच रासायनिक खाद की समस्या को देखते हुए बाजार में पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध कराने की मांग की है.

दुकानों पर लंबी कतार

गंगोत्री कुजूर ने कहा कि धान-मक्का सहित अन्य फसलों के लिए बाजार में यूरिया उपलब्ध नहीं है. यूरिया को लेकर किसान परेशान हैं, परंतु बाजार में यूरिया नहीं मिल रही है और मिल भी रही है तो दुकानदार निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य पर यूरिया बेच रहे हैं. किसानों का कहना है कि फसल में देर से खाद डालने से उत्पादन प्रभावित होने के चलते किसान ऊंचे दाम पर खाद खरीदने को मजबूर हैं. वहीं किसान खाद मिलने की जानकारी होने पर दुकानों पर लंबी कतार लगाकर अधिक मूल्य पर यूरिया खरीदने को मजबूर हैं, जबकि यूरिया की सरकारी दर 286 रुपये है, लेकिन दुकानों में किसानों से 450 रुपये प्रति बैग के हिसाब से राशि ली जा रही है. कोविड-19 के कारण पहले से ही परेशान किसानों को इस स्थिति से और आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है. इस मामले को अपने स्तर से जांच कराने बेड़ो प्रखंड सहित मांडर विधानसभा क्षेत्र में यूरिया की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित कराने और किसानों को उचित मूल्य पर यूरिया उपलब्ध कराने की मांग की गई है.

और पढ़ें - हेमंत सरकार से कांग्रेस के 9 विधायक नहीं हैं नाराज, सरकार पूरा करेगी कार्यकाल- धीरज साहू

बता दें कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से किसान पहले ही रवि फसल की मार झेल चुके हैं. किसानों को इस बार धान की खेती में थोड़ी आस जगी थी कि धान की फसल अच्छी होगी. मौसम ने भी भरपूर साथ दिया लेकिन समय पर यूरिया नहीं मिलने से किसानों की मेहनत पर पूरी तरह बर्बाद होता दिख रहा है. धान की खेती राज्य की प्रमुख खाद्यान्न फसल है. इसकी खेती मौसम पर निर्भर होती है. पिछले दो-तीन सालों के बाद इस बार मौसम के साथ मॉनसून भी सकिसानों के बीच रासायनिक खाद की समस्या को देखते हुए बाजार में पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध कराने की मांग की.

किसान धान की खेती पर निर्भर

झारखंड एक कृषि प्रधान राज्य है. यहां के सर्वाधिक किसान धान की खेती पर निर्भर रहते हैं. पिछले कई सालों से मौसम का मार झेल रहे किसानों के लिए इस बार मॉनसून सही समय पर आने से काफी उम्मीद जगी है, लेकिन इसके बावजूद भी किसानों के चेहरे पर मायूसी छा गई है. अब इसको लेकर विभाग किस तरह से प्रयास करती है यह देखने वाली बात होगी, ताकि किसानों को इसका लाभ मिले.

रांची: मांडर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक सह भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष गंगोत्री कुजूर ने किसानों के बीच रासायनिक खाद की समस्या को देखते हुए बाजार में पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध कराने की मांग की है.

दुकानों पर लंबी कतार

गंगोत्री कुजूर ने कहा कि धान-मक्का सहित अन्य फसलों के लिए बाजार में यूरिया उपलब्ध नहीं है. यूरिया को लेकर किसान परेशान हैं, परंतु बाजार में यूरिया नहीं मिल रही है और मिल भी रही है तो दुकानदार निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य पर यूरिया बेच रहे हैं. किसानों का कहना है कि फसल में देर से खाद डालने से उत्पादन प्रभावित होने के चलते किसान ऊंचे दाम पर खाद खरीदने को मजबूर हैं. वहीं किसान खाद मिलने की जानकारी होने पर दुकानों पर लंबी कतार लगाकर अधिक मूल्य पर यूरिया खरीदने को मजबूर हैं, जबकि यूरिया की सरकारी दर 286 रुपये है, लेकिन दुकानों में किसानों से 450 रुपये प्रति बैग के हिसाब से राशि ली जा रही है. कोविड-19 के कारण पहले से ही परेशान किसानों को इस स्थिति से और आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है. इस मामले को अपने स्तर से जांच कराने बेड़ो प्रखंड सहित मांडर विधानसभा क्षेत्र में यूरिया की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित कराने और किसानों को उचित मूल्य पर यूरिया उपलब्ध कराने की मांग की गई है.

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बता दें कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से किसान पहले ही रवि फसल की मार झेल चुके हैं. किसानों को इस बार धान की खेती में थोड़ी आस जगी थी कि धान की फसल अच्छी होगी. मौसम ने भी भरपूर साथ दिया लेकिन समय पर यूरिया नहीं मिलने से किसानों की मेहनत पर पूरी तरह बर्बाद होता दिख रहा है. धान की खेती राज्य की प्रमुख खाद्यान्न फसल है. इसकी खेती मौसम पर निर्भर होती है. पिछले दो-तीन सालों के बाद इस बार मौसम के साथ मॉनसून भी सकिसानों के बीच रासायनिक खाद की समस्या को देखते हुए बाजार में पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध कराने की मांग की.

किसान धान की खेती पर निर्भर

झारखंड एक कृषि प्रधान राज्य है. यहां के सर्वाधिक किसान धान की खेती पर निर्भर रहते हैं. पिछले कई सालों से मौसम का मार झेल रहे किसानों के लिए इस बार मॉनसून सही समय पर आने से काफी उम्मीद जगी है, लेकिन इसके बावजूद भी किसानों के चेहरे पर मायूसी छा गई है. अब इसको लेकर विभाग किस तरह से प्रयास करती है यह देखने वाली बात होगी, ताकि किसानों को इसका लाभ मिले.

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