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एलीफेंट ट्रैकिंग ऐप के जरिए हाथियों और ग्रामीणों के संघर्ष को कम करने में जुटा वन विभाग, लोगों को किया जा रहा जागरूक

झारखंड में लोगों और हाथियों के बीच संघर्ष कम करने के लिए वन विभाग की ओर से एलीफेंट ट्रैकिंग ऐप लॉन्च किया गया है. इसके जरिए लोगों को ग्रामीण हाथियों के संरक्षण में वन विभाग की मदद कर पाएंगे और हाथियों के झुंड की जानकारी भी पा सकेंगे. इसके बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है. Elephant tracking app in Jharkhand.

Elephant tracking app in Jharkhand
Elephant tracking app in Jharkhand
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 2, 2023, 8:53 PM IST

एलीफेंट ट्रैकिंग ऐप के बारे में लोगों को किया जा रहा जागरूक

रांची: जंगली क्षेत्रों में कमी के कारण कई बार जंगली जानवर घनी आबादी वाले इलाकों में प्रवेश कर जाते हैं. इससे आए दिन जान-माल का नुकसान देखने को मिलता है. झारखंड में ज्यादातर जंगली हाथी आबादी वाले इलाकों में पहुंच जाते हैं और जान-माल को नुकसान पहुंचाते हैं.

यह भी पढ़ें: खूंटी में जंगली हाथियों का झुंड, तमाड़ फॉरेस्ट रेंज में कर रहे विचरण, फसल की सुरक्षा को लेकर बढ़ी ग्रामीणों की चिंता

हाथियों की वजह से लोगों को हो रहे नुकसान को कम करने के लिए पिछले महीने वन विभाग की तरफ से एलीफेंट ट्रैकिंग ऐप की शुरुआत की गई है. यह ऐप स्मार्टफोन के माध्यम से परिचालित होता है. इस ऐप से ग्रामीण और वन विभाग के लोग यह जान पाएंगे कि आसपास के क्षेत्र में हाथियों का झुंड कहां है और कितने समय में वह लोगों तक पहुंच सकता है. हाथियों के झुंड की जानकारी मिलते ही ग्रामीण वन विभाग के लोगों को सूचना देंगे. जिसके बाद वन विभाग के लोग मौके पर पहुंचकर स्थानीय लोगों की जान बचाएंगे और हाथियों के झुंड को जंगल की ओर खदेड़ेंगे.

गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद ऐप: एलिफेंट ट्रैकर ऐप के बारे में जिला वन पदाधिकारी श्रीकांत वर्मा का कहना है कि एलिफेंट ट्रैकर ऐप निश्चित रूप से हाथियों के संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि इस ऐप को लोग गूगल प्ले स्टोर पर से अपने फोन में डाउनलोड कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि यह ऐप दो तरह से काम करता है, एक वन विभाग के लोगों के लिए और दूसरा आम जनता के लिए. उन्होंने बताया कि इस ऐप के माध्यम से आम लोगों को भी हाथियों के झुंड के आगमन की जानकारी आसानी से मिल सकेगी.

चलाया जा रहा जनजागरूकता अभियान: डीएफओ ने बताया कि जनजागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है और आने वाले दिनों में भी वन और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं को इस एप से जोड़ा जायेगा. उन्होंने कहा कि आज के समय में युवा स्मार्टफोन से परिचित हैं, इसलिए आने वाले दिनों में यह ऐप लोकप्रिय होगा. यह जंगली इलाकों में रहने वाले लोगों को बचाने में काफी कारगर साबित होगा.

एलीफेंट ट्रैकिंग ऐप के बारे में लोगों को किया जा रहा जागरूक

रांची: जंगली क्षेत्रों में कमी के कारण कई बार जंगली जानवर घनी आबादी वाले इलाकों में प्रवेश कर जाते हैं. इससे आए दिन जान-माल का नुकसान देखने को मिलता है. झारखंड में ज्यादातर जंगली हाथी आबादी वाले इलाकों में पहुंच जाते हैं और जान-माल को नुकसान पहुंचाते हैं.

यह भी पढ़ें: खूंटी में जंगली हाथियों का झुंड, तमाड़ फॉरेस्ट रेंज में कर रहे विचरण, फसल की सुरक्षा को लेकर बढ़ी ग्रामीणों की चिंता

हाथियों की वजह से लोगों को हो रहे नुकसान को कम करने के लिए पिछले महीने वन विभाग की तरफ से एलीफेंट ट्रैकिंग ऐप की शुरुआत की गई है. यह ऐप स्मार्टफोन के माध्यम से परिचालित होता है. इस ऐप से ग्रामीण और वन विभाग के लोग यह जान पाएंगे कि आसपास के क्षेत्र में हाथियों का झुंड कहां है और कितने समय में वह लोगों तक पहुंच सकता है. हाथियों के झुंड की जानकारी मिलते ही ग्रामीण वन विभाग के लोगों को सूचना देंगे. जिसके बाद वन विभाग के लोग मौके पर पहुंचकर स्थानीय लोगों की जान बचाएंगे और हाथियों के झुंड को जंगल की ओर खदेड़ेंगे.

गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद ऐप: एलिफेंट ट्रैकर ऐप के बारे में जिला वन पदाधिकारी श्रीकांत वर्मा का कहना है कि एलिफेंट ट्रैकर ऐप निश्चित रूप से हाथियों के संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि इस ऐप को लोग गूगल प्ले स्टोर पर से अपने फोन में डाउनलोड कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि यह ऐप दो तरह से काम करता है, एक वन विभाग के लोगों के लिए और दूसरा आम जनता के लिए. उन्होंने बताया कि इस ऐप के माध्यम से आम लोगों को भी हाथियों के झुंड के आगमन की जानकारी आसानी से मिल सकेगी.

चलाया जा रहा जनजागरूकता अभियान: डीएफओ ने बताया कि जनजागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है और आने वाले दिनों में भी वन और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं को इस एप से जोड़ा जायेगा. उन्होंने कहा कि आज के समय में युवा स्मार्टफोन से परिचित हैं, इसलिए आने वाले दिनों में यह ऐप लोकप्रिय होगा. यह जंगली इलाकों में रहने वाले लोगों को बचाने में काफी कारगर साबित होगा.

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