ETV Bharat / state

Ranchi News: झारखंड में पीवीटीजी लाभुकों का मारा जा रहा हक, अनाज लूट की साजिश, सीआईडी करेगी मामले की जांच - ranchi news

झारखंड में पीवीटीजी लाभुकों के अनाज की लूट के लिए आहार पोर्टल में छेड़छाड़ की गयी है. आहार पोर्टल में कई गैर पीवीटीजी लाभुकों को पीवीटीजी श्रेणी में जोड़ दिया गया है. मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी गयी है.

loot of food in jharkhand
loot of food in jharkhand
author img

By

Published : May 14, 2023, 10:45 PM IST

रांची: झारखंड में राष्ट्रीय खाद सुरक्षा अधिनियम और झारखंड राज्य खाद्य योजना के तहत विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह(पीवीटीजी) के अनाज की लूट के लिए आहार पोर्टल में छेड़छाड़ का मामला सामने आया है. आहार पोर्टल में आच्छादित लाभुकों में से कई गैर पीवीटीजी लाभुकों को पीवीटीजी श्रेणी में डाल दिया गया है. मामला सामने आने के बाद सीआईडी की टीम जांच में जुटी हुई है.

यह भी पढ़ें: ICSE Board Result: 99.8 प्रतिशत अंक लाकर रूशील कुमार बने स्टेट टॉपर, झारखंड का नाम किया रोशन

सीआईडी करेगी मामले की जांच: इस परिवर्तन की जांच को लेकर राज्य की सरकार गंभीर है. जिसके बाद सरकार ने पुलिस मुख्यालय से साइबर अपराध के पहलुओं पर जांच का आदेश दिया था. इस मामले में अब सीआईडी ने जांच शुरू कर दी है. राज्य में राज्य खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू होने के बाद पीवीटीजी परिवारों को खाद्यान पैकेट उनके निवास तक मुफ्त पहुंचाया जाता है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम से आच्छादित लाभुकों के लिए अनुदानित दर पर अनाज उपलब्ध कराने के लिए जनवरी 2021 से झारखंड राज्य खाद्य सुरक्षा अधिनियम भी लागू किया गया है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में झारखंड राज्य खाद्य सुरक्षा अधिनियम से लाभुकों का स्थानांतरण होना है, जिसमें सबसे पहले शिफ्टिंग पीवीटीजी ग्रुप की होगी. इसके लिए जिला आपूर्ति पदाधिकारियों को लॉगिन आईडी दी गई है, ताकि पीवीटीजी की पहचान के लिए सत्यापन करा सके.

क्या हुई गड़बड़ी: योजना की समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि पूर्वी सिंहभूम जिला में 1,199, गिरिडीह जिला में 2,577, गुमला जिला में 1,938, हजारीबाग जिला में 1,014 और लोहरदगा जिला में 1,045 राशनकार्ड को बिना किसी दस्तावेज के शिफ्टिंग में प्राथमिकता का लाभ पहुंचाते हुए पीवीटीजी श्रेणी में परिवर्तित कर दिया गया. इस संबंध में जब जिला के डीसी और जिला आपूर्ति पदाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया, तब पता चला कि रात आठ बजे के बाद डीएसओ लॉगिन का दुरूपयोग करते हुए बड़ी संख्या में एक साथ कास्ट चेंज किया गया.

यह भी पढ़ें: कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद क्या कांग्रेस की झारखंड में बदलेगी भूमिका? झामुमो और राजद ने दिया ये जवाब

क्यों गंभीर है मामला, साइबर जालसाजी के संदेश: पूरे मामले में साइबर अपराधियों के द्वारा जालसाजी का भी अंदेशा है. एनआईसी से जब सरकार ने इस विषय में जानकारी मांगी, तब एनआईसी की तरफ से जवाब आया कि पोर्टल में लॉगिन के लिए 10 आईडी, पासवर्ड, ओटीपी आवश्यक है, जिसके बिना लॉगिन नहीं किया जा सकता. साफ्टवेयर द्वारा सिर्फ उपयोगकर्ताओं का लॉगिन आईडी पता चलता है, जबकि पासवर्ड इंक्रीप्टेड रहता है, जिसे सिस्टम से डिकोड नहीं किया जा सकता. जब तक उपयोगकर्ता अपना लॉगिन आईडी, पासवर्ड और ओटीपी किसी से शेयर ना करें, कोई भी व्यक्ति सिस्टम का दुरूपयोग नहीं कर सकता. सरकार ने पाया है कि इस मामले में जिलों के द्वारा एनआईसी को जबकि एनआईसी के द्वारा जिलों पर दोषारोपण किया जा रहा है. ऐसे में सीआईडी की साइबर क्राइम शाखा से जांच का निर्देश दिया गया है.

रांची: झारखंड में राष्ट्रीय खाद सुरक्षा अधिनियम और झारखंड राज्य खाद्य योजना के तहत विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह(पीवीटीजी) के अनाज की लूट के लिए आहार पोर्टल में छेड़छाड़ का मामला सामने आया है. आहार पोर्टल में आच्छादित लाभुकों में से कई गैर पीवीटीजी लाभुकों को पीवीटीजी श्रेणी में डाल दिया गया है. मामला सामने आने के बाद सीआईडी की टीम जांच में जुटी हुई है.

यह भी पढ़ें: ICSE Board Result: 99.8 प्रतिशत अंक लाकर रूशील कुमार बने स्टेट टॉपर, झारखंड का नाम किया रोशन

सीआईडी करेगी मामले की जांच: इस परिवर्तन की जांच को लेकर राज्य की सरकार गंभीर है. जिसके बाद सरकार ने पुलिस मुख्यालय से साइबर अपराध के पहलुओं पर जांच का आदेश दिया था. इस मामले में अब सीआईडी ने जांच शुरू कर दी है. राज्य में राज्य खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू होने के बाद पीवीटीजी परिवारों को खाद्यान पैकेट उनके निवास तक मुफ्त पहुंचाया जाता है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम से आच्छादित लाभुकों के लिए अनुदानित दर पर अनाज उपलब्ध कराने के लिए जनवरी 2021 से झारखंड राज्य खाद्य सुरक्षा अधिनियम भी लागू किया गया है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में झारखंड राज्य खाद्य सुरक्षा अधिनियम से लाभुकों का स्थानांतरण होना है, जिसमें सबसे पहले शिफ्टिंग पीवीटीजी ग्रुप की होगी. इसके लिए जिला आपूर्ति पदाधिकारियों को लॉगिन आईडी दी गई है, ताकि पीवीटीजी की पहचान के लिए सत्यापन करा सके.

क्या हुई गड़बड़ी: योजना की समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि पूर्वी सिंहभूम जिला में 1,199, गिरिडीह जिला में 2,577, गुमला जिला में 1,938, हजारीबाग जिला में 1,014 और लोहरदगा जिला में 1,045 राशनकार्ड को बिना किसी दस्तावेज के शिफ्टिंग में प्राथमिकता का लाभ पहुंचाते हुए पीवीटीजी श्रेणी में परिवर्तित कर दिया गया. इस संबंध में जब जिला के डीसी और जिला आपूर्ति पदाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया, तब पता चला कि रात आठ बजे के बाद डीएसओ लॉगिन का दुरूपयोग करते हुए बड़ी संख्या में एक साथ कास्ट चेंज किया गया.

यह भी पढ़ें: कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद क्या कांग्रेस की झारखंड में बदलेगी भूमिका? झामुमो और राजद ने दिया ये जवाब

क्यों गंभीर है मामला, साइबर जालसाजी के संदेश: पूरे मामले में साइबर अपराधियों के द्वारा जालसाजी का भी अंदेशा है. एनआईसी से जब सरकार ने इस विषय में जानकारी मांगी, तब एनआईसी की तरफ से जवाब आया कि पोर्टल में लॉगिन के लिए 10 आईडी, पासवर्ड, ओटीपी आवश्यक है, जिसके बिना लॉगिन नहीं किया जा सकता. साफ्टवेयर द्वारा सिर्फ उपयोगकर्ताओं का लॉगिन आईडी पता चलता है, जबकि पासवर्ड इंक्रीप्टेड रहता है, जिसे सिस्टम से डिकोड नहीं किया जा सकता. जब तक उपयोगकर्ता अपना लॉगिन आईडी, पासवर्ड और ओटीपी किसी से शेयर ना करें, कोई भी व्यक्ति सिस्टम का दुरूपयोग नहीं कर सकता. सरकार ने पाया है कि इस मामले में जिलों के द्वारा एनआईसी को जबकि एनआईसी के द्वारा जिलों पर दोषारोपण किया जा रहा है. ऐसे में सीआईडी की साइबर क्राइम शाखा से जांच का निर्देश दिया गया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.