रांची: लॉकडाउन के दौरान पक्षकारों के लंबित मामले सोमवार को विशेष मध्यस्थता अभियान के दौरान सुलझाए गए. झालसा कार्यपालक अध्यक्ष एच.सी. मिश्रा की पहल पर आयोजित पांच दिवसीय विषेष मध्यस्थता अभियान पक्षकारों के लिए लाभकारी साबित हो रहे हैं. बता दें कि विशेष मध्यस्थता अभियान में कुल 11 मध्यस्थों ने पांच दिन तक कई मामलों में दोनों पक्षों के बीच में मध्यस्थता करायी, जिसमें ममता श्रीवास्तव, कुमारी शीला, नीलम शेखर, मनीषा रानी, एजाबेला एक्का, गिरिश मल्होत्रा, पंचानन सिंह, कृष्ण रंजन, प्रकाश चन्द्र उरांव, निर्मल रंजन और राजीव मोदी की अहम भूमिका रही.
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मामला-1. संख्या ए.बी.पी. 577/2021, आवेदक रूही परवीन बनाम इश्तकाम अंसारी वगैरह, जो न्यायालय दीपक मल्लिक एजेंसी-22 के न्यायालय से मध्यस्थता केंद्र में मध्यस्थता के लिए भेजा गया था. दोनों पक्ष आपस में पति-पत्नी हैं. इनका विवाह मुस्लिम रीति-रिवाज से 22 जनवरी 2018 में सम्पन्न हुआ था.
उनकी कोई भी संतान नहीं है. कुछ मतभेद होने के चलते लगभग एक साल से दोनों पक्ष अलग रहने लगे. सूचिका अपने मायके चली गई और आवेदक के खिलाफ धारा 498-ए- के तहत वार दायर किया गया था, जिसमें ही आवेदक की ओर से उपरोक्त वाद अग्रिम जमानत याचिका संख्या 577/2021 न्यायालय में दाखिल किया गया है. विषेशज्ञ मध्यस्थत नीलम शेखर की दोनों पक्षों के बीच कई बार बातचीत हुई और आपसी सहमति से समझौता संपन्न हुआ. विवाद को सुलझाने में विषेषज्ञ मध्यस्थ नीलम शेखर एवं दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
मामला-2. पूजा देवी अपने पति रोहित कुमार से पिछले तीन साल से अलग रह रही थी. दोनों का विवाह हिंदू रीति-रिवाज से सात साल पहले हुआ था. सोमवार को मनीषा रानी की ओर से मध्यस्थता कराया गया. उपरोक्त वाद मुख्य न्यायिक दण्दाधिकारी मो.फहीम किरमानी के न्यायालय से मध्यस्थता केंद्र में मध्यस्थता के लिए भेजा गया था. दोनों पक्ष अपने बीच की गलतफहमियों को दूर करते हुए साथ रहने को राजी हो गये. ये मामला सुलझाने में मनीषा रानी समेत दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
मामला-3: दूसरे मामले में रेशमा कुमारी बनाम हरि प्रसाद हजाम उभय पक्ष पति-पत्नी हैं. दोनों का विवाह हिंदू रीति-रिवाज के साथ संपन्न हुआ था. दोनों में आपसी तालमेल विचारों में मतभेद के चलते वाद न्यायालय में लंबित है. दोनों पक्ष आपसी विमर्श कर पहले की तरह सभी बातों को भुलाकर एक साथ रहने पर सहमत हुए. विशेषज्ञ मध्यस्थत पी.सी. उरांव एवं अनीता रानी एक्का, बी.एन. शर्मा अधिवक्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
मामला - 4: प्रियंका गुप्ता और तरूण कुमार का वाद प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय के न्यायालय में चल रहा था, जिसमें लड़के ने विवाह विच्छेद का आवेदन दिया था. मध्यस्थता के दौरान दोनों पक्ष फिर से एक साथ रहने के लिए राजी हो गये हैं. विशेषज्ञ मध्यस्थ निर्मल रंजन और अधिवक्ता बी.के. पाण्डे एवं सी.के. मण्डल का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
मामला-5: प्रधान न्यााधीश कुटुम्ब न्यायालय में लंबित था. मध्यस्थता केंद्र में मध्यस्थता के लिए भेजा गया था. मध्यस्थता के दौरान दोनों का पुनर्मिलन कराया गया. दोनों पक्ष फिर से एक साथ रहने के लिए राजी हो गये. वाद को सुलझाने में विशेषज्ञ मध्यस्थ निर्मल रंजन एवं दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
मामला- 6: वाद संख्या ए.बी.पी. 382, 383 में पत्नी स्वाति कुमारी ने पति परमजीत कौर और उसके परिवार पर दहेज प्रताड़ना का मुकदमा माननीय न्यायालय में दायर किया था. दोनों पक्ष मध्यस्थता के दौरान फिर से रहने के लिए तैयार हो गये. वाद को सुलझाने में विशेषज्ञ मध्यस्थ निर्मल रंजन और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
मामला-7: प्रीति देवी और सतीश कुमार की ओर से आपसी सहमति से विवाह विच्छेद का वाद ओ.एस.(एम.टी.एस.) 169/2021 कुटुंब न्यायालय रांची में दायर किया गया था. उक्त वाद को मध्यस्थ एल.के. गिरि की मध्यस्थता में विवाह विच्छेद के वाद को वापस लेने और साथ रहने को लेकर सहमति बनी. इस कार्य में श्री रामानंद चैधरी अधिवक्ता और अमर कुमार अधिवक्ता की भी सराहनीय भूमिका रही.
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मामला-8: वाद संख्या ओ. एस. 143/2020 में पति विवेक कुमार सिंह की ओर से पत्नी रीता कुमार पर वैवाहिक पुनर्स्थापन के लिए वाद अतिरिक्त कुटुम्ब न्यायालय में दायर किया गया था. उक्त वाद को मध्यस्थ ममता श्रीवास्तव की ओर से पहली ही सिटिंग में पति-पत्नी साथ रहने के लिए राजी हो गये. आपसी विवाद के कारण अक्टूबर 2018 से दोनों पक्ष अलग हो गये थे. मध्यस्थता के दौरान दोनों फिर से साथ रहने के लिए राजी हुए और दोनों को फूलमाला पहना कर मध्यस्थता केंद्र से विदा किया गया.
मामला संख्या-9 भरण-पोषण वाद संख्या 166/2020 जो कि अतिरिक्त कुटुम्ब न्यायालय से मध्यस्थता केंद्र में मध्यस्थता के लिए आया था. एकता सिंह ने अपने पति अजय कुमार सिंह पर अपने एवं अपने दो वर्षीय पुत्र अखण्ड उर्फ आरव के भरण-पोषण के लिए वाद माननीय न्यायालय में दायर किया गया था. मध्यस्थ ममता श्रीवास्तव ने दोनों को फिर से एक साथ रहने के लिए राजी कराया. वाद को सुलझाने में मध्यस्थत ममता श्रीवास्तव और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा.