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रांचीः विधानसभा में प्रभारी मंत्री ने कहा, वित्त रहित शिक्षण संस्थानों का नहीं हो सकता अधिग्रहण - High court ban on appointments

झारखंड के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों और आदिवासी इलाकों में संचालित वित्त रहित शिक्षण संस्थानों का वित्त सहित शिक्षण संस्थान के रूप में अधिग्रहण संभव नहीं है. मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने विधायक के सवाल पर जवाब दिया.

रांची
विधानसभा में जवाब देते प्रभारी मंत्री
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Published : Mar 23, 2021, 7:20 PM IST

रांचीः झामुमो विधायक समीर कुमार मोहंती ने प्रश्नकाल में कहा कि विकट परिस्थिति में लोग वित्त रहित संस्थानों का संचालन कर रहे हैं. इसलिए वित्त रहित शिक्षण संस्थानों का अधिग्रहण होना चाहिए. इसके जवाब में प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि इस तरह का कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है. झारखंड में वित्त रहित शिक्षण संस्थान सैकड़ों की संख्या में हैं. इनके अधिग्रहण करने का विचार नहीं है.

यह भी पढ़ेंःसरकार के पास नहीं है वायु प्रदूषण से होने वाली मौत का आंकड़ा, सदन में प्रभारी मंत्री का जवाब

परफॉर्मेंस के आधार पर दिया जा रहा ग्रांट

भानु प्रताप शाही ने कहा कि वित्त रहित शिक्षण संस्थानों का ग्रांट कम कर दिया गया है, ग्रांट देना शुरू करना चाहिए. इसके जवाब में प्रभारी मंत्री ने कहा कि 2015 की संशोधित नियमावली के आधार पर वित्त रहित शिक्षण संस्थानों को ग्रांट दिया जाता है. यह मांग बहुत पुरानी है और वित्त रहित शिक्षण संस्थान के परफॉर्मेंस के आधार पर ग्रांट भी दिया जा रहा है. इसलिए कोई विशेष सुविधा देने का विचार सरकार के पास नहीं है.

हाईकोर्ट की रोक हटने के बाद होगी नियुक्ति

इरफान अंसारी ने दुमका और जामताड़ा के कई स्कूलों में उर्दू शिक्षकों के रिक्त पद का मामला उठाया. जिसपर प्रभारी मंत्री ने कहा कि ज्यादातर स्कूलों में उर्दू शिक्षक कार्यरत हैं, जहां खाली है वहां पद सृजित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि 3642 उर्दू शिक्षक के पद रिक्त हैं. उर्दू शिक्षकों की बहाली को लेकर परीक्षा भी हुई थी. लेकिन, अहर्ता पूरी नहीं होने के कारण कुछ पद अब भी रिक्त है. अभी सभी नियुक्तियों पर हाईकोर्ट की रोक है.

रांचीः झामुमो विधायक समीर कुमार मोहंती ने प्रश्नकाल में कहा कि विकट परिस्थिति में लोग वित्त रहित संस्थानों का संचालन कर रहे हैं. इसलिए वित्त रहित शिक्षण संस्थानों का अधिग्रहण होना चाहिए. इसके जवाब में प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि इस तरह का कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है. झारखंड में वित्त रहित शिक्षण संस्थान सैकड़ों की संख्या में हैं. इनके अधिग्रहण करने का विचार नहीं है.

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परफॉर्मेंस के आधार पर दिया जा रहा ग्रांट

भानु प्रताप शाही ने कहा कि वित्त रहित शिक्षण संस्थानों का ग्रांट कम कर दिया गया है, ग्रांट देना शुरू करना चाहिए. इसके जवाब में प्रभारी मंत्री ने कहा कि 2015 की संशोधित नियमावली के आधार पर वित्त रहित शिक्षण संस्थानों को ग्रांट दिया जाता है. यह मांग बहुत पुरानी है और वित्त रहित शिक्षण संस्थान के परफॉर्मेंस के आधार पर ग्रांट भी दिया जा रहा है. इसलिए कोई विशेष सुविधा देने का विचार सरकार के पास नहीं है.

हाईकोर्ट की रोक हटने के बाद होगी नियुक्ति

इरफान अंसारी ने दुमका और जामताड़ा के कई स्कूलों में उर्दू शिक्षकों के रिक्त पद का मामला उठाया. जिसपर प्रभारी मंत्री ने कहा कि ज्यादातर स्कूलों में उर्दू शिक्षक कार्यरत हैं, जहां खाली है वहां पद सृजित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि 3642 उर्दू शिक्षक के पद रिक्त हैं. उर्दू शिक्षकों की बहाली को लेकर परीक्षा भी हुई थी. लेकिन, अहर्ता पूरी नहीं होने के कारण कुछ पद अब भी रिक्त है. अभी सभी नियुक्तियों पर हाईकोर्ट की रोक है.

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