रांची: एक कार्यक्रम में शुक्रवार को रांची में बिहारियों और मारवाड़ियों के बसने से आदिवासियों का शोषण होने के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव बयान पर मचे हंगामे के बाद अब उरांव ने सफाई दी है. उनका कहना है कि उनका किसी से विद्वेष नहीं है. लेकिन राजनीति में होने का मतलब यह नहीं है कि झूठ कहा जाए. उन्होंने सिर्फ सच्चाई कही है. उन्होंने कहा कि रांची शहर में आदिवासियों की संख्या आज कम हो गई है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सह वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने शनिवार को रांची में कहा कि बचपन में उन्होंने पढ़ा था कि देश के दो शहर रांची और इंफाल आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. इंफाल आज भी आदिवासी बाहुल्य शहर है, लेकिन रांची में भाजपा शासनकाल में आदिवासियों की जमीन छिनने से उनकी संख्या घटी है.
आदिवासियों की जमीन छीने जाने की साजिश
डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि करमटोली, डंगराटोली, मधुकम, नामकुम, चापूटोली समेत कई ऐसी बस्तियां थीं, जिनकी पहचान मुंडा गांव के रूप में थी. यह सच्चाई है कि भाजपा की सरकारों के कार्यकाल में जमीन की जमकर लूट हुई, लेकिन गठबंधन की सरकार के कार्यकाल में आदिवासियों की जमीन की लूट नहीं होने देंगे. उन्होंने यह भी साफ किया कि उनमें बिहार या बिहारियों से कोई विद्वेष की भावना नहीं है. वे भी बिहार से अछूते नहीं रहे हैं. वह खुद बाहर कहीं जाते थे तो खुद को बिहारी ही बताते थे. झारखंड बिहार का हिस्सा रहा है, लेकिन भाजपा शासनकाल में आदिवासियों की जमीन छीने जाने की साजिश हुई.
डीसी की परमिशन ली गई या नहीं शोध का विषय
डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन की कोशिश हुई लेकिन अब गठबंधन सरकार में जमीन की लूट की छूट किसी को नहीं मिलेगी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी को उकसाना या विद्वेष फैलाना नहीं था. लेकिन राजनीति में हैं, इसका मतलब यह तो नहीं है कि झूठ कहा जाए. उन्होंने सिर्फ सच्चाई कही है, रांची शहर में आदिवासियों की संख्या आज कम हो गई है. उन्होंने बताया कि आदिवासी जमीन का ट्रांसफर सिर्फ डीसी के परमिशन से ही होता था. आदिवासियों की जमीन ले ली गई. इन सारे मामलों में डीसी की परमिशन ली गई या नहीं, यह शोध का विषय है.
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आदिवासियों का हो रहा शोषण
झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि रांची की जमीन दूसरे लोगों के हाथों में चली गई है. राजधानी रांची में बिहार के लोग भर गए हैं और मारवाड़ी लोग बस गए हैं. इससे आदिवासी कमजोर हो गए हैं और इस कारण उनका शोषण हो रहा है.