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एक साल की बच्ची के पेट से निकाला गया भ्रूण, दर्द से तड़प रही थी

रांची के टाटी सिल्वे प्रखंड के एक निजी क्लीनिक मेंं एक वर्ष की बच्ची के पेट से भ्रूण निकाला गया. ऑपरेशन के बाद बच्ची अब स्वस्थ है. डॉक्टरों के अनुसार ट्वीन प्रेगनेंसी के चलते ऐसा होता है और वह भी बहुत रेयर.

ऑपरेशन
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Published : Jun 25, 2021, 7:03 PM IST

रांचीः गिरिडीह की एक वर्ष की बच्ची के पेट से भ्रूण निकालकर डॉक्टरों ने बच्ची की जान बचाई है. रांची के टाटी सिल्वे प्रखंड के एक निजी क्लीनिक के सर्जन डॉ आलोक प्रकाश ने दर्द से कराह रही बच्ची की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट, सीटी स्कैन, MRI रिपोर्ट के आधार पर सर्जरी का फैसला लिया और ऑपेरशन कर भ्रूण को बाहर निकाल दिया. ऑपरेशन के बाद बच्ची अब स्वस्थ है.

यह भी पढ़ेंः 3rd Wave of Corona: सावधान! झारखंड में 25 जुलाई तक आएगा कोरोना का थर्ड वेव

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

रांची की प्रख्यात डॉक्टर डॉ मनीषा सिंह ने कहा कि ट्वीन प्रेगनेंसी में एक भ्रूण के अंदर में दूसरा भ्रूण हो सकता है पर यह बहुत ही रेयर होता. ऐसे मामले में कभी-कभी श्रीरबक अपना सिस्टम ही भ्रूण के अंदर के भ्रूण को समाप्त कर देता है. कई बार उसे ऑपरेशन कर निकलना पड़ता है.

रिम्स के क्रिटिकल केयर हेड डॉ प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि लाखों की आबादी में एक में इस तरह का ट्विन्स embryo 50 लाख में एक बनता है. राज्य में गिनती के केस अभी तक मिले हैं.

रांचीः गिरिडीह की एक वर्ष की बच्ची के पेट से भ्रूण निकालकर डॉक्टरों ने बच्ची की जान बचाई है. रांची के टाटी सिल्वे प्रखंड के एक निजी क्लीनिक के सर्जन डॉ आलोक प्रकाश ने दर्द से कराह रही बच्ची की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट, सीटी स्कैन, MRI रिपोर्ट के आधार पर सर्जरी का फैसला लिया और ऑपेरशन कर भ्रूण को बाहर निकाल दिया. ऑपरेशन के बाद बच्ची अब स्वस्थ है.

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ

रांची की प्रख्यात डॉक्टर डॉ मनीषा सिंह ने कहा कि ट्वीन प्रेगनेंसी में एक भ्रूण के अंदर में दूसरा भ्रूण हो सकता है पर यह बहुत ही रेयर होता. ऐसे मामले में कभी-कभी श्रीरबक अपना सिस्टम ही भ्रूण के अंदर के भ्रूण को समाप्त कर देता है. कई बार उसे ऑपरेशन कर निकलना पड़ता है.

रिम्स के क्रिटिकल केयर हेड डॉ प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि लाखों की आबादी में एक में इस तरह का ट्विन्स embryo 50 लाख में एक बनता है. राज्य में गिनती के केस अभी तक मिले हैं.

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