रांची: इस वर्ष अच्छी बारिश और समय से बीज उपलब्ध होने के बाबजूद किसान काफी परेशान हैं. किसानों की चिंता का कारण राज्य में खाद की होने वाली किल्लत को लेकर है. बंगाल की कंपनी मिट्रिक्स ने 15 हजार मिट्रिक टन यूरिया सप्लाई करने से हाथ खड़ा कर दिया है. इससे राज्य में खाद की किल्लत अभी से दिखने लगी है.
यह भी पढ़ें: ये हैं दुनिया के सबसे जहरीले सांप, एक डंक के जहर से जा सकती है 100 लोगों की जान
क्यों हो रही है खाद की किल्लत ?
झारखंड सरकार ने केंद्र से राज्य में खाद की आपूर्ति सुनिश्चित कराने के लिए 2.5 लाख मिट्रिक टन यूरिया, 1.10 लाख मिट्रिक टन डीएपी और 50 हजार मिट्रिक टन एनपीके की मांग की थी. इसके एवज में केंद्र सरकार द्वारा 1.7 लाख मिट्रिक टन यूरिया, 75 हजार मिट्रिक टन डीएपी और 30 हजार मिट्रिक टन एनपीके का एप्रूवल दिया गया. जिसमें अप्रैल से जून तक विभिन्न कंपनियों को 83 हजार मिट्रिक टन केंद्र की तरफ से एलोकेशन दिया गया. अभी तक एलोकेशन के मात्र 49 हजार मिट्रिक टन ही विभिन्न कंपनियों द्वारा खाद की आपूर्ति की गई है.
राज्य सरकार को सबसे बड़ा धक्का केद्र द्वारा एलोकेट बंगाल की कंपनी मिट्रिक्स द्वारा 15 हजार मिट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति से हाथ खड़ा किये जाने से लगा है. झारखंड में बंगाल की कंपनी द्वारा यूरिया की सप्लाई से हाथ खड़े किए जाने के बाद इस वर्ष यूरिया की किल्लत होने की संभावना बढ़ गई है. राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने केंद्र सरकार को चिठ्ठी लिखकर यूरिया की आपूर्ति कराने का आग्रह किया है.
बादल पत्रलेख का केंद्र पर निशाना
कृषि विभाग यूरिया की सप्लाई नहीं होने के कारण हो रही किल्लत पर बेबस दिख रही है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेश ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले केंद्र ने डिमांड के अनुरूप आवंटन नहीं दिया और अब स्वीकृत आवंटन के बाबजूद खाद की आपूर्ति नहीं की जा रही है.
![fertilizer supply in jharkhand](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12478974_ranchi.jpg)
खाद की किल्लत ने किसानों की बढ़ाई चिंता
सरकार द्वारा किसानों को रियायती दर पर खाद उपलब्ध कराया जाता है. खरीफ के समय सबसे पहले किसान बुआई के वक्त डीएपी और एनपीके का इस्तेमाल खेतों में करते हैं. खेतों में लगे धान की फसल में यूरिया का इस्तेमाल कुछ दिनों के बाद की जाती है. सरकार ने किसानों के लिए प्रति बोरी डीएपी का मूल्य 1200 रुपये निर्धारित की है. यूरिया के 45 किलो के एक बोरी का मूल्य सरकार ने 266 रुपया निर्धारित कर रखा है. लेकिन, निर्धारित मूल्य पर खाद मिलता नहीं है.
यूरिया के दामों में बेतहाशा वृद्धि से किसान परेशान
खाद डीलर ने बताया कि लोडिंग अनलोडिंग और ट्रांसपोर्टेशन खर्च के कारण खाद का दाम लोकेशन के अनुसार बढ़ता चला जाता है. खाद व्यवसायी संगीत डालमिया की मानें तो इस बार मांग के अनुरूप अब तक खाद की आपूर्ति काफी कम हुआ है. इधर, सरकार के सामने आई नई मुसीबत के बीच राज्य में यूरिया के दामों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है जिससे किसान परेशान हैं. पिठौरिया के किसान शिवव्रत की मानें तो पिछली बार जिस समय खाद मिलना चाहिए उस समय मिला नहीं और दामों में बेतहाशा वृद्धि हो गई. इस बार भी वही हाल है. एक तरफ फसल के बर्बाद होने से किसान परेशान हैं और इस उम्मीद से खरीफ की फसल लगा रहे हैं कि घाटा को कम कर सकें लेकिन खाद की किल्लत और बढ़ रहे दाम ने परेशानी और बढ़ा दी है.
राज्य में खाद की आपूर्ति में हो रही कमी को देखते हुए कालाबाजारी भी शुरू हो गई है. कुछ महीने बाद ऊंचे दर पर यूरिया को बेचने के लिए माफिया गोदामों में स्टॉक करने में लगे हैं. राज्य सरकार द्वारा हाल के दिनों में इसकी रोकथाम के लिए टीम भी गठित की गई जो छापेमारी भी कर रही है.