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कोरोना का खौफः झारखंड सचिवालय में फाइल छूने से डरते हैं अधिकारी-कर्मचारी

झारखंड सचिवालय में कोरोना का खौफ देखा जा रहा है. आलम ऐसा है कि झारखंड सचिवालय में अधिकारी-कर्मचारी फाइलों को छूने से डरते हैं. सरकारी दफ्तर में 50 फीसदी उपस्थिति के साथ कामकाज चलाने में क्या पड़ रहा है असर, जानिए ईटीवी भारत की इस खास रिपोर्ट से.

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झारखंड सचिवालय में कोरोना
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Published : Jan 10, 2022, 8:23 PM IST

Updated : Jan 10, 2022, 9:12 PM IST

रांचीः कोरोना का खौफ के कारण झारखंड सचिवालय में अधिकारी कर्मचारी फाइलों को छूना नहीं चाहते हैं. संक्रमण के डर से सरकार के कामकाज पर पड़ रहे असर को देखते हुए सरकार ने लाखों रुपए खर्च यूवी बॉक्स मशीन पर की है. जिसमें फाइलें सेनेटाइज होने के बाद फाइलें आगे बढ़ाई जा रही हैं. जिसमें काफी वक्त लग रहा है.

इसे भी पढ़ें- सीएम आवास में कोरोना विस्फोट, 16 कर्मचारी कोविड संक्रमित



झारखंड में कोरोना का खौफ सरकारी कामकाज पर भी दिख रहा है. हालत यह है कि सरकार के विभाग में फाइलों को बगैर सेनेटाइज किए अधिकारी छूते तक नहीं हैं. झारखंड सचिवालय हो या जिला समाहरणालय का दफ्तर, सभी जगह कोरोना के आतंक से सरकारी कर्मचारी प्रभावित है. कोरोना की तीसरे लहर में लगातार बढ़ रहे संक्रमितों की संख्या को देखते हुए हेमंत सरकार ने अपने सरकारी सेवकों के बचाव के लिए खास प्रबंध किए हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

इसके तहत सरकारी दफ्तरों में 50 फीसदी उपस्थिति के साथ कामकाज चलाने को कहा गया है. इसके अलावा सरकार ने फाइलों के मूवमेंट के दौरान होने वाले संक्रमण को देखते हुए लाखों रुपया खर्च कर सेनेटाइजर मशीन मंगवाई है. सरकार के हर विभाग में लगाई गयी इस सेनेटाइजर मशीन से पहले फाइल को सेनेटाइज किया जाता है. उसके बाद ही अधिकारी या विभाग के कर्मी इसे हाथ लगाते हैं.


कोरोना से बचाव के लिए ऐसे होता है कामः झारखंड सचिवालय में फैल रहे कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए इन दिनों विशेष एहतियात बरती जा रही है. फाइलों को एक सेक्शन से दूसरे सेक्शन तक जाने से पहले यहां लगे यूवी सिल्ड बॉक्स मशीन इस संचिका को सेनेटाइज करता है. सेनेटाइज होने में फाइल को करीब 15 मिनट का वक्त लगता है. अल्ट्रा वायलेट युक्त यह बॉक्स बगैर संचिका में किसी तरह की छेड़छाड़ किए इसे संक्रमणमुक्त करता है. इसके बाद विभागकर्मी इस पर कुछ लिखते हैं. एक विभाग में छोटे कर्मी से लेकर विभागीय सचिव तक पहुंचने में अत्यावश्यक फाइल को छोड़कर करीब एक सप्ताह का वक्त लगता है.

मंत्री और मुख्यमंत्री के आवास या सरकारी चैंबर तक जाने वाली सरकारी फाइलों को बगैर सेनेटाइज किए मूवमेंट का आदेश नहीं दिया गया है. सरकारी अधिकारियों और कर्मियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए सरकार ने इसके ऊपर लाखों रुपये खर्च की है. एक सामान्य मशीन की कीमत 10 से 15 हजार तक बताई जा रही है. हर विभाग में इसकी खरीद के आदेश दिए जा चुके हैं. सेनेटाइजर मशीन के अलावा विभाग की साफ सफाई और हैंड सेनेटाइजर की पर्याप्त व्यवस्था के आदेश दिए गए हैं. जिससे कोरोना का प्रवेश सचिवालय में ना हो इसके बावजूद तेजी से फैल रहे कोरोना ने अब तक 150 कर्मियों और अधिकारियों को संक्रमित कर चुका है.

रांचीः कोरोना का खौफ के कारण झारखंड सचिवालय में अधिकारी कर्मचारी फाइलों को छूना नहीं चाहते हैं. संक्रमण के डर से सरकार के कामकाज पर पड़ रहे असर को देखते हुए सरकार ने लाखों रुपए खर्च यूवी बॉक्स मशीन पर की है. जिसमें फाइलें सेनेटाइज होने के बाद फाइलें आगे बढ़ाई जा रही हैं. जिसमें काफी वक्त लग रहा है.

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झारखंड में कोरोना का खौफ सरकारी कामकाज पर भी दिख रहा है. हालत यह है कि सरकार के विभाग में फाइलों को बगैर सेनेटाइज किए अधिकारी छूते तक नहीं हैं. झारखंड सचिवालय हो या जिला समाहरणालय का दफ्तर, सभी जगह कोरोना के आतंक से सरकारी कर्मचारी प्रभावित है. कोरोना की तीसरे लहर में लगातार बढ़ रहे संक्रमितों की संख्या को देखते हुए हेमंत सरकार ने अपने सरकारी सेवकों के बचाव के लिए खास प्रबंध किए हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

इसके तहत सरकारी दफ्तरों में 50 फीसदी उपस्थिति के साथ कामकाज चलाने को कहा गया है. इसके अलावा सरकार ने फाइलों के मूवमेंट के दौरान होने वाले संक्रमण को देखते हुए लाखों रुपया खर्च कर सेनेटाइजर मशीन मंगवाई है. सरकार के हर विभाग में लगाई गयी इस सेनेटाइजर मशीन से पहले फाइल को सेनेटाइज किया जाता है. उसके बाद ही अधिकारी या विभाग के कर्मी इसे हाथ लगाते हैं.


कोरोना से बचाव के लिए ऐसे होता है कामः झारखंड सचिवालय में फैल रहे कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए इन दिनों विशेष एहतियात बरती जा रही है. फाइलों को एक सेक्शन से दूसरे सेक्शन तक जाने से पहले यहां लगे यूवी सिल्ड बॉक्स मशीन इस संचिका को सेनेटाइज करता है. सेनेटाइज होने में फाइल को करीब 15 मिनट का वक्त लगता है. अल्ट्रा वायलेट युक्त यह बॉक्स बगैर संचिका में किसी तरह की छेड़छाड़ किए इसे संक्रमणमुक्त करता है. इसके बाद विभागकर्मी इस पर कुछ लिखते हैं. एक विभाग में छोटे कर्मी से लेकर विभागीय सचिव तक पहुंचने में अत्यावश्यक फाइल को छोड़कर करीब एक सप्ताह का वक्त लगता है.

मंत्री और मुख्यमंत्री के आवास या सरकारी चैंबर तक जाने वाली सरकारी फाइलों को बगैर सेनेटाइज किए मूवमेंट का आदेश नहीं दिया गया है. सरकारी अधिकारियों और कर्मियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए सरकार ने इसके ऊपर लाखों रुपये खर्च की है. एक सामान्य मशीन की कीमत 10 से 15 हजार तक बताई जा रही है. हर विभाग में इसकी खरीद के आदेश दिए जा चुके हैं. सेनेटाइजर मशीन के अलावा विभाग की साफ सफाई और हैंड सेनेटाइजर की पर्याप्त व्यवस्था के आदेश दिए गए हैं. जिससे कोरोना का प्रवेश सचिवालय में ना हो इसके बावजूद तेजी से फैल रहे कोरोना ने अब तक 150 कर्मियों और अधिकारियों को संक्रमित कर चुका है.

Last Updated : Jan 10, 2022, 9:12 PM IST
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