रांची: राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत किसान संगठनों एवं मजदूर संगठनों की तरफ से आयोजित तीन दिवसीय महापड़ाव शुरु हो गया है. इसको लेकर रांची में भी राजभवन के सामने केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया.
तीन दिवसीय देशव्यापी कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे झारखंड सीपीआई की ओर से पार्टी के वरिष्ट नेता सह पूर्व सांसद मेहता ने कहा कि 26 नवंबर के दिन ही देश को संविधान पर चलने की शपथ ली गई थी. लेकिन आजादी के बाद भाजपा की सरकार कुछ उद्योगपतियों की सरकार हो गई है. अंबानी अडाणी जैसे उद्योगपतियों को सिर्फ सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है.
देश को खिलाने वाले किसानों और मजदूरों का शोषण हो रहा है. पूर्व सांसद भुवनेश्वर मेहता ने कहा कि 11 महीने तक जब किसानों ने दिल्ली में संघर्ष किया और करीब 700 किसानों की मौत हो गई तब जाकर केंद्र में बैठी सरकार ने तीनों काला कानून वापस लिया. सीपीआई केंद्रीय समिति के वरिष्ठ सदस्य और एआईटीयूसी के वरिष्ठ कार्यकर्ता डॉक्टर कांगो ने कहा कि मोदी सरकार ने गरीबों को योजनाओं से बाहर निकाल दिया है और वैसे लोगों को योजनाओं में शामिल कर रहे हैं जो उनके हकदार नहीं है. उन्होंने कहा कि इस तीन दिवसीय आंदोलन के माध्यम से देश की जनता को यह बताएंगे कि आने वाले चुनाव में इंडिया गठबंधन के पक्ष में मतदान करें ताकि देश के किसानों और मजदूरों को उनका हक मिल सके.
वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता महेंद्र पाठक ने कहा इस आंदोलन के माध्यम से अभी तो सिर्फ उलगुलान किया गया है. आने वाले दिनों में झारखंड की जनता एक मंच पर आकर भारतीय जनता पार्टी को करारा जवाब देगी.
क्या हैं मुख्य मांगें:
- मजदूर विरोधी चार लेबर कोड रद्द किया जाए.
- न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए कानून बनाया जाए.
- असंगठित मजदूरों को 18 हजार रुपए न्यूनतम मजदूरी निर्धारण किया जाए.
- 60 वर्ष उम्र के सभी किसानों को दस हजार रूपये मासिक पेंशन दिया जाए.
- शिक्षित बेरोजगार युवाओं को मासिक बेरोजगारी भत्ता दिया जाए.
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