रांची: कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग अगर सबसे बड़ी कीमत किसी को चुकानी पड़ रही है तो वह है मजदूर वर्ग. विश्व मजदूर दिवस के मद्देनजर मजदूरों के मसले पर झारखंड के श्रम मंत्री से हमारे वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने बात की.
श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर लगातार संपर्क में थे. उस आधार पर करीब आठ लाख मजदूर हैं जो दूसरे राज्यों में फंसे हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड के पड़ोसी राज्यों में फंसे मजदूरों को बसों से लाने की कवायद शुरू हो चुकी है.
जहां तक दूरदराज के राज्यों मसलन महाराष्ट्र, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और हरियाणा की बात है तो वहां से ट्रेन के जरिए मजदूरों को लाने की दिशा में काम हो रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि तेलंगाना सरकार के पहल पर हैदराबाद से एक विशेष ट्रेन रांची के हटिया स्टेशन के लिए चली है जो आज रात 11:00 बजे पहुंचेगी. इस ट्रेन से आ रहे लोगों को बसों के जरिए संबंधित जिलों में भेजा जाएगा और उन्हें क्वॉरेंटाइन अवधि पूरा करने के बाद घर जाने दिया जाएगा.
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झारखंड लौट रहे मजदूरों को कैसे मिलेगा रोजगार?
इस सवाल के जवाब में श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि झारखंड एक खनिज संपन्न राज्य है. यहां कई बड़ी फैक्ट्रियों के साथ-साथ एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान भी है. सरकार इस दिशा में काम कर रही है. तमाम मजदूरों को झारखंड में ही रोजगार मुहैया कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि झारखंड में मनरेगा की राशि प्रतिदिन रूपए194 है जिसे बढ़ाकर रूपए 300 करने की तैयारी चल रही है.
झारखंड में दूसरे राज्यों के कितने मजदूर हैं?
श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि झारखंड में दूसरे राज्यों के मजदूरों की संख्या बेहद कम है. उन्होंने कहा कि या तो ड्राइवर खलासी हैं या छोटे-मोटे उद्योगों में काम करने वाले लोग हैं. जिनकी तादाद 50,000 से भी कम है. इन मजदूरों को भी उनके राज्यों में भेजा जाएगा.
ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर सरकार में अभी से ही जिच क्यों?
इस सवाल के जवाब में मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि झारखंड में महागठबंधन को बहुमत मिला था. जहां तक ट्रांसफर पोस्टिंग की बात है तो यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है और इसको लेकर किसी तरह का कोई मतभेद नहीं है. उन्होंने कहा कि किसी मसले पर कन्फ्यूजन होना अलग बात है.