रांची: दहेज लेना और देना दोनों ही कानूनन अपराध है, दहेज प्रथा के खिलाफ कड़े कानून भी हैं. लेकिन इसके बावजूद देश में हर साल 15 हजार मामले सिर्फ दहेज को लेकर थाने में रिपोर्ट किए जाते हैं. जबकि सिर्फ दहेज के लिए हर वर्ष 6 हजार से ज्यादा बेटियों को मौत के घाट उतार दिया जाता है (Girls are killed for dowry). पिछले पांच वर्षो में 35 हजार बेटियों को दहेज की वजह से मौत के घाट उतार दी गईं.
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झारखंड में हर वर्ष औसतन 250 बेटियां दहेज की वजह से मौत के घाट उतार दी जाती हैं. झारखंड में 2017 से लेकर 2022 अक्टूबर महीने तक 1425 बेटियों को अपनी जान गवानी पड़ी. दहेज हत्या को लेकर झारखंड की स्थिति भी कम भयवाह नहीं है. 2017 में 248, साल 2018 में 252, साल 2019 में 299, साल 2020 में 275, साल 2021 में 281 और साल 2022 के अक्टूबर महीने तक 125 झारखंड की बेटियो को दहेज की वजह से अपनी जान देनी पड़ी है.
लव मैरेज में भी हुई हत्या: सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि आंकड़े यह भी बताते हैं कि जिन जोड़ों ने प्रेम विवाह किया, उन लड़कियों को भी दहेज प्रताड़ना से गुजरना पड़ा. आंकड़े बताते हैं कि 100 में से 10 वैसी लड़कियां भी दहेज की वजह से मारी गईं जिन्होंने अपनी मर्जी से प्रेम विवाह किया था.
कई मामले रिपोर्ट नहीं होते: दहेज हत्या को लेकर जो मामले थानों में रिपोर्ट किए गए हैं उन्हीं को आधार मानकर दहेज हत्या के मामलों का आंकड़ा तैयार किया गया है, लेकिन इनमें वह आंकड़े शामिल नहीं हैं, जिनमें प्रताड़ना के शिकार होकर महिलाएं आत्महत्या जैसा कदम उठा लेती हैं. आत्महत्या जैसे मामले अक्सर कानूनी उलझन में पड़कर आरोपी को सजा से बचा लेते हैं. अगर आत्महत्या के मामलों को भी दहेज हत्याकांड से जुड़े आंकड़ों में जोड़ा जाए तो यह और भी भयावह हो जाएगा.
क्या हैं अन्य राज्यों के आंकड़े: केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के द्वारा राज्यसभा में दहेज हत्या को लेकर आंकड़े पेश किए गए, जिसमें यह बताया गया कि देश में 2017 से 2021 के बीच प्रतिदिन करीब 20 बेटियों को दहेज की वजह से मार डाला गया. उत्तर प्रदेश भारत का ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा दहेज को लेकर बेटियों की हत्या की गई हैं. आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में हर दिन 6 बेटियां सिर्फ दहेज की वजह से मार डाली जाती हैं. उत्तर प्रदेश में साल 2017 में 2524, 2018 में 2444, 2019 में 2274, 2020 में 2410 और 2021 में 2222 बेटियो को दहेज की वजह से मार डाला गया. वहीं, बिहार में साल 2017 में 1081, साल 2018 में 1007, साल 2019 में 1120, साल 2020 में 1046 और साल 2021 में 1000 बेटियां दहेज की वजह से मौत के घाट उतार दी गईं.
दरअसल भले ही दहेज को लेकर कड़े कानून बनाए गए हैं, लेकिन आज भी कई राज्यों में खुलकर दहेज का लेनदेन होता है. दहेज नहीं देने पर शादी के बाद बेटियों को प्रताड़ित किया जाता है और उन्हें जान से मार डाला जाता है. देशभर के आंकड़े बता रहे हैं कि समाज में दहेज रूपी राक्षस किस कदर अभी भी हावी है जो लगातार बेटियों को लील रहा है.