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आदिवासी छात्र किन मुद्दों के लेकर करेंगे वोट, ईटीवी भारत ने टटोला मतदाताओं का मन

झारखंड में पहले चरण का मतदान 30 नवंबर को होगा. ऐसे में सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है. नेता अपने अपने वादों से जनता को लुभाने में जुटे हुए हैं, लेकिन जनता की क्या समस्या है, किन मुद्दों को लेकर वह वोट करेगी इसे लेकर ईटीवी भारत लगातार मतदाताओं के बीच जा रहा है.

ETV bharat took opinion from tribal voters in ranchi
आदिवासी छात्र किन मुद्दों के लेकर करेंगे वोट
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Published : Nov 27, 2019, 11:41 AM IST

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ते जा रही है. पहले चरण का मतदान 30 नवंबर को होगा. ऐसे में तमाम पार्टियां अपने-अपने चुनावी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाकर वोट मांग रही हैं. नेता अपने लोक लुभावन वादों के जरिए जनता से अपने पक्ष में वोट करने की बात कह रहे हैं.

देखिए वोटरों की राय

ईटीवी भारत लगातार मतदाताओं से जानने की कोशिश कर रहा है कि आखिर इस बार विधानसभा चुनाव में क्या मुद्दा होगा, जिसके आधार पर वह सरकार चुनेगी. आदिवासी वर्ग के छात्रों ने अपने मुद्दों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

इसे भी पढ़ें:- बुधवार को बीजेपी जारी करेगी 'मेनिफेस्टो', राज्यभर से मिले सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है 'संकल्प पत्र'

आदिवासी छात्रों का कहना है कि झारखंड में आदिवासियों की संख्या सबसे अधिक है और इन्हीं तमाम चीजों को देखते एकीकृत बिहार से झारखंड को अलग किया गया था, ताकि यहां के आदिवासियों का सर्वांगीण विकास हो सके, लेकिन झारखंड बनने के बाद जितने भी सरकारें आई, गई सबने आदिवासियों को सिर्फ ठगने का काम किया है. उन्होंने कहा कि नेताओं ने आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है, आज शिक्षा, स्वास्थ्य से आदिवासी समाज कोसों दूर है, कॉलेजों में क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई को लेकर कोई उचित व्यवस्था नहीं है.

आदिवासी छात्रों ने बताया कि आदिवासी दलित पिछड़ा वर्ग आज खुद को ठगा महसूस करते हैं. उन्होंने कहा कि नेता चुनाव के समय आते हैं और आदिवासियों को अपनी सभा में भीड़ जुटाने के लिए ले जाते हैं और उन्हें भरपेट खाना खिलाकर भेज देते हैं, लेकिन आदिवासियों के विकास के बारे में कोई नहीं सोचता है. उन्होंने बताया कि इस बार ऐसी सरकार चाहिए जो सबों को लेकर चले और सर्वांगीण विकास करे.

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ते जा रही है. पहले चरण का मतदान 30 नवंबर को होगा. ऐसे में तमाम पार्टियां अपने-अपने चुनावी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाकर वोट मांग रही हैं. नेता अपने लोक लुभावन वादों के जरिए जनता से अपने पक्ष में वोट करने की बात कह रहे हैं.

देखिए वोटरों की राय

ईटीवी भारत लगातार मतदाताओं से जानने की कोशिश कर रहा है कि आखिर इस बार विधानसभा चुनाव में क्या मुद्दा होगा, जिसके आधार पर वह सरकार चुनेगी. आदिवासी वर्ग के छात्रों ने अपने मुद्दों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

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आदिवासी छात्रों का कहना है कि झारखंड में आदिवासियों की संख्या सबसे अधिक है और इन्हीं तमाम चीजों को देखते एकीकृत बिहार से झारखंड को अलग किया गया था, ताकि यहां के आदिवासियों का सर्वांगीण विकास हो सके, लेकिन झारखंड बनने के बाद जितने भी सरकारें आई, गई सबने आदिवासियों को सिर्फ ठगने का काम किया है. उन्होंने कहा कि नेताओं ने आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है, आज शिक्षा, स्वास्थ्य से आदिवासी समाज कोसों दूर है, कॉलेजों में क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई को लेकर कोई उचित व्यवस्था नहीं है.

आदिवासी छात्रों ने बताया कि आदिवासी दलित पिछड़ा वर्ग आज खुद को ठगा महसूस करते हैं. उन्होंने कहा कि नेता चुनाव के समय आते हैं और आदिवासियों को अपनी सभा में भीड़ जुटाने के लिए ले जाते हैं और उन्हें भरपेट खाना खिलाकर भेज देते हैं, लेकिन आदिवासियों के विकास के बारे में कोई नहीं सोचता है. उन्होंने बताया कि इस बार ऐसी सरकार चाहिए जो सबों को लेकर चले और सर्वांगीण विकास करे.

Intro:रांची
बाइट---ऑक्सपाप


झारखंड विधानसभा चुनाव सरगर्मी तेज हो गई है प्रथम चरण की चुनाव 30 नवंबर से होने लाला है और ऐसे में तमाम पार्टियां अपने अपने चुनावी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाने का काम कर रहे हैं किसान व्यापारी छात्रों के जैसे विभिन्न वर्गों को चुनाव में लोक लुभावने वायदे किए जा रहे हैं इन तमाम मुद्दों के बीच ईटीवी भारत लगातार लोगों से जानने की कोशिश कर रही है कि आखिर इस बार विधानसभा चुनाव में उनकी अपनी क्या मुद्दा होगी जिसको लेकर वह सरकार बनाएंगे और विधायक चुनेंगे इसी बीच आज आदिवासी छात्र वर्ग के लोगों से बातचीत जानने की कोशिश की है कि आखिर इस बार आदिवासी छात्र किन मुद्दों को लेकर अपना मताधिकार का प्रयोग करेंगे।





Body:आदिवासी छात्रों का कहना है कि झारखंड में आदिवासियों की संख्या सबसे अधिक है और इन्हीं तमाम चीजों को देखते एकीकृत बिहार से झारखंड को अलग किया गया था ताकि यहां के आदिवासियों का सर्वांगीण विकास हो लेकिन झारखंड बनने के बाद जितने भी सरकारें आई गई सब ने आदिवासियों को सिर्फ चलने का काम किया है सिर्फ आदिवासियों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया गया आज शिक्षा स्वास्थ्य से आदिवासी समाज कोसों दूर है कॉलेजों में क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई को लेकर कोई उचित व्यवस्था नहीं है यहां तक कि शिक्षक तक नहीं है। आदिवासी दलित पिछड़े वर्ग आज खुद को ठगा महसूस करते हैं लेकिन एक बात जरूर है जो वोट का समय आता है तो लोगों की भीड़ कोई खट्टा कर सभाओं में ले जाया जाता है और उन्हें भरपेट खाना खिला दिया जाता है लेकिन उस वर्ग के लोगों के विकास के बारे में कोई नहीं सोचता है इस बार ऐसी सरकार चाहिए जो सबों को लेकर चले और सर्वांगीण विकास करें


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