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पूर्वी राज्यों में नहीं चल रहा बीजेपी का जोर, इसलिए फिसल गई हाथ से सरकार - तेजस्वी यादव

बीजेपी का पूर्वी राज्यों में जोर नहीं चल रहा है. ओडिशा में पार्टी की नहीं चली, झारखंड में ऑपरेशन लोटस फेल हो गया. पश्चिम बंगाल पहले ही दम फुला चुका था. अब बिहार में हाथ से सरकार फिसल गई. पूर्व में बीजेपी की रणनीति क्यों फेल हो रही है, इसके पीछे समीकरण क्या है. यह जानने के लिए पढ़ें ईटीवी भारत झारखंड के स्टेट हेड भूपेंद्र दुबे की रिपोर्ट.

failure of BJP politics in east
पूर्व में बीजेपी की राजनीति फेल
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Published : Aug 9, 2022, 8:48 PM IST

Updated : Aug 9, 2022, 8:56 PM IST

रांचीः बिहार की सियासत में बवंडर आ गया है. एक बार फिर नीतीश कुमार पाला बदलते हुए राष्ट्रीय जनता दल के साथ सरकार बनाने का दावा पेश कर चुके हैं. इसके पीछे जो दलील दी गई है, उसमें यह कहा गया है कि हमारी पार्टी को तोड़ा जा रहा था. लोगों को प्रलोभन दिया जा रहा था. नीतीश की पार्टी के सभी नेताओं ने पूरे जोर से इस दावे को ठोंक दिया. सियासत में सरकार बदलने पार्टियों को तोड़ने नेताओं को खरीदने और नई सरकार बना लेने का एक चलन देश की सियासत में हो गया है. ऐसा सभी राजनैतिक दल आरोप लगा रहे हैं, उसमें सत्ता पक्ष विपक्ष पर आरोप लगा रहा है और विपक्ष सत्ता पक्ष पर. सियासी खिचड़ी का असली परिणाम क्या होगा यह तो सियासतदां और राजनीति का खेल समझने वाले ज्यादा बेहतर तरीके से समझेंगे. लेकिन झारखंड में ऑपरेशन लोटस की शुरुआत और बिहार में ऑपरेशन लोटस की कहानी का पटाक्षेप, एक बात तो साफ तौर पर ही बताता है कि झारखंड में 3 विधायकों को पश्चिम बंगाल में पकड़ कर के जिस घटना का पर्दाफाश किया गया. उसे बिहार में 6 विधायकों के मोबाइल फोन पर हुई बातचीत के आंकड़ों ने स्पष्ट कर दिया और यह भी बता दिया कि राजनीति की डगर बहुत अच्छी तरीके से नहीं चल रही थी.


ये भी पढ़ें-फुटबॉल की तरह राजनीति में 'KICK' मारते हैं नीतीश, फिर दोहराया इतिहास

तेजस्वी साथ गए राजभवनः इन बातों को सियासी हवा और इसलिए भी मिल रही है कि नीतीश कुमार जब तेजस्वी यादव के साथ राजभवन गए. वहां से लौटने के बाद उन्होंने अपने बयान में यह कह दिया कि बीजेपी के साथ जो रहता है बीजेपी उसे ही खत्म कर देती है. यह तो तेजस्वी यादव की एक सामान्य सी बात थी. लेकिन उन्होंने उदाहरण दे दिया कि हाल के दिनों में झारखंड में जो हुआ वह एक नजीर है कि बीजेपी किस तरीके से काम करती है अब सवाल यह उठ रहा है कि झारखंड से जिस चीज की शुरुआत होनी थी वह अपने असली अंजाम तक इसलिए नहीं पहुंच पाया कि बीजेपी झारखंड में जो चाहती थी वह कर नहीं पाई.


फार्मूला हुआ फेलः बीजेपी के लिए पूर्वी भारत के 3 राज्य बड़ी चुनौती बन गए हैं और यहां पर बीजेपी का हर फार्मूला ही फेल होता जा रहा है. लालकृष्ण आडवाणी ने 1992 में रथयात्रा से बिहार झारखंड की जो राजनीतिक रेखा खींची थी वह बीजेपी के लिए उस तरह से कारगर साबित नहीं हुई जो बीजेपी चाहती थी. झारखंड में 2014 में सरकार तो बीजेपी की बन गई लेकिन गैर आदिवासी मुख्यमंत्री का नारा देकर सरकार बनाने वाली बीजेपी की 2019 में लुटिया डूब गई. बिहार में 2015 में बीजेपी ने काफी हवा बनाई थी लेकिन नीतीश लालू के गठबंधन के कारण वह नहीं चल पाई. यह अलग बात है कि नीतीश की नाराजगी ने 2017 में बीजेपी को फिर नीतीश के साथ जोड़ दिया था. लेकिन सियासी समीकरण उसका कदर बीजेपी नहीं बैठा पाई जो 2022 में नीतीश ने बदलकर फिर से भाजपा को विपक्ष में खड़ा कर दिया. पश्चिम बंगाल में बीजेपी का कुछ चला ही नहीं और यह भी यही तीन स्टेट है जो बीजेपी के लिए हर राजनीतिक संकट को खड़ा करेंगे.

सरकार जाना बीजेपी का घाटाः झारखंड में हेमंत सरकार के गठबंधन में कांग्रेस के 3 विधायकों के साथ जिस तरीके से पैसे का खेल खेला गया और पश्चिम बंगाल में इस बात का खुलासा हुआ, उससे एक बात तो साफ है कि बीजेपी के मन में कहीं न कहीं झारखंड को बदलने की राजनीति चल रही थी. बात यही नहीं रूकी झारखंड के तीन विधायक पश्चिम बंगाल में गिरफ्तार हुए तो बिहार में भी सियासी समीकरण कुछ अलग बैठाया जाने लगा. इसे महासंयोग कहा जाए या फिर बदलती राजनीति में स्थिर रहने की सियासत कि जदयू के जिन नेताओं को प्रलोभन मिला वह रूक गए. झारखंड में कानून का दांव पर कुछ ऐसा बैठा कि पूरा दांवपेच ही रूक गया और बीजेपी जिस सियासत को चाहती थी. वह दोनों जगहों पर रूक गई लेकिन बीजेपी का सबसे बड़ा घाटा बिहार में नीतीश के साथ चल रही सरकार का रूक जाना हो गया.

ये भी पढ़ें-एक क्लिक में जानिए बिहार में कैसा होगा सरकार बनने का फॉर्मूला?

बीजेपी के लोग बड़े रणनीतिकार हैं. देश की सियासत की नब्ज को बेहतर तरीके से समझते हैं. अब देखना यह है कि झारखंड में 3 विधायकों पर जो खेल खेला गया था बिहार में 6 विधायकों को किया गया फोन, महाराष्ट्र में बदली गई सरकार, मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को साफ कर लेने के बाद बदली गई राजनीति, जिस तरीके से बीजेपी आधे सरकार वाली पूरी सियासत को कर रही है. वह 2024 की राजनीति में क्या गुल खिला पाएगी, इसकी चर्चा शुरू हो गई है. हालांकि झारखंड में कांग्रेस के प्रभारी ने कह दिया कि बिहार में बदलाव महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बदलाव की नई कहानी लिखेंगे. समझना बीजेपी को है कि अब उसकी सियासी रणनीति क्या होगी यह सबसे अहम है. क्योंकि अपने पुराने सहयोगियों को बीजेपी छोड़ रही है जो मजबूत राजनीतिक रणनीति के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता.

रांचीः बिहार की सियासत में बवंडर आ गया है. एक बार फिर नीतीश कुमार पाला बदलते हुए राष्ट्रीय जनता दल के साथ सरकार बनाने का दावा पेश कर चुके हैं. इसके पीछे जो दलील दी गई है, उसमें यह कहा गया है कि हमारी पार्टी को तोड़ा जा रहा था. लोगों को प्रलोभन दिया जा रहा था. नीतीश की पार्टी के सभी नेताओं ने पूरे जोर से इस दावे को ठोंक दिया. सियासत में सरकार बदलने पार्टियों को तोड़ने नेताओं को खरीदने और नई सरकार बना लेने का एक चलन देश की सियासत में हो गया है. ऐसा सभी राजनैतिक दल आरोप लगा रहे हैं, उसमें सत्ता पक्ष विपक्ष पर आरोप लगा रहा है और विपक्ष सत्ता पक्ष पर. सियासी खिचड़ी का असली परिणाम क्या होगा यह तो सियासतदां और राजनीति का खेल समझने वाले ज्यादा बेहतर तरीके से समझेंगे. लेकिन झारखंड में ऑपरेशन लोटस की शुरुआत और बिहार में ऑपरेशन लोटस की कहानी का पटाक्षेप, एक बात तो साफ तौर पर ही बताता है कि झारखंड में 3 विधायकों को पश्चिम बंगाल में पकड़ कर के जिस घटना का पर्दाफाश किया गया. उसे बिहार में 6 विधायकों के मोबाइल फोन पर हुई बातचीत के आंकड़ों ने स्पष्ट कर दिया और यह भी बता दिया कि राजनीति की डगर बहुत अच्छी तरीके से नहीं चल रही थी.


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तेजस्वी साथ गए राजभवनः इन बातों को सियासी हवा और इसलिए भी मिल रही है कि नीतीश कुमार जब तेजस्वी यादव के साथ राजभवन गए. वहां से लौटने के बाद उन्होंने अपने बयान में यह कह दिया कि बीजेपी के साथ जो रहता है बीजेपी उसे ही खत्म कर देती है. यह तो तेजस्वी यादव की एक सामान्य सी बात थी. लेकिन उन्होंने उदाहरण दे दिया कि हाल के दिनों में झारखंड में जो हुआ वह एक नजीर है कि बीजेपी किस तरीके से काम करती है अब सवाल यह उठ रहा है कि झारखंड से जिस चीज की शुरुआत होनी थी वह अपने असली अंजाम तक इसलिए नहीं पहुंच पाया कि बीजेपी झारखंड में जो चाहती थी वह कर नहीं पाई.


फार्मूला हुआ फेलः बीजेपी के लिए पूर्वी भारत के 3 राज्य बड़ी चुनौती बन गए हैं और यहां पर बीजेपी का हर फार्मूला ही फेल होता जा रहा है. लालकृष्ण आडवाणी ने 1992 में रथयात्रा से बिहार झारखंड की जो राजनीतिक रेखा खींची थी वह बीजेपी के लिए उस तरह से कारगर साबित नहीं हुई जो बीजेपी चाहती थी. झारखंड में 2014 में सरकार तो बीजेपी की बन गई लेकिन गैर आदिवासी मुख्यमंत्री का नारा देकर सरकार बनाने वाली बीजेपी की 2019 में लुटिया डूब गई. बिहार में 2015 में बीजेपी ने काफी हवा बनाई थी लेकिन नीतीश लालू के गठबंधन के कारण वह नहीं चल पाई. यह अलग बात है कि नीतीश की नाराजगी ने 2017 में बीजेपी को फिर नीतीश के साथ जोड़ दिया था. लेकिन सियासी समीकरण उसका कदर बीजेपी नहीं बैठा पाई जो 2022 में नीतीश ने बदलकर फिर से भाजपा को विपक्ष में खड़ा कर दिया. पश्चिम बंगाल में बीजेपी का कुछ चला ही नहीं और यह भी यही तीन स्टेट है जो बीजेपी के लिए हर राजनीतिक संकट को खड़ा करेंगे.

सरकार जाना बीजेपी का घाटाः झारखंड में हेमंत सरकार के गठबंधन में कांग्रेस के 3 विधायकों के साथ जिस तरीके से पैसे का खेल खेला गया और पश्चिम बंगाल में इस बात का खुलासा हुआ, उससे एक बात तो साफ है कि बीजेपी के मन में कहीं न कहीं झारखंड को बदलने की राजनीति चल रही थी. बात यही नहीं रूकी झारखंड के तीन विधायक पश्चिम बंगाल में गिरफ्तार हुए तो बिहार में भी सियासी समीकरण कुछ अलग बैठाया जाने लगा. इसे महासंयोग कहा जाए या फिर बदलती राजनीति में स्थिर रहने की सियासत कि जदयू के जिन नेताओं को प्रलोभन मिला वह रूक गए. झारखंड में कानून का दांव पर कुछ ऐसा बैठा कि पूरा दांवपेच ही रूक गया और बीजेपी जिस सियासत को चाहती थी. वह दोनों जगहों पर रूक गई लेकिन बीजेपी का सबसे बड़ा घाटा बिहार में नीतीश के साथ चल रही सरकार का रूक जाना हो गया.

ये भी पढ़ें-एक क्लिक में जानिए बिहार में कैसा होगा सरकार बनने का फॉर्मूला?

बीजेपी के लोग बड़े रणनीतिकार हैं. देश की सियासत की नब्ज को बेहतर तरीके से समझते हैं. अब देखना यह है कि झारखंड में 3 विधायकों पर जो खेल खेला गया था बिहार में 6 विधायकों को किया गया फोन, महाराष्ट्र में बदली गई सरकार, मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को साफ कर लेने के बाद बदली गई राजनीति, जिस तरीके से बीजेपी आधे सरकार वाली पूरी सियासत को कर रही है. वह 2024 की राजनीति में क्या गुल खिला पाएगी, इसकी चर्चा शुरू हो गई है. हालांकि झारखंड में कांग्रेस के प्रभारी ने कह दिया कि बिहार में बदलाव महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बदलाव की नई कहानी लिखेंगे. समझना बीजेपी को है कि अब उसकी सियासी रणनीति क्या होगी यह सबसे अहम है. क्योंकि अपने पुराने सहयोगियों को बीजेपी छोड़ रही है जो मजबूत राजनीतिक रणनीति के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता.

Last Updated : Aug 9, 2022, 8:56 PM IST
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