रांची: झारखंड एकेडमिक काउंसिल, सीबीएसई, आईसीएसई, बोर्ड समेत विभिन्न राज्य बोर्ड के परीक्षा परिणाम आने के बाद देशभर में नामांकन का दौर जारी है. झारखंड के विभिन्न प्राइवेट विश्वविद्यालयों के साथ-साथ 7 सरकारी विश्वविद्यालयों में भी नामांकन को लेकर होड़ मची है. इसके बावजूद सीटे खाली रह जा रही है.
राजधानी स्थित रांची विश्वविद्यालय (RU) और डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (DSPMU) में भी एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है. झारखंड में ग्रेजुएशन में दाखिला के लिए चांसलर पोर्टल के माध्यम से विद्यार्थियों ने आवेदन दिया है. रांची विश्वविद्यालय में इस बार 45,556 आवेदन आए हैं. रांची विश्वविद्यालय के 4 नए कॉलेजों में दाखिले के लिए काफी कम अभ्यर्थियों ने आवेदन दिया है. जिसमें मॉडल डिग्री कॉलेज घाघरा में 5 आवेदन मिले हैं. मॉडल डिग्री कॉलेज में 50 आवेदन, विमेंस कॉलेज लोहरदगा में सिर्फ 4 आवेदन प्राप्त हुए हैं. सिमडेगा कॉलेज में सिर्फ 2 आवेदन आए हैं.
ये भी पढ़ें- रांची यूनिवर्सिटी में जनजाति और क्षेत्रीय भाषा विभाग हुआ स्वतंत्र, टीएन साहू बने पहले डीन
मामले को लेकर छात्र संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा है कि चांसलर पोर्टल में कई त्रुटियां हैं. इस वजह से नामांकन में परेशानी हो रही है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े परीक्षार्थी नामांकन कराने में असमर्थ है. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष नामांकन में काफी गिरावट आई है.
डीएसपीएमयू में भी कम नामांकन
राजधानी रांची स्थित डीएसपीएमयू में भी ग्रेजुएशन में दाखिले के लिए पिछले वर्ष की तुलना में कम आवेदन आए हैं. इस वर्ष 14,208 आवेदन प्राप्त हुए हैं. जिसमें 3000 विद्यार्थियों ने अलग-अलग विषयों में दाखिला ले लिया है. दाखिले को लेकर एक परेशानी यह भी आ रही है कि इंटरमीडिएट के रिजल्ट में अच्छे प्रतिशत वालों को पहली प्राथमिकता दी जा रही है. डीएसपीएमयू में भी पिछले वर्ष की तुलना में 1000 आवेदन कम प्राप्त हुए हैं.
सरल करना होगा प्रक्रिया.
राज्य के विश्वविद्यालयों को नामांकन को लेकर गंभीर होने की जरूरत है. चांसलर पोर्टल को और सरल बनाने की आवश्यकता है. कोरोना वायरस के कारण राज्य के विद्यार्थी इस सत्र में भी बाहर नहीं जाना चाहते हैं. ऐसी स्थिति में वह विद्यार्थी राज्य के अंदर ही विभिन्न विश्वविद्यालयों में नामांकन लेकर उच्च शिक्षा हासिल करना चाहते हैं. ऐसे में नामांकन प्रक्रिया अगर जटिल होगी तो विद्यार्थियों को काफी परेशानियां आएगी और इन परेशानियों की वजह से ही विश्वविद्यालयो में नामांकन की प्रतिशत इस सत्र में अब तक काफी कम दिख रही है. जो चिंता का विषय है.