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कोरोना का किसानों पर दोहरा वार, ग्राहक न मिलने से खेत में खराब हो रही सब्जी, बीज वितरण में भी देरी - effect of corona on farmers in jharkhand

कोरोना के चलते किसान दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं. एक तरफ ग्राहक न मिलने से खेत में सब्जी की फसल बर्बाद हो रही है वहीं दूसरी तरफ धान के बीज मिलने में देरी से भी किसानों की चिंता बढ़ गई है.

Farmers face problems due to Corona
कोरोना के चलते किसानों को दिक्कत
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Published : May 11, 2021, 10:52 PM IST

Updated : May 11, 2021, 11:01 PM IST

रांची: कोरोना ने किसानों पर दोहरा वार किया है. दूसरी लहर ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. एक तरफ ग्राहक न मिलने से खेतों में लगी सब्जी की फसल बर्बाद हो रही है. वहीं, दूसरी तरफ खरीफ फसल का बीज सरकार की तरफ से किसानों को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ गईं हैं. कोरोना के कारण इस वर्ष किसानों को धान सहित अन्य खरीफ फसलों का सरकारी बीज मिलने में देरी की आशंका है. कृषि विभाग के अधिकांश कर्मियों और अधिकारियों के कोरोना संक्रमित होने के कारण 25 मई यानी बीज दिवस के अवसर पर शुरू होने वाले सरकारी अनुदानित कृषि बीज के वितरण कार्यक्रम की तैयारी पर ब्रेक लग गया है.

देखें स्पेशल खबर

यह भी पढ़ें: चिकित्सा उपकरणों की बढ़ी मांग, दाम बढ़ने से डेढ़ लाख में मिल रहा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर

बीज के लिए टेंडर प्रक्रिया भी अधूरी

हर वर्ष बीज दिवस से झारखंड के किसानों को अनुदानित दर पर राज्य सरकार धान और अन्य खरीफ फसल के बीज उपलब्ध कराती थी. इसके लिए राज्य सरकार ने पिछले वर्ष कैलेंडर भी जारी किया था. लेकिन, हालत यह है कि अभी तक बीज उपलब्ध कराने के लिए टेंडर प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पाई है. ऐसे में समय पर बीज उपलब्ध नहीं होने से राज्य के किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.

धान की खेती के लिए किसान मई के अंतिम सप्ताह से खेतों में बीज डालते हैं. प्री मॉनसून के दौरान होने वाली हल्की बारिश, धान के बिचड़ा के लिए अच्छी मानी जाती है. धान की खेती के लिए बीज की क्वालिटी के अनुसार प्रति हेक्टेयर में 70-100 किलो बीज की आवश्यकता होती है. राज्य सरकार ने पिछले वर्ष 1800 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया था. अगर पिछले वर्ष को ही इस वर्ष भी आधार माना जाए तो किसानों को सिर्फ धान के लिए 12 लाख क्विंटल से लेकर 18 लाख क्विंटल बीज की आवश्यकता होगी.

औने पौने दामों पर हो रही सब्जियों की बिक्री

एक तरफ कोरोना भारी तबाही लेकर आया है, वहीं दूसरी तरफ ग्राहक नहीं मिलने की वजह से किसानों की फसल बर्बाद हो रही है. रांची के हेतू गांव के किसानों का कहना है कि सब्जी बेचकर धान की खेती के लिए पैसा जमा करते हैं. लेकिन, कोरोना के कारण सब्जी की बिक्री भी औने-पौने दामों में हो रही है. खेतों में लगी फसल को बर्बाद होता देख किसान काफी परेशान हैं. लॉकडाउन के चलते भी दिक्कत हो रही है.

यह भी पढ़ें: परेशानी में परिजनः खाने-पीने की दिक्कत, खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर

कृषि मंत्री बोले-जल्द कदम उठाएगी सरकार

राज्य सरकार की तरफ से इस वर्ष के बजट में कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दिया गया है जिसके तहत किसान समृद्धि योजना के लिए 45 करोड़ का प्रावधान किया गया है. कृषि पशुपालन के लिए 18,653 करोड़ की राशि आवंटित की गई है. किसानों की कर्ज माफी के लिए 1200 करोड़ का प्रावधान किया गया है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का कहना है कि कोरोना की वजह से सरकार के कामकाज प्रभावित हुए हैं. इसके बाबजूद सरकार किसानों की परेशानी को समझते हुए जल्द ही फैसला लेकर कदम उठायेगी जिससे किसानों को अनुदानित दर पर कृषि बीज उपलब्ध हो सके.

रांची: कोरोना ने किसानों पर दोहरा वार किया है. दूसरी लहर ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. एक तरफ ग्राहक न मिलने से खेतों में लगी सब्जी की फसल बर्बाद हो रही है. वहीं, दूसरी तरफ खरीफ फसल का बीज सरकार की तरफ से किसानों को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ गईं हैं. कोरोना के कारण इस वर्ष किसानों को धान सहित अन्य खरीफ फसलों का सरकारी बीज मिलने में देरी की आशंका है. कृषि विभाग के अधिकांश कर्मियों और अधिकारियों के कोरोना संक्रमित होने के कारण 25 मई यानी बीज दिवस के अवसर पर शुरू होने वाले सरकारी अनुदानित कृषि बीज के वितरण कार्यक्रम की तैयारी पर ब्रेक लग गया है.

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बीज के लिए टेंडर प्रक्रिया भी अधूरी

हर वर्ष बीज दिवस से झारखंड के किसानों को अनुदानित दर पर राज्य सरकार धान और अन्य खरीफ फसल के बीज उपलब्ध कराती थी. इसके लिए राज्य सरकार ने पिछले वर्ष कैलेंडर भी जारी किया था. लेकिन, हालत यह है कि अभी तक बीज उपलब्ध कराने के लिए टेंडर प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पाई है. ऐसे में समय पर बीज उपलब्ध नहीं होने से राज्य के किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.

धान की खेती के लिए किसान मई के अंतिम सप्ताह से खेतों में बीज डालते हैं. प्री मॉनसून के दौरान होने वाली हल्की बारिश, धान के बिचड़ा के लिए अच्छी मानी जाती है. धान की खेती के लिए बीज की क्वालिटी के अनुसार प्रति हेक्टेयर में 70-100 किलो बीज की आवश्यकता होती है. राज्य सरकार ने पिछले वर्ष 1800 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया था. अगर पिछले वर्ष को ही इस वर्ष भी आधार माना जाए तो किसानों को सिर्फ धान के लिए 12 लाख क्विंटल से लेकर 18 लाख क्विंटल बीज की आवश्यकता होगी.

औने पौने दामों पर हो रही सब्जियों की बिक्री

एक तरफ कोरोना भारी तबाही लेकर आया है, वहीं दूसरी तरफ ग्राहक नहीं मिलने की वजह से किसानों की फसल बर्बाद हो रही है. रांची के हेतू गांव के किसानों का कहना है कि सब्जी बेचकर धान की खेती के लिए पैसा जमा करते हैं. लेकिन, कोरोना के कारण सब्जी की बिक्री भी औने-पौने दामों में हो रही है. खेतों में लगी फसल को बर्बाद होता देख किसान काफी परेशान हैं. लॉकडाउन के चलते भी दिक्कत हो रही है.

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कृषि मंत्री बोले-जल्द कदम उठाएगी सरकार

राज्य सरकार की तरफ से इस वर्ष के बजट में कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दिया गया है जिसके तहत किसान समृद्धि योजना के लिए 45 करोड़ का प्रावधान किया गया है. कृषि पशुपालन के लिए 18,653 करोड़ की राशि आवंटित की गई है. किसानों की कर्ज माफी के लिए 1200 करोड़ का प्रावधान किया गया है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का कहना है कि कोरोना की वजह से सरकार के कामकाज प्रभावित हुए हैं. इसके बाबजूद सरकार किसानों की परेशानी को समझते हुए जल्द ही फैसला लेकर कदम उठायेगी जिससे किसानों को अनुदानित दर पर कृषि बीज उपलब्ध हो सके.

Last Updated : May 11, 2021, 11:01 PM IST
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