रांची: झारखंड में हेमंत सरकार के बनने के बाद युवाओं में उम्मीद जगी थी कि नई सरकार के मुखिया उन्हें बेरोजगारी भत्ता मुहैया कराएंगे. हेमंत सोरेन ने चुनाव से पूर्व राज्य के शिक्षित बेरोजगारों को आर्थिक सहायता देने के लिए मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना के द्वारा भत्ता देने का ऐलान किया था. इस योजना को लागू करने के लिए अप्रैल से ही प्रक्रिया शुरू हो गई थी.
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योजना के तहत सिर्फ तकनीकी रूप से प्रशिक्षित बेरोजगारों को साल में एक बार पांच हजार रुपये प्रोत्साहन भत्ता दिया जाना था. लेकिन, ईटीवी भारत की टीम ने जब युवाओं से बात की और इस योजना के बारे में पड़ताल की तो पता चला कि सरकार यह वादा पूरा नहीं कर रही है. युवाओं की उम्मीदें टूट रही है.
झामुमो ने किया था बेरोजगारी भत्ता देने का ऐलान
चुनाव से पूर्व वर्तमान में सत्ता पर काबिज झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने घोषणा पत्र में यह साफ लिखा था कि नौकरी नहीं मिलने पर सभी बेरोजगार युवाओं को स्नातक स्तर पर पांच हजार रुपए और स्नातकोत्तर स्तर पर सात हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा. लेकिन, सरकार ने इन दोनों को ही इस योजना में शामिल नहीं किया. इसकी जगह तकनीकी प्रशिक्षण कोर्स के छात्रों को इसका लाभ देने घोषणा की. योजना के तहत विधवा, दिव्यांग, आदिम जनजाति के युवाओं को 50% अधिक भत्ता यानी कुल 7500 रुपये सालाना देने की घोषणा की लेकिन लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका है.
अधिकारी बोले-216 छात्रों का लिस्ट तैयार, जल्द राशि मुहैया होगी
नियोजन कार्यालय के सहायक निदेशक निशिकांत मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि फिलहाल वैसे युवाओं को दिया जा रहा है जो सरकार और विभाग के द्वारा संचालित आईटीआई और पॉलिटेक्निक कॉलेज से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. साथ ही कौशल विकास से प्रशिक्षित हो चुके वैसे बच्चों के लिए प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. उन्होंने बताया कि इसका एक उद्देश्य यह है कि सरकारी संस्थानों में ज्यादा से ज्यादा बच्चे एडमिशन लें. इसके अलावा वैसे युवा जो कौशल विकास, पॉलिटेक्निक और आईटीआई कॉलेज से प्रशिक्षित हो चुके हैं और उन्हें अपने भविष्य के लिए कुछ करना है तो उनके लिए यह प्रोत्साहन राशि काम आ सके. उन्होंने बताया कि वर्तमान में 216 छात्रों का लिस्ट तैयार किया गया है जो मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि के लिए चयनित हुए हैं और उन्हें जल्द से जल्द प्रोत्साहन राशि मुहैया करा दी जाएगी.
नियोजन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इस योजना की अवधि फिलहाल एक साल ही है. अगले साल इस योजना का लाभ युवाओं को मिल पाएगा या नहीं. इसकी भी अभी तक कोई जानकारी विभाग की तरफ से उपलब्ध नहीं कराई जा रही है. बेरोजगारी का दंश झेल रहे विकास चौबे बताते हैं कि वर्तमान सरकार रोजगार के प्रति गलत रवैया अपनाई हुई है. सरकार की नियोजन नीति आदिवासी और सामान्य जाति को आधार मानकर बनाई गई थी जिसके चक्कर में रोजगार का पूरा मामला फंसा हुआ है. इसलिए जेपीएससी, एसएससी जैसी परीक्षा का परिणाम नहीं आ पा रहा है.
आर्ट्स के विद्यार्थियों को कैसे मिलेगा लाभ?
वर्षों से नौकरी की तलाश कर रहे बेरोजगार युवा विकास पांडे बताते हैं कि सरकार जो भी बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही है वह धरातल पर कहीं नहीं दिख रही है. उन्होंने सरकार की नीति को गलत बताते हुए कहा कि बेरोजगारी भत्ता देने का आधार ही गलत है क्योंकि सरकार वर्तमान में उसी को बेरोजगारी भत्ता दे रही है जो तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त हैं. जो छात्र आर्ट्स या अन्य विषय से स्नातक या स्नातकोत्तर है वह दर-दर भटकने को मजबूर हैं.
भाजपा का हेमंत सरकार पर हमला
युवाओं के बेरोजगारी की समस्या को लेकर भाजपा ने हेमंत सरकार पर हमला बोला है. भाजपा प्रवक्ता दीनदयाल वर्णवाल का कहना है कि हेमंत सरकार युवाओं से छल कर रही है. मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि युवाओं के लिए सिर्फ छलावा है क्योंकि साल में 5000 रुपए से कोई भी युवा अपना किसी भी तरह का खर्च वहन नहीं कर सकता. इसलिए राज्य के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए भाजपा सड़क से सदन तक सरकार को घेरेगी.
झारखंड में बेरोजगारी को देखते हुए यह जरूरी है कि सरकार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराए. सरकार अगर रोजगार नहीं उपलब्ध करा पाती है तो अपने वादे के मुताबिक शिक्षित बेरोजगारों को भत्ता दे ताकि युवाओं को कोई दिक्कत नहीं हो.