रांची: राजधानी रांची में सेना की जमीन की खरीद फरोख्त में गड़बड़ी (Army Land Forgery Case in Ranchi) के पुख्ता साक्ष्य मिलने के बाद ईडी ने इस मामले में जांच तेज कर दी है. ईडी ने इस मामले में रांची के बड़े कारोबारी विष्णु अग्रवाल को समन (ED summons Vishnu Aggarwal) भेज कर आठ नवंबर को एजेंसी के रांची जोनल ऑफिस बुलाया है.
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दो ठिकानों पर हुई थी रेड: विष्णु अग्रवाल के दो ठिकानों पर ईडी ने चार नवंबर को छापेमारी की थी. ईडी सूत्रों के मुताबिक, विष्णु अग्रवाल ने रांची के सिरमटोली में भी सेना की जमीन की खरीद की है. साथ ही अलग-अलग जगहों पर सेना की जमीन की खरीद का संदेहास्पद मामला सामने आया है. ऐसे में इन सारी पहलूओं पर विष्णु अग्रवाल से ईडी पूछताछ करेगी. बरियातू में सेना की 4.55 एकड़ जमीन की खरीद के मामले में प्रदीप बागची, दिलीप घोष समेत अन्य लोगों का भी बयान ईडी दर्ज कराएगी.
जमीन संबंधी कई रिकॉर्ड ईडी ने मांगे: ईडी ने रांची में जमीन संबंधी कई रिकार्ड रजिस्ट्री ऑफिस से मांगे हैं. सेना की अलग अलग जमीनों की खरीद फरोख्त ये जुड़े कागजात, जमीन के सारे रिकॉर्ड की मांग की गई है. वहीं रांची में अलग-अलग नेचर की जमीन भी गलत तरीके से बेचे जाने का सनसनीखेज मामला एजेंसी के समक्ष आया है. सेना की जमीन की खरीद फरोख्त में फर्जीवाड़े के जरिए रांची में रियल स्टेट में बड़ा घोटाला सामने आने का अंदेशा ईडी के अधिकारियों को है.
नेताओं-नौकरशाहों के पैसे का निवेश: ईडी को अंदेशा है कि जेल में बंद अमित अग्रवाल व रांची के कारोबारी विष्णु अग्रवाल ने बड़े नेताओं व नौकरशाहों की अवैध कमायी का निवेश जमीन समेत कई कारोबार में किया है. चार नवंबर को छापेमारी के दौरान विष्णु अग्रवाल के कांके रोड स्थित आवास और न्यूक्लियस मॉल स्थित दफ्तर से कई कागजात ईडी ने हासिल किए हैं. ईडी को यह तथ्य मिला है कि विष्णु अग्रवाल कई लोगों का समूह बनाकर उनके नाम पर रियल स्टेट में निवेश किया करते थे. ईडी को इससे संबंधित कागजात भी मिले हैं. वहीं जगत बंधु टी स्टेट नाम की कंपनी के जरिए अमित अग्रवाल ने सेना की जमीन को फर्जी तरीके से हथियाने की कोशिश की थी. वह इस कंपनी के निदेशक मंडल से हट चुका था, लेकिन कोलकाता के ठाकुरिया निवासी कारोबारी दिलीप घोष, संजय घोष के जरिए वह जमीन की खरीद में लगा था. गौरतलब है कि अमित अग्रवाल को ईडी ने पूर्व में अधिवक्ता राजीव कुमार को घूस देने से जुड़े केस में गिरफ्तार किया था.
फर्जी दस्तावेज के आधार पर खरीद बिक्री का हुआ था खुलासा: रांची के तत्कालीन आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी के रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि प्रदीप बागची ने फर्जी रैयत बनकर जगत बंधु टी स्टेट के निदेशक दिलीप कुमार घोष को जमीन बेच दी थी. जमीन की खरीद बिक्री के लिए बागची के द्वारा दो होल्डिंग लगाए गए थे, यह दोनों भी जांच में फर्जी पाए गए थे. जिसके बाद नगर निगम के कर संग्रहकर्ता दिलीप शर्मा ने इस मामले में बरियातू थाना में केस दर्ज कराया था. इसी केस के आधार पर ईडी ने ईसीआईआर दर्ज की. आयुक्त की जांच में सेना के कब्जे वाली जमीन के असली मालिक की पहचान जयंत करनाड के तौर पर हुई थी. वहीं इस मामले में उपेंद्र कुमार ने एक अन्य प्राथमिकी के लिए कोर्ट में आवेदन दिया था. जिसमें तत्कालीन नगर आयुक्त मुकेश कुमार, प्रदीप बागची, वैभव मणी त्रिपाठी, जगत बंधु टी स्टेट के दिलीप घोष समेत अन्य को आरोपी बनाया गया था.