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...तो क्या रामगढ़ की तरह डुमरी उपचुनाव में भी खेला कर सकता है एनडीए, आंकड़ों से जानिए संभावनाएं - झारखंड उपचुनाव

डुमरी उपचुनाव की घोषणा हो गई है. तारीख के एलान होने के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी दावेदारी तेज कर दी है. रामगढ़ को छोड़कर पिछले कुछ उपचुनावों में सत्ताधारी दल के प्रत्याशियों ने ही बाजी मारी है. इसबार फिर एनडीए यहां पर रामगढ़ वाली कहानी दोहराना चाहता है, लेकिन जेएमएम के इस स्ट्रॉन्ग होल्ड में भगवा लहराना आसान नहीं होगा.

Dumri by polls 2023
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Published : Aug 10, 2023, 6:45 PM IST

Updated : Aug 10, 2023, 9:25 PM IST

रांची: चुनाव आयोग ने डुमरी उपचुनाव की घोषणा कर दी है. यहां पर 5 सितंबर को मतदान होगा और 8 सितंबर को काउंटिंग है. इस सीट को जीतने के लिए पिछले कुछ महीनों से राजनीतिक दलों ने जोर-आजमाइश शुरू कर दी है. बडे़-बड़े नेताओं का डुमरी में दौरा हो रहा है.

ये भी पढ़ें- डुमरी में बजी चुनावी डुगडुगी, जयराम महतो की क्या होगी भूमिका, क्या है झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति की तैयारी

बड़े बड़े नेताओं ने संभाल रखा है मोर्चा: सत्ताधारी दल की ओर से खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मोर्चा संभाले हुए हैं. पिछले एक महीने के अंदर तीन बार उन्होंने इस क्षेत्र का दौरा किया है. कई योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया गया है. लोगों के बीच में परिसंपत्तियों का वितरण भी हुआ है. वहीं विपक्ष की ओर से बाबूलाल मरांडी लगातार सक्रिय हैं, क्योंकि उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद यह पहला चुनाव है. लेकिन सवाल है कि जनता के मन में क्या है, ये तो 8 सितंबर को ही पता चलेगा.

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जेएमएम का स्ट्रॉन्ग होल्ड है डुमरी: 1980 से लेकर 2019 तक हुए 9 विधानसभा चुनाव में जेएमएम ने यहां पर छह बार जीत हासिल की है. दो बार यह सीट जेडीयू के खाते में गई है, जबकि एक बार यहां से निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई है. शिवा महतो यहां से तीन बार विधायक रहे, जबकि लालचंद महतो ने दो बार जीत दर्ज की है. 2005 से लेकर 2019 तक लगाता चार बार जेएमएम की ओर से जगरनाथ महतो ने यहां से प्रतिनिधित्व किया है.

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झारखंड अलग होने के बाद क्या रहा हाल: 2000 में झारखंड राज्य बनने के बाद 2005 में पहली बार यहां पर विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में जेएमएम के जगरनाथ महतो ने 18,010 वोट से जीत हासिल की थी. उन्हें कुल 41,784 वोट मिले थे. जबकि आरजेडी के उम्मीदवार लालचंद महतो को 23,774 वोट मिले थे. 2009 में यहां हुए चुनाव में जगरनाथ महतो ने दूसरी बार 13,668 वोट से जीत दर्ज की. इस बार उन्हें 33,960 वोट मिले, वहीं दूसरे नंबर पर रहे जेडीयू के दामोदर प्रसाद महतो को 20,292 वोट मिले. 2014 हुए विधानसभा चुनाव में मोदी लहर में भी टाइगर कहे जाने वाले जगरनाथ महतो ने 32,462 वोट से इस सीट पर कब्जा किया था. इस बार उनपर 77,949 लोगों ने विश्वास किया. वहीं दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी के उम्मीदवार लालचंद महतो पर 45,487 लोगों ने भरोसा किया.

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डुमरी और रामगढ़ में समानता: रामगढ़ में ममता देवी ने 2019 में 28,718 वोटों से जीत हासिल की थी. वहीं, डुमरी से जगरनाथ महतो ने 34,840 वोट से जीत दर्ज की थी. 2019 में बीजेपी और आजसू अलग-अलग चुनाव मैदान में थे. लेकिन अब आजसू फिर से एनडीए का हिस्सा बन चुका है. अलग-अलग चुनाव लड़ने के कारण 2019 में रामगढ़ में ममता देवी को कुल 99,944 वोट मिले, आजसू की प्रत्याशी सुनीता चौधरी दूसरे नंबर पर रहीं, उन्हें कुल 71,226 वोट मिले. वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी प्रत्याशी रणंजय सिंह रहे उन्हें कुल 31,874 वोट मिले थे. इसी तरह डुमरी में भी 2019 के विधानसभा चुनाव में जगरनाथ महतो को 71,128 वोट, आजसू की यशोदा देवी को 36,840 वोट और भाजपा के प्रदीप साहू को 36,013 वोट मिले थे.

ये भी पढ़ें- Dumri By-election: आज से नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू, 17 अगस्त तक प्रत्याशी भर सकेंगे पर्चा

एनडीए के लिए डुमरी में डंका बजाना कैसे संभव है: डुमरी में फिर से रामगढ़ वाली कहानी दोहराने की कोशिश में एनडीए है. यह संभव भी हो सकता है, जिस तरह से रामगढ़ में 2019 में एनडीए के वोट (आजसू + बीजेपी) का विखराव हुआ था उसे एकजुट करने में एनडीए सफल हुआ, एनडीए प्रत्याशी सुनीता चौधरी जीतीं, 21,644 वोट से जीत हासिल की. उसी तरह से डुमरी में भी 2019 में एनडीए के वोट का बिखराव हुआ था, जिसे समेटने में बाबूलाल मरांडी और सुदेश महतो लगे हुए हैं. 2019 में आजसू (36,840 वोट) और भाजपा (36,013 वोट) को मिले वोट को जोड़ दें तो 72,853 हो जाते हैं जो जगरनाथ महतो को मिले 71,128 वोट से अधिक हो जाते हैं. लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि अगर बीजेपी चुनाव लड़ती है तो आजसू का वोट उसे मिल पाता है या नहीं, अगर आजसू चुनाव लड़ता है तो बीजेपी का वोट ट्रांसफर होता है कि नहीं, क्योंकि डुमरी की परिस्थितियां रामगढ़ से अलग हैं.

रांची: चुनाव आयोग ने डुमरी उपचुनाव की घोषणा कर दी है. यहां पर 5 सितंबर को मतदान होगा और 8 सितंबर को काउंटिंग है. इस सीट को जीतने के लिए पिछले कुछ महीनों से राजनीतिक दलों ने जोर-आजमाइश शुरू कर दी है. बडे़-बड़े नेताओं का डुमरी में दौरा हो रहा है.

ये भी पढ़ें- डुमरी में बजी चुनावी डुगडुगी, जयराम महतो की क्या होगी भूमिका, क्या है झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति की तैयारी

बड़े बड़े नेताओं ने संभाल रखा है मोर्चा: सत्ताधारी दल की ओर से खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मोर्चा संभाले हुए हैं. पिछले एक महीने के अंदर तीन बार उन्होंने इस क्षेत्र का दौरा किया है. कई योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया गया है. लोगों के बीच में परिसंपत्तियों का वितरण भी हुआ है. वहीं विपक्ष की ओर से बाबूलाल मरांडी लगातार सक्रिय हैं, क्योंकि उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद यह पहला चुनाव है. लेकिन सवाल है कि जनता के मन में क्या है, ये तो 8 सितंबर को ही पता चलेगा.

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जेएमएम का स्ट्रॉन्ग होल्ड है डुमरी: 1980 से लेकर 2019 तक हुए 9 विधानसभा चुनाव में जेएमएम ने यहां पर छह बार जीत हासिल की है. दो बार यह सीट जेडीयू के खाते में गई है, जबकि एक बार यहां से निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई है. शिवा महतो यहां से तीन बार विधायक रहे, जबकि लालचंद महतो ने दो बार जीत दर्ज की है. 2005 से लेकर 2019 तक लगाता चार बार जेएमएम की ओर से जगरनाथ महतो ने यहां से प्रतिनिधित्व किया है.

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झारखंड अलग होने के बाद क्या रहा हाल: 2000 में झारखंड राज्य बनने के बाद 2005 में पहली बार यहां पर विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में जेएमएम के जगरनाथ महतो ने 18,010 वोट से जीत हासिल की थी. उन्हें कुल 41,784 वोट मिले थे. जबकि आरजेडी के उम्मीदवार लालचंद महतो को 23,774 वोट मिले थे. 2009 में यहां हुए चुनाव में जगरनाथ महतो ने दूसरी बार 13,668 वोट से जीत दर्ज की. इस बार उन्हें 33,960 वोट मिले, वहीं दूसरे नंबर पर रहे जेडीयू के दामोदर प्रसाद महतो को 20,292 वोट मिले. 2014 हुए विधानसभा चुनाव में मोदी लहर में भी टाइगर कहे जाने वाले जगरनाथ महतो ने 32,462 वोट से इस सीट पर कब्जा किया था. इस बार उनपर 77,949 लोगों ने विश्वास किया. वहीं दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी के उम्मीदवार लालचंद महतो पर 45,487 लोगों ने भरोसा किया.

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डुमरी और रामगढ़ में समानता: रामगढ़ में ममता देवी ने 2019 में 28,718 वोटों से जीत हासिल की थी. वहीं, डुमरी से जगरनाथ महतो ने 34,840 वोट से जीत दर्ज की थी. 2019 में बीजेपी और आजसू अलग-अलग चुनाव मैदान में थे. लेकिन अब आजसू फिर से एनडीए का हिस्सा बन चुका है. अलग-अलग चुनाव लड़ने के कारण 2019 में रामगढ़ में ममता देवी को कुल 99,944 वोट मिले, आजसू की प्रत्याशी सुनीता चौधरी दूसरे नंबर पर रहीं, उन्हें कुल 71,226 वोट मिले. वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी प्रत्याशी रणंजय सिंह रहे उन्हें कुल 31,874 वोट मिले थे. इसी तरह डुमरी में भी 2019 के विधानसभा चुनाव में जगरनाथ महतो को 71,128 वोट, आजसू की यशोदा देवी को 36,840 वोट और भाजपा के प्रदीप साहू को 36,013 वोट मिले थे.

ये भी पढ़ें- Dumri By-election: आज से नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू, 17 अगस्त तक प्रत्याशी भर सकेंगे पर्चा

एनडीए के लिए डुमरी में डंका बजाना कैसे संभव है: डुमरी में फिर से रामगढ़ वाली कहानी दोहराने की कोशिश में एनडीए है. यह संभव भी हो सकता है, जिस तरह से रामगढ़ में 2019 में एनडीए के वोट (आजसू + बीजेपी) का विखराव हुआ था उसे एकजुट करने में एनडीए सफल हुआ, एनडीए प्रत्याशी सुनीता चौधरी जीतीं, 21,644 वोट से जीत हासिल की. उसी तरह से डुमरी में भी 2019 में एनडीए के वोट का बिखराव हुआ था, जिसे समेटने में बाबूलाल मरांडी और सुदेश महतो लगे हुए हैं. 2019 में आजसू (36,840 वोट) और भाजपा (36,013 वोट) को मिले वोट को जोड़ दें तो 72,853 हो जाते हैं जो जगरनाथ महतो को मिले 71,128 वोट से अधिक हो जाते हैं. लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि अगर बीजेपी चुनाव लड़ती है तो आजसू का वोट उसे मिल पाता है या नहीं, अगर आजसू चुनाव लड़ता है तो बीजेपी का वोट ट्रांसफर होता है कि नहीं, क्योंकि डुमरी की परिस्थितियां रामगढ़ से अलग हैं.

Last Updated : Aug 10, 2023, 9:25 PM IST
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