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फिर विवादों में घिरा जेपीएससी, हाई कोर्ट के शरण में पहुंचे डीएसपीएमयू के रजिस्ट्रार - जेपीएससी के खिलाफ हाई कोर्ट जाने की तैयारी

झारखंड लोक सेवा आयोग विवादों में घिर गया है. जेपीएससी की ओर से राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में रजिस्ट्रार, असिस्टेंट रजिस्ट्रार, एफओ, एग्जामिनेशन कंट्रोलर के अलावा विभिन्न पदों में नियुक्ति को लेकर विज्ञापन निकाला गया था, लेकिन विज्ञापन के आधार पर नियुक्तियां नहीं की जा रही है. इसे लेकर अभ्यर्थी हाई कोर्ट जाने की तैयारी में हैं.

DSPMU registrar reached Jharkhand High Court against JPSC
विवादों में जेपीएससी
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Published : Dec 7, 2020, 3:24 PM IST

रांची: एक बार फिर जेपीएससी पर गंभीर आरोप लगा है. झारखंड लोक सेवा आयोग विवादों के घेरे में फिर आ गया है. कुछ दिन पहले ही जेपीएससी की ओर से राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में रजिस्ट्रार, असिस्टेंट रजिस्ट्रार, एफओ, एग्जामिनेशन कंट्रोलर के अलावा विभिन्न पदों में नियुक्ति को लेकर विज्ञापन निकाला गया था, लेकिन विज्ञापन के आधार पर नियुक्तियां नहीं की जा रही है. इस में भारी गड़बड़ी है और इसके खिलाफ डीएसपीएमयू के रजिस्ट्रार एके चौधरी ने हाई कोर्ट में मामला दर्ज कराया है. वहीं अन्य अभ्यर्थी भी जेपीएससी के खिलाफ हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर
लगातार गड़बड़ी कर रही है जेपीएससीजेपीएससी का नाता हमेशा से ही विवादों के साथ रहा है. छठी जेपीएससी में गड़बड़ी को लेकर लगातार अभ्यर्थी आंदोलनरत हैं और भी कई मामलों में जेपीएससी पर सवाल खड़ा किया जाता रहा है. एक बार फिर जेपीएससी पर गंभीर आरोप लगाया गया है. इस बार झारखंड लोक सेवा आयोग पर राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विभिन्न पदों पर नियुक्ति मामले में गड़बड़ी का आरोप लगा है. जेपीएससी की ओर से विभिन्न विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट रजिस्ट्रार, असिस्टेंट रजिस्ट्रार, एफओ, एग्जामिनेशन कंट्रोलर और विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगा गया था और इन पदों पर नियुक्ति के लिए किसी भी टीचर को 15 ईयर का वर्किंग एक्सपीरियंस अनिवार्य है.

विज्ञापन में भी यह स्पस्ट है. 55 प्रतिशत, एमएससी-एमए में मार्क्स अनिवार्य भी किया गया था और उसी के आधार पर विज्ञापन निकाला गया था, लेकिन कुछ दिन पहले जेपीएससी की ओर से किसी भी अभ्यर्थियों को इस मामले को लेकर रिमाइंडर नहीं किया गया और ना ही पत्र भेजा गया. एक विज्ञप्ति निकाल कर खानापूर्ति की गई, जिससे नियुक्ति में शामिल अभ्यर्थी काफी आक्रोशित हैं और उन्होंने झारखंड हाई कोर्ट जाने का फैसला ले लिया है. इन अभ्यर्थियों की मानें तो इससे पहले जीपीएससी की ओर से ऐसी गड़बड़ी नहीं की गई थी और ना ही देश भर में नियुक्ति के लिए विभिन्न आयोग की ओर से विज्ञापनों में इसकी अनदेखी की जाती है, जबकि जेपीएससी लगातार गड़बड़ी कर रही है और इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है.


उच्च शिक्षा विभाग को भी कराया गया अवगत
मामले को लेकर उच्च शिक्षा विभाग को भी अवगत कराया गया है. जेपीएससी की ओर से विज्ञापन का ख्याल नहीं रखा गया है. विज्ञापन में दिए गए क्राइटेरिया को भी पूरा नहीं किया गया है और ना पीएचडी का प्रमाण पत्र देखा गया और ना ही अनुभव ही देखा जा रहा है. जेपीएससी की ओर से छांटे गए अभ्यर्थियों को स्पष्टीकरण पत्र भी नहीं भेजा गया है, कि आखिर उनकी छंटनी क्यों हुई है.

इसे भी पढे़ं: CBSE 10वीं और 12वीं की परीक्षा फीस बढ़ोतरी के खिलाफ याचिका पर सुनवाई आज

हाई कोर्ट के शरण में डीएसपीएमयू के रजिस्ट्रार
इसी मामले को लेकर कई अभ्यर्थी हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं. इधर डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार एके चौधरी हाई कोर्ट की शरण में हैं. उन्होंने पूरे मामले की जानकारी दी है.

रांची: एक बार फिर जेपीएससी पर गंभीर आरोप लगा है. झारखंड लोक सेवा आयोग विवादों के घेरे में फिर आ गया है. कुछ दिन पहले ही जेपीएससी की ओर से राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में रजिस्ट्रार, असिस्टेंट रजिस्ट्रार, एफओ, एग्जामिनेशन कंट्रोलर के अलावा विभिन्न पदों में नियुक्ति को लेकर विज्ञापन निकाला गया था, लेकिन विज्ञापन के आधार पर नियुक्तियां नहीं की जा रही है. इस में भारी गड़बड़ी है और इसके खिलाफ डीएसपीएमयू के रजिस्ट्रार एके चौधरी ने हाई कोर्ट में मामला दर्ज कराया है. वहीं अन्य अभ्यर्थी भी जेपीएससी के खिलाफ हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर
लगातार गड़बड़ी कर रही है जेपीएससीजेपीएससी का नाता हमेशा से ही विवादों के साथ रहा है. छठी जेपीएससी में गड़बड़ी को लेकर लगातार अभ्यर्थी आंदोलनरत हैं और भी कई मामलों में जेपीएससी पर सवाल खड़ा किया जाता रहा है. एक बार फिर जेपीएससी पर गंभीर आरोप लगाया गया है. इस बार झारखंड लोक सेवा आयोग पर राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विभिन्न पदों पर नियुक्ति मामले में गड़बड़ी का आरोप लगा है. जेपीएससी की ओर से विभिन्न विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट रजिस्ट्रार, असिस्टेंट रजिस्ट्रार, एफओ, एग्जामिनेशन कंट्रोलर और विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगा गया था और इन पदों पर नियुक्ति के लिए किसी भी टीचर को 15 ईयर का वर्किंग एक्सपीरियंस अनिवार्य है.

विज्ञापन में भी यह स्पस्ट है. 55 प्रतिशत, एमएससी-एमए में मार्क्स अनिवार्य भी किया गया था और उसी के आधार पर विज्ञापन निकाला गया था, लेकिन कुछ दिन पहले जेपीएससी की ओर से किसी भी अभ्यर्थियों को इस मामले को लेकर रिमाइंडर नहीं किया गया और ना ही पत्र भेजा गया. एक विज्ञप्ति निकाल कर खानापूर्ति की गई, जिससे नियुक्ति में शामिल अभ्यर्थी काफी आक्रोशित हैं और उन्होंने झारखंड हाई कोर्ट जाने का फैसला ले लिया है. इन अभ्यर्थियों की मानें तो इससे पहले जीपीएससी की ओर से ऐसी गड़बड़ी नहीं की गई थी और ना ही देश भर में नियुक्ति के लिए विभिन्न आयोग की ओर से विज्ञापनों में इसकी अनदेखी की जाती है, जबकि जेपीएससी लगातार गड़बड़ी कर रही है और इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है.


उच्च शिक्षा विभाग को भी कराया गया अवगत
मामले को लेकर उच्च शिक्षा विभाग को भी अवगत कराया गया है. जेपीएससी की ओर से विज्ञापन का ख्याल नहीं रखा गया है. विज्ञापन में दिए गए क्राइटेरिया को भी पूरा नहीं किया गया है और ना पीएचडी का प्रमाण पत्र देखा गया और ना ही अनुभव ही देखा जा रहा है. जेपीएससी की ओर से छांटे गए अभ्यर्थियों को स्पष्टीकरण पत्र भी नहीं भेजा गया है, कि आखिर उनकी छंटनी क्यों हुई है.

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हाई कोर्ट के शरण में डीएसपीएमयू के रजिस्ट्रार
इसी मामले को लेकर कई अभ्यर्थी हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं. इधर डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार एके चौधरी हाई कोर्ट की शरण में हैं. उन्होंने पूरे मामले की जानकारी दी है.

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