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Bharat Rang Mahotsav Concluded: भारत रंग महोत्सव में कलाकारों ने बिखेरा जादू, सामाजिक व्यवस्था को रंगमंच पर उतारा

स्त्री पीड़ा और सामाजिक व्यवस्था को दर्शाते हुए रांची में भारत रंग महोत्सव का समापन हो गया. 17 से 22 फरवरी तक रांची के आर्यभट्ट सभागार में आयोजित इसके अंतिम दिन बाबा नागार्जुन के द्वारा लिखित उपन्यास रतिनाथ की चाची नाटक का मंचन किया गया, जिसकी लोगों ने जमकर सराहना की.

Drama staged under Bharat Rang Mahotsav in Ranchi
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Published : Feb 23, 2023, 7:00 AM IST

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रांचीः राजधानी के आर्यभट्ट सभागार में 6 दिवसीय भारत रंग महोत्सव का समापन बुधवार को हो गयी. महोत्सव के आखिरी दिन बाबा नागार्जुन द्वारा लिखित उपन्यास रतिनाथ की चाची आधारित नाटक के मंचन के साथ संपन्न हुआ. जिसमें रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा, सुप्रसिद्ध रंगकर्मी संजय उपाध्याय, सीसीएल के चेयरमैन पीएम प्रसाद शामिल हुए.

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और राज्य सरकार के पर्यटन कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 17 फरवरी से 22 फरवरी तक आयोजित इस रंग महोत्सव में 6 नाटक प्रस्तुत की गई. 17 फरवरी को उर्दू नाटक रूहें की प्रस्तुति के साथ हुई, उसके बाद 18 फरवरी को विजय मिश्रा लिखित ओड़िया में टाटा निरंजना का मंचन किया गया. 19 फरवरी को असामी भाषा में अभिनंदन मैकबेथ की प्रस्तुति की गई. 20 फरवरी को मुंशी प्रेमचंद लिखित गोदान की प्रस्तुति की गई, जिसका मंचन हिंदी भाषा में किया गया. 21 फरवरी को कौशिक चट्टोपाध्याय लिखित और निर्देशित कोजागिरी का भव्य मंचन हुआ.

रतिनाथ की चाची नाटक का मंचनः भारत रंग महोत्सव के अंतिम दिन शारदा सिंह के निर्देशन में प्रस्तुत की गई रतिनाथ की चाची को देखने बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचे. आमतौर पर नाटक के प्रति लोगों की रूचि बदलते समय के साथ कम होती दिख रही है, मगर भारत रंग महोत्सव में जिस तरह से दर्शकों की उपस्थिति देखी गयी, इससे आयोजक काफी खुश हुए. स्त्री पीड़ा और सामाजिक व्यवस्था का चित्रण करते हुए बाबा नागार्जुन के उपन्यास पर आधारित इस नाटक का मंचन कलाकारों ने बड़े ही बखूबी ढंग से किया, जिसकी सराहना यहां आए दर्शकों ने की.

1 घंटा 45 मिनट के इस नाटक में रतिनाथ की चाची की भूमिका स्वयं निभा रहीं नाटक की निर्देशक शारदा सिंह के अभिनय को लोगों ने जमकर सराहा, साथ ही नाटक के दौरान जय नाथ की भूमिका को भी लोगों ने सराहना की. नाटक के दौरान बीच-बीच में मैथिली भाषा में डायलॉग बोलकर दरभंगा शुभंकरपुर गांव से लोगों को जोड़ने में निर्देशक सफल रहे. रंगमंच के कलाकारों के द्वारा गीत संगीत और नृत्य नाटिका के जरिए दर्शकों को आकर्षित करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ा. जिस वजह से आर्यभट्ट सभागार में देर शाम तक दर्शक जमे रहे और इस तरह के कार्यक्रमों को राजधानी रांची में होते रहने की आवश्यकता जताई.

इस मौके पर रांची विश्वविद्यालय के कुलपति अजीत कुमार सिन्हा ने सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के साथ एमओयू कर आगे भी इस तरह के रंग महोत्सव को आयोजित करने के लिए पहल करेगा. इस मौके पर जाने-माने रंगकर्मी संजय उपाध्याय ने कहा कि नाटक सामाजिक व्यवस्था को चित्रण करता है. रांची में पिछले 6 दिनों से आयोजित रंग महोत्सव के दौरान विभिन्न भाषाओं में प्रस्तुत की गई नाटक का दर्शकों का प्यार मिलने से सफल माना जाएगा. इस तरह के कार्यक्रम आने वाले समय में होते रहे, जिससे रंगकर्मियों का भी हौसला बढ़ेगा.

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रांचीः राजधानी के आर्यभट्ट सभागार में 6 दिवसीय भारत रंग महोत्सव का समापन बुधवार को हो गयी. महोत्सव के आखिरी दिन बाबा नागार्जुन द्वारा लिखित उपन्यास रतिनाथ की चाची आधारित नाटक के मंचन के साथ संपन्न हुआ. जिसमें रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा, सुप्रसिद्ध रंगकर्मी संजय उपाध्याय, सीसीएल के चेयरमैन पीएम प्रसाद शामिल हुए.

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और राज्य सरकार के पर्यटन कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 17 फरवरी से 22 फरवरी तक आयोजित इस रंग महोत्सव में 6 नाटक प्रस्तुत की गई. 17 फरवरी को उर्दू नाटक रूहें की प्रस्तुति के साथ हुई, उसके बाद 18 फरवरी को विजय मिश्रा लिखित ओड़िया में टाटा निरंजना का मंचन किया गया. 19 फरवरी को असामी भाषा में अभिनंदन मैकबेथ की प्रस्तुति की गई. 20 फरवरी को मुंशी प्रेमचंद लिखित गोदान की प्रस्तुति की गई, जिसका मंचन हिंदी भाषा में किया गया. 21 फरवरी को कौशिक चट्टोपाध्याय लिखित और निर्देशित कोजागिरी का भव्य मंचन हुआ.

रतिनाथ की चाची नाटक का मंचनः भारत रंग महोत्सव के अंतिम दिन शारदा सिंह के निर्देशन में प्रस्तुत की गई रतिनाथ की चाची को देखने बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचे. आमतौर पर नाटक के प्रति लोगों की रूचि बदलते समय के साथ कम होती दिख रही है, मगर भारत रंग महोत्सव में जिस तरह से दर्शकों की उपस्थिति देखी गयी, इससे आयोजक काफी खुश हुए. स्त्री पीड़ा और सामाजिक व्यवस्था का चित्रण करते हुए बाबा नागार्जुन के उपन्यास पर आधारित इस नाटक का मंचन कलाकारों ने बड़े ही बखूबी ढंग से किया, जिसकी सराहना यहां आए दर्शकों ने की.

1 घंटा 45 मिनट के इस नाटक में रतिनाथ की चाची की भूमिका स्वयं निभा रहीं नाटक की निर्देशक शारदा सिंह के अभिनय को लोगों ने जमकर सराहा, साथ ही नाटक के दौरान जय नाथ की भूमिका को भी लोगों ने सराहना की. नाटक के दौरान बीच-बीच में मैथिली भाषा में डायलॉग बोलकर दरभंगा शुभंकरपुर गांव से लोगों को जोड़ने में निर्देशक सफल रहे. रंगमंच के कलाकारों के द्वारा गीत संगीत और नृत्य नाटिका के जरिए दर्शकों को आकर्षित करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ा. जिस वजह से आर्यभट्ट सभागार में देर शाम तक दर्शक जमे रहे और इस तरह के कार्यक्रमों को राजधानी रांची में होते रहने की आवश्यकता जताई.

इस मौके पर रांची विश्वविद्यालय के कुलपति अजीत कुमार सिन्हा ने सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के साथ एमओयू कर आगे भी इस तरह के रंग महोत्सव को आयोजित करने के लिए पहल करेगा. इस मौके पर जाने-माने रंगकर्मी संजय उपाध्याय ने कहा कि नाटक सामाजिक व्यवस्था को चित्रण करता है. रांची में पिछले 6 दिनों से आयोजित रंग महोत्सव के दौरान विभिन्न भाषाओं में प्रस्तुत की गई नाटक का दर्शकों का प्यार मिलने से सफल माना जाएगा. इस तरह के कार्यक्रम आने वाले समय में होते रहे, जिससे रंगकर्मियों का भी हौसला बढ़ेगा.

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