रांचीः झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन के आह्वान पर ज्यादातर सरकारी डॉक्टरों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों का इलाज नहीं किया. इसके साथ ही अपनी उपस्थिति भी बायोमैट्रिक्स से नहीं बनाई है. हालांकि, इलाज के लिए मरीज अस्पताल पहुंचे, उनका इलाज डॉक्टरों ने किया. लेकिन वह आयुष्मान योजना के तहत इलाज नहीं किया. इसका नुकसान स्वास्थ्य विभाग को होगा. क्योंकि आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जनआरोग्य योजना के तहत इलाज के बदले बीमा कंपनियों से जो राशि सरकार को मिलती, उससे वंचित होना पड़ रहा है.
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स्वास्थ्य विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी ने बताया कि इलाज के बदले बीमा कंपनियों से झारखंड के सरकारी अस्पतालों को प्रतिदिन 1 से 1.25 करोड़ रुपये प्रतिपूर्ति के रूप में मिलता है. लेकिन आयुष्मान कार्डधारियों के सामान्य मरीज के रूप में इलाज करने की वजह से सरकारी अस्पतालों को नहीं मिल सकेगा.
ईटीवी भारत की टीम रांची सदर अस्पताल का जायजा लिया तो वहां डॉक्टर्स सामान्य दिनों की तरह इलाज करते दिखे. ओपीडी में मौजूद डॉक्टरों ने कहा कि इलाज को लेकर कोई स्पष्ट निर्देश झासा की ओर से नहीं मिला था. इससे सभी मरीजों का इलाज कर रहे हैं. झासा के प्रदेश महासचिव ठाकुर डॉ मृत्युंजय सिंह ने ईटीवी भारत को फोन पर कहा कि पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आज मरीजों का इलाज आयुष्मान योजना के तहत नहीं हुआ है और डॉक्टरों ने बॉयोमेट्रिक्स से हाजिरी भी नहीं बनाई है. झासा महासचिव डॉ मृत्युंजय ने कहा कि रांची में चार सदस्यीय डॉक्टरों के शिष्टमंडल स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से मुलाकात कर अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा है. स्वास्थ्य मंत्री ने उनकी मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाने की बात कही है. झासा ने प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करने पर NPA, सरकारी और निजी अस्पतालों में आयुष्मान का अनुपात 90:10 की जगह 50:50 हो, पुलिस के तर्ज पर चिकित्सा को भी आवश्यक सेवा मानते हुए बायोमेट्रिक अटेंडेंस बंद हो, लंबित DACP का भुगतान किया जाए आदि मांग है. डॉक्टरों की छुट्टी के लिए बनाए गए नियम वापस लिया जाए सहित कई मांगें हैं, जिसको लेकर झासा ने पहले से ही 21 अक्टूबर से चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की थी.