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दीदी बाड़ी योजना भगाएगी कुपोषण, किचन गार्डन लगा मजदूरी के पैसे भी पाएं, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

झारखंड में कुपोषण पर प्रहार करने के लिए दीदी बाड़ी योजना शुरू की गई है. इसके तहत लोग घर के आसपास की परती जमीन पर किचन गार्डन और केला, नींबू और पपीता के पौधे लगा सकेंगे. इसमें मजदूरी और पौधों के पैसों का खर्च सरकार ही वहन करेगी.

meeting of secretary
ग्रामीण विकास विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने तैयारियों की समीक्षा की
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Published : Sep 19, 2020, 8:12 PM IST

रांची: झारखंड में कुपोषण पर प्रहार करने के लिए सरकार ने नई पहल की है. इसके तहत कुपोषण भगाने के लिए प्रदेश में दीदी बाड़ी योजना शुरू की गई है. मनरेगा के पूरक के रूप में शुरू की गई इस योजना से कोरोना काल में लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही कुपोषण से निपटने में मदद मिलने की भी उम्मीद है. इस योजना का लाभ लेने के लिए लोगों को अपने घर के पास की परती जमीन पर खुद के लिए किचन गार्डन के रूप में केला, नींबू और पपीता के पौधे लगाने होंगे. इसको लगाने की मजदूरी और पौधे पर आने वाला खर्च भी सरकार वहन करेगी.

देखें पूरी खबर

यह है दीदी बाड़ी योजना

झारखंड में 5 वर्ष से कम आयु के 45.3% बच्चे और 65.2% महिलाएं कुपोषित हैं. इनका पोषण सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. इसके लिए अभी और बाद में इन्हें पोषण उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने यह योजना बनाई है. फिलहाल मनरेगा और जेएसएलपीएस के माध्यम से 22 अक्टूबर तक 5 लाख परिवारों की पोषण संबंधित जरूरत पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके तहत संबंधित परिवार एक डिसमिल से 5 डिसमिल तक घर के आसपास की परती जमीन पर केला, पपीता और नींबू जैसे पौधे लगा सकेगा.

ये भी पढ़ें-बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष बनाने की जिद छोड़े BJP, अन्य निष्ठावान नेताओं पर जताना चाहिए भरोसा: कांग्रेस

जिनके पास जमीन नहीं सार्वजनिक जमीन पर खेती की अनुमति देने की योजना

साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां लगाएंगे. इसका खर्च जेएसएलपीसी वाहन करेगा. दूसरी तरफ खेत तैयार करने में संबंधित परिवार को मनरेगा से जोड़कर मेहनताना भी दिया जाएगा. जिस परिवार के पास जमीन नहीं होगी, उन्हें 5 लोगों का समूह बनाकर सार्वजनिक जमीन पर खेती की अनुमति ग्राम सभा से दी जाएगी.

ग्रामीण विकास मंत्री ने लिखा सांसदों को पत्र

इधर ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने झारखंड के सभी सांसद और विधायकों को पत्र लिखकर ग्रामीणों को रोजगार दिलाने में सहयोग की अपील की है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि धानरोपनी का काम खत्म होने के बाद बड़ी संख्या में ग्रामीणों को रोजगार की आवश्यकता है.

कोरोना के इस दौर में ग्रामीण विकास विभाग की तरफ से नीलांबर पितांबर जल समृद्धि योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना और दीदी बाड़ी योजना समेत अन्य योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्रामीणों को मनरेगा के तहत रोजगार मुहैया कराया जा सके.

ये भी पढ़ें-सहायक पुलिस कर्मियों को लेकर राजनीतिक अखाड़ा बना मोरहाबादी मैदान, आंदोलन जारी

लोगों को रोजगार के लिए प्रेरित करें

ग्रामीण विकास मंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि 18 सितंबर से 22 अक्टूबर तक इच्छुक परिवारों से काम की मांग प्राप्त करने और रोजगार देने के लिए अभियान शुरू किया गया है. इस अवधि में डेढ़ करोड़ मानव दिवस के सृजन का लक्ष्य रखा गया है. ऐसे में गांव-टोला स्तर पर ही उपयोगी परिसंपत्तियों के सृजन के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने में जनप्रतिनिधियों का सहयोग अपेक्षित है.

सचिव ने की थी समीक्षा

एक दिन पहले ग्रामीण विकास विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने तैयारियों की समीक्षा की. उन्होंने सभी उप विकास आयुक्त और प्रखंड विकास पदाधिकारियों को दीदी बाड़ी योजना की प्रासंगिकता भी समझाई. उन्होंने कहा कि झारखंड में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. इसे खत्म करने के लिए मनरेगा और जेएसएलपीएस के अभिसरण से दीदी बाड़ी योजना संचालित करने का फैसला लिया गया है.

रांची: झारखंड में कुपोषण पर प्रहार करने के लिए सरकार ने नई पहल की है. इसके तहत कुपोषण भगाने के लिए प्रदेश में दीदी बाड़ी योजना शुरू की गई है. मनरेगा के पूरक के रूप में शुरू की गई इस योजना से कोरोना काल में लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही कुपोषण से निपटने में मदद मिलने की भी उम्मीद है. इस योजना का लाभ लेने के लिए लोगों को अपने घर के पास की परती जमीन पर खुद के लिए किचन गार्डन के रूप में केला, नींबू और पपीता के पौधे लगाने होंगे. इसको लगाने की मजदूरी और पौधे पर आने वाला खर्च भी सरकार वहन करेगी.

देखें पूरी खबर

यह है दीदी बाड़ी योजना

झारखंड में 5 वर्ष से कम आयु के 45.3% बच्चे और 65.2% महिलाएं कुपोषित हैं. इनका पोषण सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. इसके लिए अभी और बाद में इन्हें पोषण उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने यह योजना बनाई है. फिलहाल मनरेगा और जेएसएलपीएस के माध्यम से 22 अक्टूबर तक 5 लाख परिवारों की पोषण संबंधित जरूरत पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके तहत संबंधित परिवार एक डिसमिल से 5 डिसमिल तक घर के आसपास की परती जमीन पर केला, पपीता और नींबू जैसे पौधे लगा सकेगा.

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जिनके पास जमीन नहीं सार्वजनिक जमीन पर खेती की अनुमति देने की योजना

साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां लगाएंगे. इसका खर्च जेएसएलपीसी वाहन करेगा. दूसरी तरफ खेत तैयार करने में संबंधित परिवार को मनरेगा से जोड़कर मेहनताना भी दिया जाएगा. जिस परिवार के पास जमीन नहीं होगी, उन्हें 5 लोगों का समूह बनाकर सार्वजनिक जमीन पर खेती की अनुमति ग्राम सभा से दी जाएगी.

ग्रामीण विकास मंत्री ने लिखा सांसदों को पत्र

इधर ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने झारखंड के सभी सांसद और विधायकों को पत्र लिखकर ग्रामीणों को रोजगार दिलाने में सहयोग की अपील की है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि धानरोपनी का काम खत्म होने के बाद बड़ी संख्या में ग्रामीणों को रोजगार की आवश्यकता है.

कोरोना के इस दौर में ग्रामीण विकास विभाग की तरफ से नीलांबर पितांबर जल समृद्धि योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना और दीदी बाड़ी योजना समेत अन्य योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्रामीणों को मनरेगा के तहत रोजगार मुहैया कराया जा सके.

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लोगों को रोजगार के लिए प्रेरित करें

ग्रामीण विकास मंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि 18 सितंबर से 22 अक्टूबर तक इच्छुक परिवारों से काम की मांग प्राप्त करने और रोजगार देने के लिए अभियान शुरू किया गया है. इस अवधि में डेढ़ करोड़ मानव दिवस के सृजन का लक्ष्य रखा गया है. ऐसे में गांव-टोला स्तर पर ही उपयोगी परिसंपत्तियों के सृजन के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने में जनप्रतिनिधियों का सहयोग अपेक्षित है.

सचिव ने की थी समीक्षा

एक दिन पहले ग्रामीण विकास विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने तैयारियों की समीक्षा की. उन्होंने सभी उप विकास आयुक्त और प्रखंड विकास पदाधिकारियों को दीदी बाड़ी योजना की प्रासंगिकता भी समझाई. उन्होंने कहा कि झारखंड में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. इसे खत्म करने के लिए मनरेगा और जेएसएलपीएस के अभिसरण से दीदी बाड़ी योजना संचालित करने का फैसला लिया गया है.

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