नई दिल्ली/रांची: धनबाद में दो दिन पहले जज उत्तम आनंद की संदिग्ध मौत मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. शुक्रवार को सर्वोच्च अदालत ने झारखंड के डीजीपी और मुख्य सचिव से सात दिनों के अंदर रिपोर्ट पेश करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अदालत देश में न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा को संबोधित करना चाहती है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया(सीजेआई) एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लिया और कहा कि अदालत के अंदर और बाहर कई न्यायिक अधिकारियों और वकीलों पर कथित हमले के मामले सामने आए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कहा कि झारखंड हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है. बार काउंसिल की तरफ से भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था.
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एसआईटी की हाईलेवल मीटिंग
जज उत्तम आनंद मौत मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी (SIT) की टीम धनबाद पहुंच चुकी है. एडीजी संजय लाटकर के नेतृत्व में धनबाद एसएसपी कार्यालय में एसआईटी की उच्चस्तरीय बैठक चल रही है. जिसमें डीआईजी, एसएसपी, सिटी एसपी, एएसपी समेत जिला के तमाम वरीय पुलिस अधिकारी मौजूद हैं. खबर के मुताबिक एसआईटी की टीम 5 दिनों के लिए रिमांड पर लिए गए दोनों आरोपियों से पूछताछ भी करेगी.
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झारखंड में न्यायिक कार्य से दूर रहे अधिवक्ता
जज उत्तम आनंद की संदिग्ध मौत और अधिवक्ता मनोज कुमार झा की हत्या के विरोध में झारखंड के सभी अधिवक्ता ने खुद को न्यायिक कार्य से दूर रखा. सभी अदालत परिसर में सन्नाटा रहा. सभी अधिवक्ता सरकार से एक महीने के अंदर एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग कर रहे हैं.
क्या है पूरा मामला?
28 जुलाई को धनबाद में रंजय सिंह हत्याकांड की सुनवाई कर रहे जज उत्तम आनंद की संदिग्ध मौत हो गई थी. जज सुबह मॉर्निंग वॉक कर रहे थे. इसी दौरान एक ऑटो ने पीछे से आकर उन्हें टक्कर मार दी. जिसके बाद वे वहीं पर बेहोश होकर गिर गए. स्थानीय लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. टक्कर के बाद उनके सिर और कान पर गंभीर चोट आई थी.