रांचीः झारखंड में स्कूल रिओपन करने को लेकर चर्चाएं जोरों पर है. वहीं प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से राजधानी रांची में राज्य स्तरीय विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जहां अभिभावकों को भी आमंत्रित किया गया. अभिभावकों ने हेमंत सरकार से अपील की है और झारखंड में स्कूल खोलने की मांग तेज कर दी है.
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कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए राज्य भर में जनवरी माह के प्रथम सप्ताह से ही तमाम शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ स्कूल कॉलेज को बंद कर दिया गया. अब एक बार फिर कोरोना महामारी के कम होते रफ्तार को देखते हुए विभिन्न संगठनों के साथ-साथ अभिभावकों और प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन (Private School And Children Welfare Association) ने झारखंड सरकार से स्कूल खोलने की मांग की है. इसी कड़ी में एसोसिएशन की ओर से राजधानी रांची में इस विषय को लेकर एक राज्यस्तरीय विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जहां राज्य भर के प्रतिनिधि और अभिभावक भी शामिल हुए. इस राज्य स्तरीय संगोष्ठी में लोगों ने कहा कि कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते हुए अब क्लास वन से लेकर 12वीं तक के स्कूलों को खोला जाना चाहिए.
22 महीने से बच्चों का स्कूल बंदः झारखंड में पिछले 22 महीने से प्राथमिक स्कूल बंद हैं. वर्ष 2015 और 16 में जन्म लेने वाले बच्चों ने अब तक स्कूल में कदम तक नहीं रखा है. करीब 2 वर्ष के दौरान कोरोना संक्रमण काल में लोगों ने कई परेशानियों के झेला है और अब इस बीमारी से लड़ाई का तरीका भी सीख लिया है. अब धीरे-धीरे स्थितियां सामान्य हो रही हैं. इसलिए आवश्यक दिशा निर्देश के साथ स्कूलों को खोला जाना चाहिए. बच्चों और उनके अभिभावक युवाओं के भविष्य को लेकर चिंतित हैं. इसलिए राज्य सरकार अब यह फैसला ले कि किस तरह से सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए कम उपस्थिति में स्कूल खोला जा सके. शिक्षा को लेकर माता-पिता से ज्यादा गुरु चिंतित हैं. मोबाइल की वजह से आठ दस साल के बच्चे बड़े और मेच्योर नजर आने लगे हैं. इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है. स्कूल खोलने के बाद ही इन परेशानियों को दूर किया जा सकता है.