रांची: कोरोना महामारी के दौरान अस्पतालों और घरों में बिजली आपूर्ति में कोई कमी नहीं हो इसके लिए झारखंड बिजली विभाग के कर्मचारी दिनरात जुटे रहे. उन्होंने ड्यूटी की समय सीमा की परवाह न करते हुए कोरोना वारियर की तरह जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. लेकिन अब यही कर्मचारी सरकारी उदासीनता की वजह से परेशान हैं. विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से उन्हें कई सुविधाओं से महरूम होना पड़ रहा है.
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भत्ता और प्रमोशन की मांग
दरअसल, पूरे राज्य में लगभग दस हजार ऊर्जा विभाग के कर्मचारी हैं. जो विभिन्न जिलों में कार्यरत हैं. बिजली विभाग के कर्मचारी वरुण सिंह के मुताबिक बिहार की तर्ज पर झारखंड के कर्मचारी भी ऊर्जा भत्ता की मांग सालों से कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों को बार-बार अनुसना किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि निगम का गठन होने के बावजूद राज्य के हजारों कर्मचारियों का भत्ता और प्रमोशन रुका हुआ है. अधिकारी इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.
कोरोना काल में 24 घंटे काम
ऊर्जा विभाग के कर्मचारी और यूनियन के नेता आशीष कुमार बताते हैं कि कोरोना काल में स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिस कर्मियों की तरह ऊर्जा विभाग के कर्मचारियों ने भी 24-24 घंटे काम किए और अस्पतालों में किसी भी कीमत पर बिजली की समस्या नहीं होने दी. उन्होंने कहा जब राज्य के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी थी उस वक्त बिजली विभाग के कर्मचारियों ने अस्पताल में बिजली मुहैया कराने के लिए दिन रात काम किया. लेकिन कर्मचारियों के इस योगदान को सरकार की तरफ से तवज्जों नहीं दिया जा रहा है.उन्होंने बताया कि घर-घर जाकर मीटर रीडिंग का काम कर रहे ऊर्जा मित्रों की भी स्थिति अच्छी नहीं है. पिछले कई महीनों से उनकों सैलरी नहीं दिया गया है जो सीधा-सीधा विभाग की लापरवाही को दर्शाता है. यूनियन के नेता आशीष कुमार के मुताबिक अगर ऐसी ही स्थिति बनी रही तो आने वाले समय में विभाग के कर्मचारी काम करने में असमर्थ होंगे.
क्या कहते हैं बिजली विभाग के जीएम
कर्मचारियों को ऊर्जा भत्ता की मांग पर जीएम रैंक के अधिकारी पीके श्रीवास्तव कुछ भी कहने से बचते नजर आए. उन्होंने कहा कर्मचारियों की मांग पर आने वाले समय में संबंधित विभाग को जानकारी दी जाएगी और कर्मचारियों को सभी सुविधा मुहैया कराई जाएगी. बता दें कि बिजली विभाग का काम सबसे खतरनाक माना जाता है. कई बार इस काम के दौरान कई कर्मचारी अपनी जान गंवा देते हैं उसके बावजूद भी कर्मचारियों की दुर्दशा विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है.