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Cyber Crime In Jharkhand: ऑनलाइन क्लास करने वाले टीनएजर्स बन रहे साइबर अपराधियों का निशाना

साइबर क्राइम का दायरा बढ़ता ही जा रहा है. लोगों से ऑनलाइन ठगी के साथ-साथ अब ऑनलाइन क्लास करने वाले टीनएजर्स भी साइबर अपराधियों की जद में आ रहे हैं. आज टीनएजर्स साइबर अपराधियों का निशाना बन रहे, आखिर कैसे, जानिए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट से.

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साइबर क्राइम
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Published : Jan 25, 2022, 7:26 PM IST

Updated : Jan 25, 2022, 10:12 PM IST

रांचीः ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर साइबर अपराधियों के फैलाए जाल में हर दिन-हर पल फंस कोई ना कोई अपनी गाढ़ी कमाई से हाथ धो रहा है. कोविड संक्रमण की वजह से अभी-भी अधिकांश काम ऑनलाइन ही चल रहे हैं. बड़े साइबर अपराध को लेकर थोड़े समझदार हुए तो साइबर अपराधियों ने अब बच्चों और टीनएजर्स को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया. आलम यह है कि अब बच्चों को अपने जाल में फंसाकर साइबर अपराधी उनके परिजनों के खाते से पैसे उड़ा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- साइबर क्राइम का बढ़ता दायराः जानिए, क्या है साइबर अपराधियों का ये तिलिस्म?

झारखंड में साइबर अपराधी ऑनलाइन क्लास के जरिए टीनएजर्स को निशाना बना रहे हैं. लोगों से ऑनलाइन ठगी ऐसे तरीकों को छोड़कर अब साइबर अपराधी ऑनलाइन क्लासेज में बच्चों को टारगेट कर रहे हैं. कोरोना संक्रमण की पहली लहर में ही साइबर अपराधियों ने ऑनलाइन प्रवेश करने वाले बच्चों को निशाना बनाना शुरू किया था, जो अब भी बदस्तूर जारी है. वर्तमान समय मे पहली क्लास से लेकर ऊंची क्लास तक पढ़ाई ऑनलाइन ही चल रही है. इसी का फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं. टीनएजर्स साइबर अपराधियों का निशाना बन रहे हैं. आलम यह है कि अब बच्चों को अपने जाल में फंसा कर साइबर अपराधी उनके परिजनों के खाते से पैसे उड़ा रहे हैं. दूसरी तरफ साइबर बुलिंग के जरिये भी मासूम टीनएजर्स को निशाना बना रहे हैं. साइबर अपराधी स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों को अपने जाल में फंसाकर उन्हें अपने ही माता-पिता और समाज की नजरों में गुनाहगार बना रहे हैं. झारखंड की राजधानी रांची, धनबाद, जमशेदपुर और बोकारो जैसे शहरों से लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं. जिसमें साइबर अपराधियों ने बच्चों को निशाना बनाया और उनके मां-बाप के खाते से पैसे गायब कर दिए. रांची के कई थाना क्षेत्रों से इस तरह की ठगी की रिपोर्टिंग हुई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

ऑनलाइन क्लासेज के दौरान गेम को लेकर फंसाते हैं जाल मेंः अब तक की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि मासूम बच्चे जब ऑनलाइन क्लासेज करते हैं, उस दौरान बहुत कम समय ही पेरेंट्स के आसपास होते हैं. बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस जब भी मौका मिलता है, वह उस दौरान आने वाले मालवेयर को क्लिक कर देते हैं. इस दौरान उन्हें कई तरह के ऑप्शन मिलते हैं, जिसमें पहले गेम खेलने का मौका फ्री में दिया जाता है और फिर पैसे की डिमांड की जाती है. जिन बच्चों के घर में एटीएम कार्ड आसपास होते हैं वो उसकी जानकारी साइबर अपराधी को दे देते हैं. यहां तक कि ओटीपी पूछने पर भी बच्चे उन्हें बता देते हैं और उसके बाद बड़ी ही आसानी से साइबर अपराधी बच्चों के मां-बाप से खाते से पैसे गायब कर देते हैं.

फर्जी बेबसाइट्स की भरमारः साइबर अपराधी फर्जी वेबसाइट या सोशल प्लेटफॉर्म पर फर्जी अकाउंट बनाकर यूजर को झांसे में लेकर ठगी कर रहे हैं. इन सबके बीच स्कूल और कॉलेज के छात्र उनके लिए सॉफ्ट टारगेट बन गए हैं. मिली जानकारी के अनुसार पिछले दो साल के दौरान दुनिया भर में वेबसाइट बनाने के लिए करीब 1.5 लाख डोमेन नेम रजिस्टर्ड कराए गए हैं. जिनमें से अधिकांश साइबर अपराधियों के हैं. साइबर अपराधी यह जानते हैं कि वर्तमान समय में स्कूल-कॉलेज और छात्र-छात्राएं इंटरनेट का बहुत ज्यादा प्रयोग कर रहे हैं, ऐसे में वो फेक वेबसाइट और ऐप के जरिए उन्हें फंसा रहे हैं.

साइबर अपराधियों के नई तरह की ठगी से गार्जियन भी दहशत में हैं. लॉकडाउन के दौरान अधिकांश बच्चे ऑनलाइन क्लासेज के जरिए ही पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन पढ़ाई के दौरान ही बच्चे मौका मिलते ही दूसरे साइट पर जाकर या तो वीडियो गेम खेलने लगते हैं या फिर चैटिंग करने लगते हैं. इसी दौरान साइबर अपराधी उन्हें अपना निशाना बनाते हैं. रांची के लालपुर इलाके में इसी साल एक बच्चे को निशाना बनाकर साइबर अपराधियों ने उसकी मां के खाते से 1.87 लाख गायब कर दिए. लालपुर थाना में दिए गए आवेदन बच्चे के पिता राम विनय राम ने बताया है कि जिस समय उनका बच्चा ऑनलाइन क्लास कर रहा था उसी दौरान साइबर अपराधियों ने फ्री गेम खेलने का ऑप्शन दिया था. गेम खेलने के लिए बच्चे से ओटीपी मांगा गया जैसे ही बच्चे ने ओटीपी दिया उनके खाते से धीरे-धीरे 1 लाख 27 हजार गायब हो गए. पीड़ित राम विनय के अनुसार जिस मोबाइल से उनका बच्चा ऑनलाइन क्लास कर रहा था, उसी मोबाइल में उनकी पत्नी के खाते का डिटेल भी है. इसी का फायदा साइबर अपराधी ने उठाया.

इसे भी पढ़ें- साइबर अपराधियों के जाल में फंसते टीनएजर्स और बच्चे, साइबर बुलिंग से बनाते हैं शिकार



बड़े उम्र के बच्चों से ब्लैकमेलिंगः लॉकडाउन के दौरान 26 मई 2020 को राजधानी रांची के चुटिया इलाके में एक 13 वर्षीय नाबलिग बच्चे को ब्लैकमेल कर साइबर अपराधियों ने उसके ही घर में उसे गुनाहगार बना दिया था. जब यह मामला सामने आया तो राजधानी रांची के कई गार्जियंस के होश उड़ गए. दरअसल साइबर अपराधियों ने चुटिया के रहने वाले एक 13 वर्षीय नाबालिग बच्चे का इंस्ट्रगाम एकाउंट हैक कर बच्चे को अश्लील फोटो डाल देने के नाम पर ब्लैकमेल किया, जिसके बाद बच्चे ने डर से अपने पिता का अकाउंट डिटेल चोरी छिपे साइबर अपराधियों को दे दिए. जिसके बाद साइबर ठगों ने उस एकाउंट से 81 हजार रुपये उड़ा लिए. यह तो गनीमत रही कि समय रहते बच्चे के परिजनों को मामले की जानकारी हो गई और उन्होंने अकाउंट से पूरे पैसे गायब होने से पहले ही बैंक को पूरी जानकारी देकर अपना एकाउंट ब्लॉक करवा लिया.

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क्या है साबर बुलिंग और इससे कैसे बचें?

धनबाद में भी सामने आया मामलाः धनबाद में ऑनलाइन चैटिंग कर एक नाबालिग को अपने प्रेम जाल में फंसाकर नाबालिग के दादा के एकाउंट से 11 लाख रुपये उड़ा लिए गए. कोरोना संक्रमण के दौरान इंटरनेट पर लोगों की बढ़ी निर्भरता का फायदा बड़ी ही चतुराई से साइबर अपराधियों ने उठाया है. चाहे दफ्तर का काम हो, स्कूल की पढ़ाई हो, मनी ट्रांजैक्शन हो या फिर मनोरंजन की तलाश. फिलहाल इंटरनेट ही लोगों का सबसे बड़ा माध्यम बना हुआ है और इसी का फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं.

अलर्ट रहना जरूरी हैः रांची के सिटी एसपी सौरभ के अनुसार साइबर अपराध से बचाव के लिए एकमात्र उपाय अलर्ट रहना ही है. पुलिस के अनुसार किसी भी लुभावने ऑफर के चक्कर में अपनी गोपनीय जानकारियां किसी को ना दें. बच्चों को अपना मित्र बनाएं, उनके बीच समय दें. वैसे भी लॉकडाउन के दौरान स्कूल कॉलेज बंद हैं, ऐसे में बच्चों को पूरा समय देना चाहिए और उनके साथ दोस्त के जैसा व्यवहार कर उनकी सारी बातों को जानना चाहिए. सोशल साइट पर किसी अनजान के अकाउंट के फोटो, वीडियो या ऑडियो को लाइक और शेयर ना करें. ऑनलाइन क्लासेज एक से दो घंटे के होते हैं, ऐसे में परिजन कोशिश करें कि वह बच्चों के साथ मौजूद रहें. बच्चों को अपने अकाउंट की डिटेल ना दें. घर के एटीएम और बैंक से जरूरी दूसरे दस्तावेज बच्चों की पहुंच से दूर रखें.

रांचीः ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर साइबर अपराधियों के फैलाए जाल में हर दिन-हर पल फंस कोई ना कोई अपनी गाढ़ी कमाई से हाथ धो रहा है. कोविड संक्रमण की वजह से अभी-भी अधिकांश काम ऑनलाइन ही चल रहे हैं. बड़े साइबर अपराध को लेकर थोड़े समझदार हुए तो साइबर अपराधियों ने अब बच्चों और टीनएजर्स को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया. आलम यह है कि अब बच्चों को अपने जाल में फंसाकर साइबर अपराधी उनके परिजनों के खाते से पैसे उड़ा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- साइबर क्राइम का बढ़ता दायराः जानिए, क्या है साइबर अपराधियों का ये तिलिस्म?

झारखंड में साइबर अपराधी ऑनलाइन क्लास के जरिए टीनएजर्स को निशाना बना रहे हैं. लोगों से ऑनलाइन ठगी ऐसे तरीकों को छोड़कर अब साइबर अपराधी ऑनलाइन क्लासेज में बच्चों को टारगेट कर रहे हैं. कोरोना संक्रमण की पहली लहर में ही साइबर अपराधियों ने ऑनलाइन प्रवेश करने वाले बच्चों को निशाना बनाना शुरू किया था, जो अब भी बदस्तूर जारी है. वर्तमान समय मे पहली क्लास से लेकर ऊंची क्लास तक पढ़ाई ऑनलाइन ही चल रही है. इसी का फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं. टीनएजर्स साइबर अपराधियों का निशाना बन रहे हैं. आलम यह है कि अब बच्चों को अपने जाल में फंसा कर साइबर अपराधी उनके परिजनों के खाते से पैसे उड़ा रहे हैं. दूसरी तरफ साइबर बुलिंग के जरिये भी मासूम टीनएजर्स को निशाना बना रहे हैं. साइबर अपराधी स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों को अपने जाल में फंसाकर उन्हें अपने ही माता-पिता और समाज की नजरों में गुनाहगार बना रहे हैं. झारखंड की राजधानी रांची, धनबाद, जमशेदपुर और बोकारो जैसे शहरों से लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं. जिसमें साइबर अपराधियों ने बच्चों को निशाना बनाया और उनके मां-बाप के खाते से पैसे गायब कर दिए. रांची के कई थाना क्षेत्रों से इस तरह की ठगी की रिपोर्टिंग हुई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

ऑनलाइन क्लासेज के दौरान गेम को लेकर फंसाते हैं जाल मेंः अब तक की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि मासूम बच्चे जब ऑनलाइन क्लासेज करते हैं, उस दौरान बहुत कम समय ही पेरेंट्स के आसपास होते हैं. बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस जब भी मौका मिलता है, वह उस दौरान आने वाले मालवेयर को क्लिक कर देते हैं. इस दौरान उन्हें कई तरह के ऑप्शन मिलते हैं, जिसमें पहले गेम खेलने का मौका फ्री में दिया जाता है और फिर पैसे की डिमांड की जाती है. जिन बच्चों के घर में एटीएम कार्ड आसपास होते हैं वो उसकी जानकारी साइबर अपराधी को दे देते हैं. यहां तक कि ओटीपी पूछने पर भी बच्चे उन्हें बता देते हैं और उसके बाद बड़ी ही आसानी से साइबर अपराधी बच्चों के मां-बाप से खाते से पैसे गायब कर देते हैं.

फर्जी बेबसाइट्स की भरमारः साइबर अपराधी फर्जी वेबसाइट या सोशल प्लेटफॉर्म पर फर्जी अकाउंट बनाकर यूजर को झांसे में लेकर ठगी कर रहे हैं. इन सबके बीच स्कूल और कॉलेज के छात्र उनके लिए सॉफ्ट टारगेट बन गए हैं. मिली जानकारी के अनुसार पिछले दो साल के दौरान दुनिया भर में वेबसाइट बनाने के लिए करीब 1.5 लाख डोमेन नेम रजिस्टर्ड कराए गए हैं. जिनमें से अधिकांश साइबर अपराधियों के हैं. साइबर अपराधी यह जानते हैं कि वर्तमान समय में स्कूल-कॉलेज और छात्र-छात्राएं इंटरनेट का बहुत ज्यादा प्रयोग कर रहे हैं, ऐसे में वो फेक वेबसाइट और ऐप के जरिए उन्हें फंसा रहे हैं.

साइबर अपराधियों के नई तरह की ठगी से गार्जियन भी दहशत में हैं. लॉकडाउन के दौरान अधिकांश बच्चे ऑनलाइन क्लासेज के जरिए ही पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन पढ़ाई के दौरान ही बच्चे मौका मिलते ही दूसरे साइट पर जाकर या तो वीडियो गेम खेलने लगते हैं या फिर चैटिंग करने लगते हैं. इसी दौरान साइबर अपराधी उन्हें अपना निशाना बनाते हैं. रांची के लालपुर इलाके में इसी साल एक बच्चे को निशाना बनाकर साइबर अपराधियों ने उसकी मां के खाते से 1.87 लाख गायब कर दिए. लालपुर थाना में दिए गए आवेदन बच्चे के पिता राम विनय राम ने बताया है कि जिस समय उनका बच्चा ऑनलाइन क्लास कर रहा था उसी दौरान साइबर अपराधियों ने फ्री गेम खेलने का ऑप्शन दिया था. गेम खेलने के लिए बच्चे से ओटीपी मांगा गया जैसे ही बच्चे ने ओटीपी दिया उनके खाते से धीरे-धीरे 1 लाख 27 हजार गायब हो गए. पीड़ित राम विनय के अनुसार जिस मोबाइल से उनका बच्चा ऑनलाइन क्लास कर रहा था, उसी मोबाइल में उनकी पत्नी के खाते का डिटेल भी है. इसी का फायदा साइबर अपराधी ने उठाया.

इसे भी पढ़ें- साइबर अपराधियों के जाल में फंसते टीनएजर्स और बच्चे, साइबर बुलिंग से बनाते हैं शिकार



बड़े उम्र के बच्चों से ब्लैकमेलिंगः लॉकडाउन के दौरान 26 मई 2020 को राजधानी रांची के चुटिया इलाके में एक 13 वर्षीय नाबलिग बच्चे को ब्लैकमेल कर साइबर अपराधियों ने उसके ही घर में उसे गुनाहगार बना दिया था. जब यह मामला सामने आया तो राजधानी रांची के कई गार्जियंस के होश उड़ गए. दरअसल साइबर अपराधियों ने चुटिया के रहने वाले एक 13 वर्षीय नाबालिग बच्चे का इंस्ट्रगाम एकाउंट हैक कर बच्चे को अश्लील फोटो डाल देने के नाम पर ब्लैकमेल किया, जिसके बाद बच्चे ने डर से अपने पिता का अकाउंट डिटेल चोरी छिपे साइबर अपराधियों को दे दिए. जिसके बाद साइबर ठगों ने उस एकाउंट से 81 हजार रुपये उड़ा लिए. यह तो गनीमत रही कि समय रहते बच्चे के परिजनों को मामले की जानकारी हो गई और उन्होंने अकाउंट से पूरे पैसे गायब होने से पहले ही बैंक को पूरी जानकारी देकर अपना एकाउंट ब्लॉक करवा लिया.

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क्या है साबर बुलिंग और इससे कैसे बचें?

धनबाद में भी सामने आया मामलाः धनबाद में ऑनलाइन चैटिंग कर एक नाबालिग को अपने प्रेम जाल में फंसाकर नाबालिग के दादा के एकाउंट से 11 लाख रुपये उड़ा लिए गए. कोरोना संक्रमण के दौरान इंटरनेट पर लोगों की बढ़ी निर्भरता का फायदा बड़ी ही चतुराई से साइबर अपराधियों ने उठाया है. चाहे दफ्तर का काम हो, स्कूल की पढ़ाई हो, मनी ट्रांजैक्शन हो या फिर मनोरंजन की तलाश. फिलहाल इंटरनेट ही लोगों का सबसे बड़ा माध्यम बना हुआ है और इसी का फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं.

अलर्ट रहना जरूरी हैः रांची के सिटी एसपी सौरभ के अनुसार साइबर अपराध से बचाव के लिए एकमात्र उपाय अलर्ट रहना ही है. पुलिस के अनुसार किसी भी लुभावने ऑफर के चक्कर में अपनी गोपनीय जानकारियां किसी को ना दें. बच्चों को अपना मित्र बनाएं, उनके बीच समय दें. वैसे भी लॉकडाउन के दौरान स्कूल कॉलेज बंद हैं, ऐसे में बच्चों को पूरा समय देना चाहिए और उनके साथ दोस्त के जैसा व्यवहार कर उनकी सारी बातों को जानना चाहिए. सोशल साइट पर किसी अनजान के अकाउंट के फोटो, वीडियो या ऑडियो को लाइक और शेयर ना करें. ऑनलाइन क्लासेज एक से दो घंटे के होते हैं, ऐसे में परिजन कोशिश करें कि वह बच्चों के साथ मौजूद रहें. बच्चों को अपने अकाउंट की डिटेल ना दें. घर के एटीएम और बैंक से जरूरी दूसरे दस्तावेज बच्चों की पहुंच से दूर रखें.

Last Updated : Jan 25, 2022, 10:12 PM IST
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