ETV Bharat / state

सावधान! OTP बताया तो गायब हो जाएगा पूरा फिक्स डिपॉजिट, जानें क्या है बचने के उपाय

साइबर अपराधी हमेशा नए-नए तरकीब अपना कर देश के कोने-कोने में बैठे भोले-भाले लोगों को लूटते हैं. इन शातिर अपराधियों की नजर अब लोगों के फिक्स्ड डिपॉजिट खातों पर पहुंच गई है. ये अपराधी उसे भी हैक कर रहे हैं. लगातार आ रहे हैं मामले को देखते हुए रांची पुलिस ने इस मामले को लेकर आम लोगों को समझाने और जागरूक करने के लिए पोस्टर जारी किया है.

Cyber criminals eyes on fixed deposit accounts
फिक्स डिपॉजिट पर साइबर अपराधियों की नजर
author img

By

Published : Apr 14, 2021, 5:46 PM IST

Updated : Apr 14, 2021, 7:42 PM IST

रांची: साइबर अपराधी हर दिन नए तरीके से लोगों को अपने जाल में फंसा कर उनके खातों से पैसे उड़ा रहे हैं. शातिर साइबर अपराधी अब लोगों के फिक्स्ड डिपॉजिट खातों को भी हैक कर रहे हैं. इस तरह के मामले लगातार रांची पुलिस के पास आ रहे हैं. इसे देखते हुए रांची पुलिस ने इस मामले को लेकर आम लोगों को समझाने और जागरूक करने के लिए पोस्टर जारी किया है.

जामकारी देते सिटी एसपी

ये भी पढ़ें-देवघर में साइबर अपराधियों पर पुलिस का शिकंजा, दिसंबर 2020 से अब तक 326 गिरफ्तार


क्या है मामला
साइबर अपराधियों ने इन दिनों ठगी का नया तरीका अपनाया है. साइबर अपराधी लोगों के खाते में सेंध लगाने के लिए खाता हैक कर एफडी में कन्वर्ट कर रहे हैं. एफडी करने के बाद वे खाताधारक को फोन करते हैं कि आपके पैसे एफडी में चले हैं अगर आप उसे वापस अपने अकाउंट में पाना चाहते हैं तो OTP साझा करें. ओटीपी मांग कर वे खाते से पैसे उड़ा लेते हैं. इसे लेकर रांची पुलिस ने अलर्ट जारी किया है, जिसमे ठगी के तरीके और बचाव के उपाय बताए गए हैंं. एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा के निर्देश पर सिटी एसपी ने पोस्टर जारी किया है. इस पोस्टर को सभी थानों को प्रचारित करने का भी निर्देश दिया है.

Cyber criminals eyes on fixed deposit accounts
साइबर ठगी के तरीके
किसी को न बताएं ओटीपी
सिटी एसपी सौरव के अनुसार, इस ठगी से बचने का एकमात्र उपाय है कि आप अपना ओटीपी किसी भी हाल में किसी को न बताएं. इसके अलावा इस ठगी से बचने का दूसरा कोई उपाय नहीं है. सिटी एसपी बताते हैं कि जैसै ही साइबर अपराधी फिक्स डिपॉजिट की रकम को अपने अकाउंट में भेजते हैं तो खाताधारक को मैसेज के जरिए ओटीपी आता है. साइबर अपराधी फोन कॉल के जरिए खाताधारक को कहते हैं कि आपके अकाउंट से रुपए निकल कर एफडी में चला गया है, अगर आप उसे वापस लेना चाहते हैं तो भेजे गए ओटीपी को साझा करें. खाताधारक भी देखता है कि उसे खाते में पैसे नहीं हैं और उसे वापस पाने की जल्दबाजी में खाताधारक ओटीपी बता देते हैं कि पूरा पैसा साइबर अपराधी अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लेता है.
Cyber criminals eyes on fixed deposit accounts
साइबर ठगी के तरीके

ये भी पढ़ें-साइबर अपराध का नया केंद्र बना देवघर का यह इलाका, हिट लिस्ट में हैं झारखंड के 4 जिले

इन बातों का रखें ख्याल

साइबर पुलिस ने लोगों को आगाह किया है कि ऐसे किसी एसएमएस या फोन से मांगे गए ओटीपी कभी किसी को न बताएं. इसके अलावा अपने नेट बैंकिंग का पासवर्ड मजबूत रखें और उसे नियमित अंतराल पर बदलते रहें. साइबर कैफे या किसी अन्य व्यक्ति के कंप्यूटर पर नेट बैंकिंग को लॉग-इन करने से बचें. कभी भी ई-मेल या मैसेज आए तो लिंक पर क्लिक कर बैंक के वेबसाइट को न खोलें. हमेशा ब्राउजर के एड्रेस बार में जाकर बैंकिंग डोमेन नाम टाइप करें. अपना एकाउंट बराबर चेक करते रहें और अपने कंप्यूटर में हमेशा ऑरिजनल एंटी वायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करें. ऐसे मामलों में पाया गया है कि खाताधारक का पैसा बैंक के एकाउंट में मौजूद रहता है और रकम तब तक ट्रांसफर नहीं होती, जब तक आप अपना ओटीपी शेयर नहीं करते.

ऐसे की जा रही है ठगी
हाल के दिनों में साइबर ठग खातों को हैक कर उसमें मौजूद रकम की एफडी बनवा रहे हैं. जब पीड़ित के मोबाइल पर शून्य बैलेंस हो जाने का मेसेज पहुंचता है, तब लोगों को उनकी बात पर यकीन हो जाता है. ठग उनसे रकम वापस करने का झांसा देकर मोबाइल पर आने वाला ओटीपी बताने को कहते हैं. ओटीपी बताते ही ठगों का काम पूरा हो जाता है. खाते से निकाली गई रकम ठगों के खाते में ट्रांसफर हो जाती है.

ये भी पढ़ें-साइबर क्राइम का नया जालः WhatsApp कॉलिंग को बनाया ठगी का जरिया, वीडियो कॉल में हनी ट्रैप में फंस रहे लोग

ऐसे हो सकता है बचाव
साइबर अपराधी लोगों का खाता हैक कर उसमें मौजूद रकम की एफडी बनवा लेते हैं. यह एफडी एक दिन के लिए बनती है. लिहाजा उसी दिन या कुछ घंटे बाद उसकी अवधि पूरी हो जाती है. ऐसे में ठग के पास अपना खेल पूरा करने के लिए अधिकतम 12 घंटे होते हैं. वे खाताधारक से ओटीपी पूछते हैं और ओटीपी मिलते ही एफडी से रकम सीधे अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं. ओटीपी न बताने पर रकम ठग के खाते में नहीं पहुंचता है. समय रहते शिकायत की जाए तो इसे वापस खाते में लाया जा सकता है.

रांची: साइबर अपराधी हर दिन नए तरीके से लोगों को अपने जाल में फंसा कर उनके खातों से पैसे उड़ा रहे हैं. शातिर साइबर अपराधी अब लोगों के फिक्स्ड डिपॉजिट खातों को भी हैक कर रहे हैं. इस तरह के मामले लगातार रांची पुलिस के पास आ रहे हैं. इसे देखते हुए रांची पुलिस ने इस मामले को लेकर आम लोगों को समझाने और जागरूक करने के लिए पोस्टर जारी किया है.

जामकारी देते सिटी एसपी

ये भी पढ़ें-देवघर में साइबर अपराधियों पर पुलिस का शिकंजा, दिसंबर 2020 से अब तक 326 गिरफ्तार


क्या है मामला
साइबर अपराधियों ने इन दिनों ठगी का नया तरीका अपनाया है. साइबर अपराधी लोगों के खाते में सेंध लगाने के लिए खाता हैक कर एफडी में कन्वर्ट कर रहे हैं. एफडी करने के बाद वे खाताधारक को फोन करते हैं कि आपके पैसे एफडी में चले हैं अगर आप उसे वापस अपने अकाउंट में पाना चाहते हैं तो OTP साझा करें. ओटीपी मांग कर वे खाते से पैसे उड़ा लेते हैं. इसे लेकर रांची पुलिस ने अलर्ट जारी किया है, जिसमे ठगी के तरीके और बचाव के उपाय बताए गए हैंं. एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा के निर्देश पर सिटी एसपी ने पोस्टर जारी किया है. इस पोस्टर को सभी थानों को प्रचारित करने का भी निर्देश दिया है.

Cyber criminals eyes on fixed deposit accounts
साइबर ठगी के तरीके
किसी को न बताएं ओटीपी
सिटी एसपी सौरव के अनुसार, इस ठगी से बचने का एकमात्र उपाय है कि आप अपना ओटीपी किसी भी हाल में किसी को न बताएं. इसके अलावा इस ठगी से बचने का दूसरा कोई उपाय नहीं है. सिटी एसपी बताते हैं कि जैसै ही साइबर अपराधी फिक्स डिपॉजिट की रकम को अपने अकाउंट में भेजते हैं तो खाताधारक को मैसेज के जरिए ओटीपी आता है. साइबर अपराधी फोन कॉल के जरिए खाताधारक को कहते हैं कि आपके अकाउंट से रुपए निकल कर एफडी में चला गया है, अगर आप उसे वापस लेना चाहते हैं तो भेजे गए ओटीपी को साझा करें. खाताधारक भी देखता है कि उसे खाते में पैसे नहीं हैं और उसे वापस पाने की जल्दबाजी में खाताधारक ओटीपी बता देते हैं कि पूरा पैसा साइबर अपराधी अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लेता है.
Cyber criminals eyes on fixed deposit accounts
साइबर ठगी के तरीके

ये भी पढ़ें-साइबर अपराध का नया केंद्र बना देवघर का यह इलाका, हिट लिस्ट में हैं झारखंड के 4 जिले

इन बातों का रखें ख्याल

साइबर पुलिस ने लोगों को आगाह किया है कि ऐसे किसी एसएमएस या फोन से मांगे गए ओटीपी कभी किसी को न बताएं. इसके अलावा अपने नेट बैंकिंग का पासवर्ड मजबूत रखें और उसे नियमित अंतराल पर बदलते रहें. साइबर कैफे या किसी अन्य व्यक्ति के कंप्यूटर पर नेट बैंकिंग को लॉग-इन करने से बचें. कभी भी ई-मेल या मैसेज आए तो लिंक पर क्लिक कर बैंक के वेबसाइट को न खोलें. हमेशा ब्राउजर के एड्रेस बार में जाकर बैंकिंग डोमेन नाम टाइप करें. अपना एकाउंट बराबर चेक करते रहें और अपने कंप्यूटर में हमेशा ऑरिजनल एंटी वायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करें. ऐसे मामलों में पाया गया है कि खाताधारक का पैसा बैंक के एकाउंट में मौजूद रहता है और रकम तब तक ट्रांसफर नहीं होती, जब तक आप अपना ओटीपी शेयर नहीं करते.

ऐसे की जा रही है ठगी
हाल के दिनों में साइबर ठग खातों को हैक कर उसमें मौजूद रकम की एफडी बनवा रहे हैं. जब पीड़ित के मोबाइल पर शून्य बैलेंस हो जाने का मेसेज पहुंचता है, तब लोगों को उनकी बात पर यकीन हो जाता है. ठग उनसे रकम वापस करने का झांसा देकर मोबाइल पर आने वाला ओटीपी बताने को कहते हैं. ओटीपी बताते ही ठगों का काम पूरा हो जाता है. खाते से निकाली गई रकम ठगों के खाते में ट्रांसफर हो जाती है.

ये भी पढ़ें-साइबर क्राइम का नया जालः WhatsApp कॉलिंग को बनाया ठगी का जरिया, वीडियो कॉल में हनी ट्रैप में फंस रहे लोग

ऐसे हो सकता है बचाव
साइबर अपराधी लोगों का खाता हैक कर उसमें मौजूद रकम की एफडी बनवा लेते हैं. यह एफडी एक दिन के लिए बनती है. लिहाजा उसी दिन या कुछ घंटे बाद उसकी अवधि पूरी हो जाती है. ऐसे में ठग के पास अपना खेल पूरा करने के लिए अधिकतम 12 घंटे होते हैं. वे खाताधारक से ओटीपी पूछते हैं और ओटीपी मिलते ही एफडी से रकम सीधे अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं. ओटीपी न बताने पर रकम ठग के खाते में नहीं पहुंचता है. समय रहते शिकायत की जाए तो इसे वापस खाते में लाया जा सकता है.

Last Updated : Apr 14, 2021, 7:42 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.