रांची: साइबर अपराधी हर दिन नए तरीके से लोगों को अपने जाल में फंसा कर उनके खातों से पैसे उड़ा रहे हैं. शातिर साइबर अपराधी अब लोगों के फिक्स्ड डिपॉजिट खातों को भी हैक कर रहे हैं. इस तरह के मामले लगातार रांची पुलिस के पास आ रहे हैं. इसे देखते हुए रांची पुलिस ने इस मामले को लेकर आम लोगों को समझाने और जागरूक करने के लिए पोस्टर जारी किया है.
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क्या है मामला
साइबर अपराधियों ने इन दिनों ठगी का नया तरीका अपनाया है. साइबर अपराधी लोगों के खाते में सेंध लगाने के लिए खाता हैक कर एफडी में कन्वर्ट कर रहे हैं. एफडी करने के बाद वे खाताधारक को फोन करते हैं कि आपके पैसे एफडी में चले हैं अगर आप उसे वापस अपने अकाउंट में पाना चाहते हैं तो OTP साझा करें. ओटीपी मांग कर वे खाते से पैसे उड़ा लेते हैं. इसे लेकर रांची पुलिस ने अलर्ट जारी किया है, जिसमे ठगी के तरीके और बचाव के उपाय बताए गए हैंं. एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा के निर्देश पर सिटी एसपी ने पोस्टर जारी किया है. इस पोस्टर को सभी थानों को प्रचारित करने का भी निर्देश दिया है.
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इन बातों का रखें ख्याल
साइबर पुलिस ने लोगों को आगाह किया है कि ऐसे किसी एसएमएस या फोन से मांगे गए ओटीपी कभी किसी को न बताएं. इसके अलावा अपने नेट बैंकिंग का पासवर्ड मजबूत रखें और उसे नियमित अंतराल पर बदलते रहें. साइबर कैफे या किसी अन्य व्यक्ति के कंप्यूटर पर नेट बैंकिंग को लॉग-इन करने से बचें. कभी भी ई-मेल या मैसेज आए तो लिंक पर क्लिक कर बैंक के वेबसाइट को न खोलें. हमेशा ब्राउजर के एड्रेस बार में जाकर बैंकिंग डोमेन नाम टाइप करें. अपना एकाउंट बराबर चेक करते रहें और अपने कंप्यूटर में हमेशा ऑरिजनल एंटी वायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करें. ऐसे मामलों में पाया गया है कि खाताधारक का पैसा बैंक के एकाउंट में मौजूद रहता है और रकम तब तक ट्रांसफर नहीं होती, जब तक आप अपना ओटीपी शेयर नहीं करते.
ऐसे की जा रही है ठगी
हाल के दिनों में साइबर ठग खातों को हैक कर उसमें मौजूद रकम की एफडी बनवा रहे हैं. जब पीड़ित के मोबाइल पर शून्य बैलेंस हो जाने का मेसेज पहुंचता है, तब लोगों को उनकी बात पर यकीन हो जाता है. ठग उनसे रकम वापस करने का झांसा देकर मोबाइल पर आने वाला ओटीपी बताने को कहते हैं. ओटीपी बताते ही ठगों का काम पूरा हो जाता है. खाते से निकाली गई रकम ठगों के खाते में ट्रांसफर हो जाती है.
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ऐसे हो सकता है बचाव
साइबर अपराधी लोगों का खाता हैक कर उसमें मौजूद रकम की एफडी बनवा लेते हैं. यह एफडी एक दिन के लिए बनती है. लिहाजा उसी दिन या कुछ घंटे बाद उसकी अवधि पूरी हो जाती है. ऐसे में ठग के पास अपना खेल पूरा करने के लिए अधिकतम 12 घंटे होते हैं. वे खाताधारक से ओटीपी पूछते हैं और ओटीपी मिलते ही एफडी से रकम सीधे अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं. ओटीपी न बताने पर रकम ठग के खाते में नहीं पहुंचता है. समय रहते शिकायत की जाए तो इसे वापस खाते में लाया जा सकता है.