रांची: झारखंड में कोविड वैक्सीन की कमी का फायदा अब साइबर अपराधी उठाने लगे है. तीसरी लहर के आने की आशंका को देखते हुए लोग अब किसी भी हाल में वैक्सीन लेना चाहते हैं और इसी का फायदा अब साइबर अपराधी उठा रहे हैं.
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क्या है पूरा मामला
साइबर अपराधी अब कोविड-19 की वैक्सीन मुहैया कराने के नाम पर लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं. राजधानी रांची सहित कई शहरों से वैक्सीन के नाम पर ठगी के मामले सामने आए हैं. साइबर ठग इंटरएक्टिव वाइस रिस्पांस सिस्टम (IVRS) तकनीक का इस्तेमाल कर किसी बड़ी दवा कंपनी के नाम पर फोन करते हैं साथ ही एसएमएस या ई-मेल के जरिए कोविड-19 वैक्सीन मुहैया कराने का संदेश भी भेजते है. ई-मेल में और मैसेज में एक लिंक साइबर अपराधियों को द्वारा भेजा जाता है एक बार लिंक पर क्लिक करते ही आपके मोबाइल फोन की सारी जानकारी साइबर अपराधियों के पास चली जाती है और उसके बाद आपके खाते से पैसे गायब हो जाते हैं.
वैक्सीन की कमी से साइबर अपराधियों को मौका
शुरुआत में आम लोग वैक्सीन को लेकर जागरूक नहीं थे ,यही वजह थी कि पहले लोगों को खोज खोज कर वैक्सीन देना पड़ता था. लेकिन दूसरी लहर में जिस तरह से लोगों की मौत हुई और तीसरी लहर के और भी खतरनाक होने की आशंका जाहिर की गई है. उसके बाद हर कोई जल्द से जल्द वैक्सीन लेना चाहता है. आलम यह है कि झारखंड जैसे राज्य में 2 से 3 दिन में ही वैक्सीन खत्म होने की समस्या आ रही है जिसके कारण कई बार टीकाकरण अभियान भी प्रभावित हुआ. साइबर अपराधी इसी कमी का फायदा उठाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. दरअसल ये अपराधी वैसे लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं जो टीकाकरण के लिए या तो स्लॉट खोजते हैं या फिर इंटरनेट पर वैक्सीनेशन सेंटर की जानकारी लेने की कोशिश करते हैं.
टीका के नाम पर कैसे करते हैं ठगी
दरअसल साइबर अपराधी सबसे पहले टारगेट को मोबाइल फोन पर या फिर ईमेल (E-MAIL) के जरिए एक लिंक भेजते हैं जो एक खास सॉफ्टवेयर पर आधारित होता है. लिंक पर क्लिक करते ही यह सॉफ्टवेयर मोबाइल फोन में अपलोड हो जाता है. इस सॉफ्टवेयर के जरिए साइबर अपराधी टारगेट के मोबाइल फोन में अन्य सॉफ्टवेयर भी आसानी से डाल देते हैं. ऐसा करते ही फोन का पूरा सिस्टम साइबर अपराधियों के कब्जे में चला जाता है. फोन पर क्या मैसेज आ रहा है ,कौन फोन कर रहा है, फोन से किसको क्या मैसेज भेजा जा रहा है सारी जानकारियां दूर बैठे साइबर अपराधियों को मिलती रहती है. आमतौर पर वर्तमान समय में अधिकांश लोग अपने फोन के अंदर ही बैंक रिलेटेड जानकारियां सेव रखते हैं. इसी का फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं और कोविड-19 के वैक्सीन को लेकर लोगों से ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.
बदल गया ठगी का तरीका
रांची के सिटी एसपी सौरभ के अनुसार पहले साइबर अपराधी एटीएम कार्ड ब्लॉक होने, लोन दिलवाने, मोबाइल फोन का टावर लगाने आदि का झांसा देकर लोगों को फोन किया करते थे. लेकिन अब यह तरीका काफी पुराना हो चुका है. अब साइबर ठग सीधे आपके मोबाइल फोन को हैक कर ले रहे हैं. इसके लिए वे विभिन्न माध्यमों से आप के फोन पर पहले अंजान लिंक भेजते हैं और फिर ठगी को अंजाम देते हैं.
कोविड के नाम पर कैसे होती है ठगी
कोविड के नाम पर कैसे ठगी को अंजाम दिया जा रहा है अब आप इसको भी जान लिजिए. सबसे पहले साइबर अपराधी किसी बड़ी दवा कंपनी के नाम पर लोगों को फोन करते हैं फोन पर ये कहा जाता है कि वैक्सीन के लिए दवा कंपनी रजिस्ट्रेशन करवा रही है. जिसके बाद फोन पर या ईमेल पर एक लिंक भेजा जाता है. लोगों से रजिस्ट्रेशन फी के नाम पर 500 रुपये अपराधी मांगते हैं. लिंक पर क्लिक करने के साथ ही एक ओटीपी नंबर आता है. साइबर अपराधी तब झांसा देते हैं कि अगर आप ओटीपी नंबर उन्हें बताते हैं तब आपका रजिस्ट्रेशन कंप्लीट हो जाएगा. जैसे ही ओटीपी नंबर साइबर अपराधियों के पास पहुंचता है खाते से पैसे भी गायब हो जाता है.
कैसे बचें साइबर अपराधियो के चाल से
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि हर राज्य में कुछ निजी अस्पतालों को छोड़कर हर जगह मुफ्त में वैक्सीन दिया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से हर दिन यह सूचना जारी किया जाता है कि किस शहर में कितना वैक्सीन उपलब्ध है. ऐसे में अगर वैक्सीन खत्म हो गया हो तो घबराए नही.,जब भी कोविड-19 के वैक्सीनेशन का काम शुरू होगा उससे पहले ही विभाग तरफ से तुरंत जानकारी साझा की जाती है. सरकार ने पहले यह घोषणा की है कि भारत में वैक्सीनेशन पूरी तरह से फ्री है. इसे लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी ये घोषणा की है कि सिर्फ निजी अस्पतालों में ही ये सुविधा तय मूल्य पर उपलब्ध है.
साइबर अपराधियों से सावधान रहें
ऐसे में अगर आपको कोई अनजान कॉल या फिर मैसेज और ईमेल के जरिए कोविड-19 के वैक्सीनेशन को लेकर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए लिंक आता है तो उसका स्क्रीनशॉट खींच कर अपने पास रख लें और फिर मैसेज को तुरंत डिलीट कर दें. साइबर अपराधियों की कॉल की जानकारी तुरंत साइबर थाना और डायल 100 पर पुलिस को दें.