रांचीः साइबर अपराधी हर दिन अपनी नई चाल से लोगों की मेहनत की कमाई उड़ा रहे (Cyber Crime in Ranchi) हैं. नतीजा अब अब चेक से भी भुगतान सुरक्षित नहीं रह गया है. साइबर क्रिमिनल्स जैसे एटीएम कार्ड का क्लोन बनाकर खाते से पैसे उड़ा रहे हैं. ठीक वैसे ही जालसाज और साइबर अपराधी मिलकर अब चेक का क्लोन बनाकर खाते से पैसे उड़ा रहे हैं. ताजा मामला बैंक ऑफ इंडिया का है, बैंक से लोन चेक तैयार कर एक 16.80 लाख रुपए की निकासी कर ली (Ranchi withdraw money from cloned cheque) गई.
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क्या है पूरा मामलाः साइबर अपराधियों ने बैंक ऑफ इंडिया का क्लोन चेक बनाकर 16.80 लाख की निकासी कर ली. मामले को लेकर बैंक ऑफ इंडिया के सहायक महाप्रबंधक सुनील कुमार ने रांची के कोतवाली थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई है. इस प्राथमिकी में बैंक अधिकारी ने बताया है कि उनके बैंक के एक ग्राहक ने सूचना दी कि उनके अकाउंट से किसी सचिन बेहरा नाम के व्यक्ति के द्वारा चेक के द्वारा आरटीजीएस के जरिये 16.80 ट्रांसफर कर फिर उसे चेक के माध्यम से निकाल लिया गया है. जिस चेक से पैसे की निकासी की गई है, उसमें उनके हस्ताक्षर एकदम हूबहू हैं लेकिन उन्होंने उस चेक को जारी नहीं किया है. बल्कि जिस चेक का इस्तेमाल कर पैसे निकाले गए हैं, उसका ओरिजिनल चेक उन्हीं के पास है. मामले की जानकारी मिलने पर बैंक के द्वारा उस चेक की जांच की गई तो यह जानकारी मिलेगी किसी व्यक्ति के द्वारा क्लोन चेक बनाकर पैसे की निकासी की गई है. उसके बाद मामला थाना में दर्ज करवाया गया, मामले की तफ्तीश की जिम्मेदारी रांची साइबर थाना को भी दी गई है.
क्लोन चेक बना ठगी का हथियारः हाल के दिनों में झारखंड में सबसे ज्यादा फाइबर अपराधियों की गिरफ्तारी हुई है. लेकिन अगर साइबर फ्रॉड के मामलों की बात करें तो इसमे कोई कमी नहीं आई है. पहले निजी कंपनियों या फिर किसी एक व्यक्ति के चेक का क्लोन बनाकर जालसाज एकाउंट से पैसे गायब किया करते थे. लेकिन अब तो जालसाजों की नजर सरकारी कार्यालय के पैसे पर भी पड़ चुका है. साइबर ठग अब क्लोन चेक के जरिए सरकारी खातों से करोड़ों रुपए उड़ा रहे हैं. झारखंड में एक-एक कर लगातार कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें साइबर अपराधियों के द्वारा करोड़ों रुपए की निकासी अवैध रूप से की गई है.
झारखंड में कौन कौन से बड़े मामले सामने आएः झारखंड में साइबर क्राइम के ऐसे मामले गढ़वा जिला से पहला मामला सामने आया था, जिसमें भू अर्जन विभाग के खाता से साइबर अपराधियों ने 12 करोड़ रुपये उड़ा लिए. यह पैसे जमीन अधिग्रहण के दौरान जिन रैयतों से जमीन ली गई थी उन्हें बतौर मुआवजा देना था. कुछ इसी तरह गुमला में समेकित जनजाति विकास अभिकरण के खाते से साइबर अपराधियों ने 9.05 करोड रुपए की निकासी कर ली थी. बीते साल 4 फरवरी को झारखंड के रामगढ़ जिला से भी सब साइबर अपराधियों ने बीडीओ का नकली हस्ताक्षर कर सरकारी खाते थे, 78 लाख रुपए की निकासी कर ली गई थी.
ऐसे बनाते हैं क्लोन चेकः क्लोनिंग करने वाले बैंक जाकर चेक से कैश निकालने वालों पर नजर रखते हैं. मोबाइल से उनके चेक की फोटो खींचकर बैंक के कॉल सेंटर से उस खाते की जानकारी मांग लेते हैं. चेक की फोटो को कोरल ड्रॉ सॉफ्टवेयर की मदद से क्लोन चेक तैयार करते हैं. क्लोन चेक तैयार होने के बाद खाताधारक के बैंक खाते की स्टेटमेंट व फर्जी हस्ताक्षर पता कर लेते हैं. फिर उसी बैंक की किसी शाखा में नया खाता खुलवाकर और खाताधारक के बैंक खाते से पासबुक, चेकबुक और एटीएम कार्ड तक निकाल लेते हैं.
फोन का नंबर भी बदल देते हैं साइबर अपराधीः आमतौर पर पैसे से निकासी की सूचना ग्राहक द्वारा बैंकों में दिए गए निजी नंबरों पर दिया जाता है. लेकिन साइबर अपराधी बड़ी ही चालाकी के साथ नकली एफिडेविट तैयार कर मोबाइल कंपनी में जाकर अपना नंबर डलवा देते हैं. जिसकी वजह से निकासी से संबंधित सूचनाएं साइबर अपराधियों के मोबाइल पर आता है.