रांचीः झारखंड पुलिस का दावा है कि राज्य में नक्सलवाद अपने अंत के कागार पर है. लेकिन इन सबके बावजूद झारखंड के कोल्हान के बीहड़ों में पुलिस और नक्सलियों के बीच वार जैसी स्थिति बनी हुई है. जंग के हालात इसलिए बनी हुई है क्योंकि नक्सली किसी भी हाल में अपने सबसे मजबूत और आखिरी गढ़ खोना नहीं चाहते हैं. दूसरी तरफ झारखंड पुलिस हर हाल में कोल्हान में भी बूढ़ापहाड़ जैसी सफलता दोहराने के लिए मजबूती से जुटी हुई है. नतीजा यह है कि इस इलाके में पिछले दस महीने से घमासान मचा हुआ है, जिसमें पुलिस को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा है.
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10 महीनों से लगातार जारी है संघर्षः झारखंड के कोल्हान के बीहड़ों में नक्सलियों को पिछले 10 महीनों में भारी नुकसान उठाना पड़ा है. नक्सलियों के दर्जनों कैंपों को नष्ट किया गया है, उनके हथियार और गोला बारूद पर भी पुलिस के द्वारा बड़ा प्रहार किया गया है. लेकिन पिछले 10 महीने से कोल्हान में नक्सलियों का एक बड़ा दस्ता अभी पुलिस से गुरिल्ला लड़ाई लड़ रहा है. इस लड़ाई में न सिर्फ झारखंड पुलिस के जवानों को बल्कि ग्रामीणों को भी अपनी जान गंवा रहे हैं.
60 से ज्यादा नक्सली, अधिकांश हैं इनामीः कोल्हान में नक्सलियों के शीर्ष नेता ने पनाह ले रखी है. बूढ़ापहाड़ के बाद कोल्हान ही एक मात्र जगह है, जिसे नक्सलियों ने अपने मुख्यालय के रूप में स्थापित किया था. मुख्यालय होने के नाते यहां एक करोड़ के इनामी नक्सली नेताओं का भी बसेरा है. जानकारी के अनुसार सारंडा में एक करोड़ के इनामी मिसिर बेसरा, अनमोल दा, टेक विश्वनाथ उर्फ संतोष, मोचु, चमन, कंडे, अजय महतो, सागेन अंगारिया और अश्विन जैसे खतरनाक नक्सली कमांडर मौजूद हैं. इनके पास 60 से ज्यादा लड़ाके हैं जो गुरिल्ला युद्ध में माहिर हैं.
हर दिन जगह बदल रहे नक्सली, बरसात में हो रही समस्याः कोल्हान में मचे घमासान बीच एक सप्ताह में ही तीन जवानों की शहादत के बाद पुलिस मुख्यालय भी सकते में है. झारखंड डीजीपी अजय कुमार सिंह ने बताया कि भारी बरसात की वजह से अभियान मुश्किलों से भरा है. सुरक्षा बलों के अभियान की वजह से नक्सली भी अब लगातार अपनी जगह बदल रहे हैं. नक्सली लगभग हर दिन ही अपना स्थान बदल रहे हैं. पुलिस से बचने के लिए कोल्हान के बीहड़ों में नक्सली छोटे छोटे ग्रुप में बंटकर जंगल मे छुपने की जुगत में लगे हुए हैं. कोल्हान में अभी भी 60 से 70 की संख्या में नक्सली मौजूद हैं.
सतर्कता के साथ अभियान चलाने का निर्देशः एक सप्ताह के भीतर तीन सुरक्षा बलों के शहीद होने की वजह से मुख्यालय की ओर से कई निर्देश दिये गये हैं. जिसमें ये कहा गया है कि कोल्हान में सतर्कता और एहतियात बरतते हुए नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाना है, सटीक सूचना पर ही कार्रवाई करनी है.
टुम्बाहाता में कदम-कदम पर मौत का खतराः कोल्हान के रेंगरा, टोंटो और टुम्बाहाता तीन ऐसे जंगल क्षेत्र हैं, जहां की परिस्थितियां बेहद विषम है. घने जगलों और ऊंचे ऊंचे पहाड़ों में नक्सली छोटे छोटे दस्तों में बट कर पुलिस पर हमला करने की जुगत में लगे हुए है लगभग हर दिन जंगल में फायरिंग की जा रही है. सुरक्षा बलों अपने जाल में फंसाने के लिए नक्सली जोरदार फायरिंग करते हैं ताकि गोलियों की आवाज सुनकर सुरक्षा बल उधर आए और फिर उन्हें निशाना बनाया जा सके. वहीं दूसरी तरफ कदम कदम पर जमीन के नीचे नक्सलियों ने मौत का सामान बिछा रखा है. स्थिति यह है कि बाइक से भी जंगल में अभियान पर निकले जवान बारूदी सुरंग के शिकार हो रहे हैं.
कोबरा के जवान सबसे ज्यादा हुए हैं हताहतः साल 2022 के नवंबर महीने से कोल्हान इलाके में नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच घमासान मचा हुआ है. इस जंग में सबसे ज्यादा नुकसान झारखंड पुलिस के कोबरा बटालियन को उठाना पड़ा है. 14 अगस्त की रात नक्सलियों के द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में कोबरा के सब-इंस्पेक्टर अमित तिवारी और सिपाही गौतम शहीद हो गए जबकि 11 अगस्त को सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल निशांत शहीद हो गए थे.
10 महीने में 20 जवान पहुंचे अस्पतालः नवंबर 2022 से लेकर अब तक 20 सुरक्षा बल कोल्हान में आईईडी बमों के विस्फोट और फायरिंग की वजह से घायल हुए हैं. 209 कोबरा बटालियन के इंस्पेक्टर प्रभाकर साहनी, हवलदार अलख दास, मुकेश कुमार सिंह, अजय लिंडा, भरत सिंह राय, फारुकी शाहरुख खान, वीरपाल सिंह, प्रिंस सिंह, अमरेश सिंह, सौरभ कुमार, संतोष और चिरंजीव पात्रे विस्फोट में घायल हो चुके हैं. सभी को आनन-फानन में एयरलिफ्ट कर रांची लाया गया था अधिकांश जवान चोट से उबर चुके हैं लेकिन कई अभी भी अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं. वहीं सीआरपीएफ के भी कई जवान कोल्हान में घायल हुए हैं उनमें इंशार अली, राकेश कुमार पाठक, पंकज कुमार यादव और संजीव कुमार शामिल हैं.
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लड़ाई में पिस रहे बेबस ग्रामीणः नक्सलियों ने कोल्हान के इलाके में अपने आपको बचाने के लिए ऐसा चक्रव्यूह बनाया है. जिसे भेद पाने में झारखंड पुलिस अब तक कामयाब नहीं हो पाई. नतीजा ये हो रहा कि कोल्हान में लगातार आईईडी बम की चपेट में आने से ग्रामीणों की भी जान जा रही है, उनके पशु भी इस धमाके में मारे जा रहे हैं. ग्रामीणों की मौत का आंकड़ा रुकने के बजाय हर दिन बढ़ता ही जा रहा है.
ग्रामीणों के लिए जंगल में जाना मजबूरी है वहीं नक्सलियों के खात्मे के लिए सुरक्षा बलों के लिए भी जंगलों में उतरना बेहद जरूरी है. ऐसे में ग्रामीणों और सुरक्षा बलों दोनों का ही आईडी से सामना हो रहा है. इसके आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं, पिछले साल नवंबर महीने से लेकर अब तक हमारे 20 जवान नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईडी बमों में विस्फोट की वजह से घायल हुए हैं. लेकिन उससे बुरी स्थिति ग्रामीणों की है, नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी बम विस्फोट की वजह से अब तक 12 ग्रामीण अपनी जान गंवा चुके हैं जबकि कई अपंग हो चुके हैं.
नवंबर 2022 से अब तक 12 ग्रामीण मारे गएः 20 नवंबर 2022 को चाईबासा के टोंटो थाना क्षेत्र में लैंडमाइंस विस्फोट में ग्रामीण चेतन कोड़ा की मौत हो गई. 28 दिसंबर 2022 को गोइलकेरा में हुए लैंडमाइंस विस्फोट में 23 वर्षीय सिंगराय पूर्ति की मौत हो गई. 24 जनवरी 2023 को नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी में विस्फोट होने से कट्ंबा का एक 13 वर्षीय बालक गंभीर रूप से घायल हो गया. 21 फरवरी को चाईबासा के गोइलकेरा थाना क्षेत्र के मेरालगड़ा के पास लैंडमाइंस विस्फोट में 23 वर्षीय ग्रामीण हरीश चंद्र गोप की मौत हो गई.
23 फरवरी 2023 को चाईबासा के टोंटो थाना के रुकबुरु में जंगल मे लकड़ी चुनने गई बुजुर्ग महिला जेमा हांसदा लैंड माइंस विस्फोट में बुरी तरह से जख्मी हुईं. 1 मार्च 2023 को चाईबासा के इचाहातु में लैंडमाइंस विस्फोट में कृष्ण पूर्ति नाम के एक बुजुर्ग की मौत हो गई. 1 मार्च 2023 को ही इचाहातु में ही हुए विस्फोट में 50 वर्षीय महिला नंदी पूर्ति गंभीर रूप से घायल हो गईं. 25 मार्च 2023 को चाईबासा के मुफस्सिल थाना क्षेत्र में हुए लैंडमाइंस विस्फोट में 62 वर्षीय महिला गुरुवारी की मौत हो गई. वहीं इसी विस्फोट में एक बुजुर्ग महिला चांदू गम्भीर रूप से जख्मी हो गईं.
9 अप्रैल 2023 और 14 अप्रैल 2023 को भी जंगलों में आईडी विस्फोट हुआ. ये दोनों धमाके चाईबासा के टोंटो थाना क्षेत्र में हुए. जिसमें एक 6 साल का बालक और एक बुजुर्ग जख्मी हो गए. 14 अप्रैल 2023 को हुए विस्फोट में 35 वर्षीय जेना कोड़ा की भी मौत हो गई. 20 मई 2023 को विस्फोट में टोंटो थाना क्षेत्र में विस्फोट में दस वर्षीय मासूम नारा कोड़ा की मौत हो गई. 25 मई 2023 को विस्फोट में टोंटो थाना क्षेत्र के लुइया जंगल मे विस्फोट में 50 वर्षीय कांडे लांगुरी की मौत हो गई.
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