ETV Bharat / state

27 जनवरी को बिहार झारखंड बंद, प्रशांत बोस की रिहाई की मांग को लेकर माओवादियों ने किया एलान

पिछले वर्ष झारखंड पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किए गए एक करोड़ के इनामी भाकपा माओवादियों के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के प्रमुख प्रशांत बोस और उनकी पत्नी शीला मरांडी की गिरफ्तारी को लेकर माओवादियों ने 27 जनवरी को बिहार झारखंड बंद का आह्वान किया है. गिरफ्तारी के विरोध में 21 से लेकर 26 जनवरी तक माओवादियों ने प्रतिरोध दिवस भी मनाने का निर्णय लिया है.

Bihar Jharkhand Band
Bihar Jharkhand Band
author img

By

Published : Jan 19, 2022, 10:16 PM IST

रांची: भाकपा माओवादियों के स्पेशल एरिया कमेटी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर 27 जनवरी को बिहार झारखंड बंद करने और प्रतिरोध दिवस मनाने का एलान किया है. प्रेस विज्ञप्ति के जरिए माओवादियों ने मांग की है कि उनके वृद्ध नेता ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो कमेटी के सचिव एक करोड़ के इनामी प्रशांत बोस और उनकी पत्नी शीला मरांडी को जल्द बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जाय. साथ ही प्रशांत बोस और शीला मरांडी को राजनीतिक बंदी का दर्जा देकर दोनों को बिना शर्त रिहा किया जाए.

ये भी पढ़ें- माओवादियों को बड़ा झटका, एक करोड़ का इनामी प्रशांत बोस पत्नी और बॉडीगार्ड्स के साथ गिरफ्तार

समुचित इलाज कराए सरकार: माओवादियों ने मांग की है कि प्रशांत बोस और शीला मरांडी कई तरह की बीमारियों से जुझ रहे हैं. बीमारी के बावजूद उन्हें यातना दी जा रही है. राजनीतिक बंदियों को मिलने वाले अधिकार दोनों को देने की मांग माओवादियों ने रखी है.

Bihar Jharkhand Band
नक्सली पोस्टर
20 सालों में सबसे बड़ा झटका, इस रैंक में न कोई पकड़ा गया न मारा गया: 12 नवंबर 2021 को ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के सचिव और एक करोड़ के इनामी प्रशांत बोस उर्फ किशन दा, उनकी पत्नी शीला मरांडी उर्फ शीला दी, बिरेन्द्र हांसदा उर्फ जितेन्द्र, राजू टुडू उर्फ निखिल उर्फ बाजु, कृष्णा बाहदा उर्फ हेवेन और गुरूचरण बोदरा को गिरफ्तार किया था. देशभर में 20 सालों में माओवादियों के लिए प्रशांत बोस व शीला मरांडी की गिरफ्तारी सबसे बड़ी गिरफ्तारी है. प्रशांत बोस के रैंक का कोई माओवादी न पहले देशभर में कहीं पकड़ा गया था न ही मारा ही गया था. साल 2004 के बाद से लगातार ईआरबी के सचिव रहे प्रशांत बोस 80 से अधिक उम्र के होने के बाद भी पुलिस की पकड़ से दूर थे. साल 2016 के बाद से प्रशांत बोस की तबीयत लगातार खराब रहती थी. इसलिए जंगल में प्रशांत बोस के लिए अलग से प्रोटेक्शन दस्ता बनाया गया था. छतीसगढ़ के तेजतर्रार माओवादियों का प्रोटेक्शन दस्ता की सुरक्षा में प्रशांत बोस को सारंडा में रखा जाता था. जिसका प्रभार करमचंद उर्फ लंबू को दिया गया था. तबीयत खराब होने की वजह से जंगल में मूवमेंट के लिए प्रशांत बोस के लिए पालकी बनायी गई थी.
Bihar Jharkhand Band
नक्सली पोस्टर

ये भी पढ़ें- अंतिम सांस तक पारसनाथ में रहना चाहता था एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रशांत, आपसी विवाद में छोड़ना पड़ा पहाड़

पांच दसक से था सक्रिय: भाकपा माओवादियों के पोलित ब्यूरो मेंबर प्रशांत बोस पांच दशकों तक झारखंड, बिहार में माओवादियों का सबसे बड़ा चेहरा रहा. संयुक्त बिहार में महाजनी आंदोलन के दौरान पश्चिम बंगाल से 70 के दशक में प्रशांत बोस गिरिडीह आया था. इसके बाद से एमसीसीआई के प्रमुख बनने से लेकर कई राजनीतिक हत्याओं तक में प्रशांत बोस मास्टरमाइंड की भूमिका में रहा. यही वजह थी कि झारखंड, बिहार, छतीसगढ़, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों की पुलिस को ही नहीं बल्कि केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और एनआईए तक को प्रशांत बोस की तलाश थी.

रांची: भाकपा माओवादियों के स्पेशल एरिया कमेटी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर 27 जनवरी को बिहार झारखंड बंद करने और प्रतिरोध दिवस मनाने का एलान किया है. प्रेस विज्ञप्ति के जरिए माओवादियों ने मांग की है कि उनके वृद्ध नेता ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो कमेटी के सचिव एक करोड़ के इनामी प्रशांत बोस और उनकी पत्नी शीला मरांडी को जल्द बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जाय. साथ ही प्रशांत बोस और शीला मरांडी को राजनीतिक बंदी का दर्जा देकर दोनों को बिना शर्त रिहा किया जाए.

ये भी पढ़ें- माओवादियों को बड़ा झटका, एक करोड़ का इनामी प्रशांत बोस पत्नी और बॉडीगार्ड्स के साथ गिरफ्तार

समुचित इलाज कराए सरकार: माओवादियों ने मांग की है कि प्रशांत बोस और शीला मरांडी कई तरह की बीमारियों से जुझ रहे हैं. बीमारी के बावजूद उन्हें यातना दी जा रही है. राजनीतिक बंदियों को मिलने वाले अधिकार दोनों को देने की मांग माओवादियों ने रखी है.

Bihar Jharkhand Band
नक्सली पोस्टर
20 सालों में सबसे बड़ा झटका, इस रैंक में न कोई पकड़ा गया न मारा गया: 12 नवंबर 2021 को ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के सचिव और एक करोड़ के इनामी प्रशांत बोस उर्फ किशन दा, उनकी पत्नी शीला मरांडी उर्फ शीला दी, बिरेन्द्र हांसदा उर्फ जितेन्द्र, राजू टुडू उर्फ निखिल उर्फ बाजु, कृष्णा बाहदा उर्फ हेवेन और गुरूचरण बोदरा को गिरफ्तार किया था. देशभर में 20 सालों में माओवादियों के लिए प्रशांत बोस व शीला मरांडी की गिरफ्तारी सबसे बड़ी गिरफ्तारी है. प्रशांत बोस के रैंक का कोई माओवादी न पहले देशभर में कहीं पकड़ा गया था न ही मारा ही गया था. साल 2004 के बाद से लगातार ईआरबी के सचिव रहे प्रशांत बोस 80 से अधिक उम्र के होने के बाद भी पुलिस की पकड़ से दूर थे. साल 2016 के बाद से प्रशांत बोस की तबीयत लगातार खराब रहती थी. इसलिए जंगल में प्रशांत बोस के लिए अलग से प्रोटेक्शन दस्ता बनाया गया था. छतीसगढ़ के तेजतर्रार माओवादियों का प्रोटेक्शन दस्ता की सुरक्षा में प्रशांत बोस को सारंडा में रखा जाता था. जिसका प्रभार करमचंद उर्फ लंबू को दिया गया था. तबीयत खराब होने की वजह से जंगल में मूवमेंट के लिए प्रशांत बोस के लिए पालकी बनायी गई थी.
Bihar Jharkhand Band
नक्सली पोस्टर

ये भी पढ़ें- अंतिम सांस तक पारसनाथ में रहना चाहता था एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रशांत, आपसी विवाद में छोड़ना पड़ा पहाड़

पांच दसक से था सक्रिय: भाकपा माओवादियों के पोलित ब्यूरो मेंबर प्रशांत बोस पांच दशकों तक झारखंड, बिहार में माओवादियों का सबसे बड़ा चेहरा रहा. संयुक्त बिहार में महाजनी आंदोलन के दौरान पश्चिम बंगाल से 70 के दशक में प्रशांत बोस गिरिडीह आया था. इसके बाद से एमसीसीआई के प्रमुख बनने से लेकर कई राजनीतिक हत्याओं तक में प्रशांत बोस मास्टरमाइंड की भूमिका में रहा. यही वजह थी कि झारखंड, बिहार, छतीसगढ़, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों की पुलिस को ही नहीं बल्कि केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और एनआईए तक को प्रशांत बोस की तलाश थी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.