रांचीः झारखंड सरकार की ओर से नई उत्पाद नीति लाई जा रही है, जो छत्तीसगढ़ मॉडल पर आधारित है. इस नई उत्पाद नीति के जरिए राज्य सरकार राजस्व बढ़ाने की कोशिश करेगी. इसको लेकर उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग की ओर से छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के पदाधिकारी को परामर्शी नियुक्त किया गया, जो विभाग को अपनी सुझाव दे चुका है. इस सुझाव के आलोक में उत्पाद एवं मद्य विभाग ने मदिरा की बिक्री और भंडारण नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया है.
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हालांकि, नई उत्पाद नीति में अभी कई पेंच फंसा हुआ है. यही वजह है कि पिछले कैबिनेट में इस प्रस्ताव पर मुहर नहीं लग सका. वहीं विभागीय मंत्री जगरनाथ महतो भी इस मुद्दे पर खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं. वहीं, राज्य में नई उत्पाद नीति के आने की आहट से ही शराब व्यवसायी नाराज हैं. शराब व्यवसायियों का कहना है कि नई नीति लागू होने के बाद शराब महंगी हो जाएगी, जिससे सरकारी राजस्व की क्षति होगी.
झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ के सचिव सुबोध कुमार जायसवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री और उत्पाद मंत्री शराब व्यवसायियों के साथ अछूत की तरह व्यवहार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शराब व्यवसायियों के साथ बैठक कर विचार विमर्श कर निर्णय लेना चाहिए. लेकिन सरकार ने छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड को परामर्शी नियुक्त किया, जिसपर एक करोड़ खर्च किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार की राजस्व बढ़ाने की मंशा है तो यहां के व्यवसायियों से क्यों नहीं बात करती.
झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ की ओर से झारखंड सरकार को लिखित सुझाव दिया गया है. संघ ने सुझाव में कहा है कि लागू उत्पाद नीति में कोई संशोधन नहीं किया जाए. इसके बदले वर्ष 2022-23 के लिए 2300 करोड़ लक्ष्य निर्धारित किया जाए और उसके आधार पर विभिन्न प्रकार की लाइसेंस के नविनीकरण शुल्क में उचित बढ़ोतरी करते हुए न्यूनतम उत्पाद राजस्व निर्धारित किया जाए. इसके साथ ही वर्ष 2022-23 के लिए दुकानों की बंदोबस्ती निजी व्यक्तियों, फर्माें, कंपनियों के साथ की जाए. इससे सरकार को 2300 करोड़ रुपये राज्स्व की प्राप्ति हो सकती है. झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ का मानना है कि 2020-21 में 1811 करोड़ रुपये उत्पाद राजस्व की प्राप्ति हुई थी, जिसमें वैट या वाणिज्य कर राशि शामिल नहीं है.