रांची: प्याज की महंगाई से एक तरफ देश के आम उपभोक्ता परेशान हैं तो दूसरी तरफ झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं. दिल्ली के नेताओं का झारखंड दौरा जारी है. इस बार के विधानसभा चुनाव में प्याज की बढ़ती कीमत को आम लोगों ने चुनावी मुद्दा बनाया है या नहीं? इसको जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने सब्जी बाजार का रुख किया और हकीकत जानने की कोशिश की.
पूरे देश में प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं. रांची में भी एक किलो प्याज की कीमत अब 100 रुपये तक पहुंच गई है. प्याज की बढ़ती कीमत अपने ही कई रिकार्ड को इस बार तोड़ते नजर आ रही है. ऐसे में विधानसभा चुनाव को लेकर यह एक चुनावी मुद्दा भी बनते नजर आ रहा है. जिस तरह से पूरे देश में प्याज की कीमतों में उछाल आई है, लोगों के थाली से प्याज गायब हो गए हैं. ईटीवी भारत के पड़ताल के दौरान प्याज की दुकानों पर ग्राहकों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिली.
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रांचीवासियों ने याद दिलाते हुए कहा कि प्याज की बढ़ती कीमत के कारण राजनीतिक पार्टियां पहले भी अंजाम भुगत चुकी है. साल 1998 में केंद्र की सरकार को सत्ता गंवानी पड़ी थी. ऐसे में कहीं इस बार भी प्रदेश से वर्तमान सरकार को सत्ता चली ना जाए, क्योंकि इस बार भी जिस तरह से प्याज की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, प्याज चुनावी मुद्दा बनते जा रहा है. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि सरकार ने ही अच्छे दिन का भरोसा दिया था. अब अच्छे दिन की तालाश बहुत लंबी होते जा रही है. प्याज की बढ़ती कीमतों से सबसे ज्यादा परेशान घरेलू महिलाएं ही है. ऐसे में विधानसभा चुनाव के दौरान प्याज की महंगाई का फायदा कौन सा दल उठा ले जाएगा और किसको इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा. यह आने वाला वक्त ही बताएगा.