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आसमान छूती प्याज की कीमत, विधानसभा चुनाव में बना चुनावी मुद्दा!

पूरे देश में प्‍याज की कीमतें आसमान छू रही हैं. रांची में भी एक किलो प्‍याज की कीमत अब 100 रुपये तक पहुंच गई है. प्याज की महंगाई से एक तरफ देश के आम उपभोक्ता परेशान हैं तो दूसरी तरफ झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं. इसी मुद्दों के साथ ईटीवी भारत की टीम ने सब्जी बाजार का रुख किया और आम लोगों की प्रतिक्रियाएं जानने की कोशिश की है.

Consumers upset due to rising price of onion in ranchi
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Published : Dec 3, 2019, 11:03 AM IST

रांची: प्याज की महंगाई से एक तरफ देश के आम उपभोक्ता परेशान हैं तो दूसरी तरफ झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं. दिल्ली के नेताओं का झारखंड दौरा जारी है. इस बार के विधानसभा चुनाव में प्याज की बढ़ती कीमत को आम लोगों ने चुनावी मुद्दा बनाया है या नहीं? इसको जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने सब्जी बाजार का रुख किया और हकीकत जानने की कोशिश की.

देखें जनता की राय

पूरे देश में प्‍याज की कीमतें आसमान छू रही हैं. रांची में भी एक किलो प्‍याज की कीमत अब 100 रुपये तक पहुंच गई है. प्याज की बढ़ती कीमत अपने ही कई रिकार्ड को इस बार तोड़ते नजर आ रही है. ऐसे में विधानसभा चुनाव को लेकर यह एक चुनावी मुद्दा भी बनते नजर आ रहा है. जिस तरह से पूरे देश में प्याज की कीमतों में उछाल आई है, लोगों के थाली से प्याज गायब हो गए हैं. ईटीवी भारत के पड़ताल के दौरान प्याज की दुकानों पर ग्राहकों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिली.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में राहुल गांधी ने खेला कर्ज माफी कार्ड, कहा- महागठबंधन की सरकार बनी तो किसानों का कर्जा होगा माफ

रांचीवासियों ने याद दिलाते हुए कहा कि प्याज की बढ़ती कीमत के कारण राजनीतिक पार्टियां पहले भी अंजाम भुगत चुकी है. साल 1998 में केंद्र की सरकार को सत्ता गंवानी पड़ी थी. ऐसे में कहीं इस बार भी प्रदेश से वर्तमान सरकार को सत्ता चली ना जाए, क्योंकि इस बार भी जिस तरह से प्याज की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, प्याज चुनावी मुद्दा बनते जा रहा है. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि सरकार ने ही अच्छे दिन का भरोसा दिया था. अब अच्छे दिन की तालाश बहुत लंबी होते जा रही है. प्याज की बढ़ती कीमतों से सबसे ज्यादा परेशान घरेलू महिलाएं ही है. ऐसे में विधानसभा चुनाव के दौरान प्याज की महंगाई का फायदा कौन सा दल उठा ले जाएगा और किसको इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा. यह आने वाला वक्त ही बताएगा.

रांची: प्याज की महंगाई से एक तरफ देश के आम उपभोक्ता परेशान हैं तो दूसरी तरफ झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं. दिल्ली के नेताओं का झारखंड दौरा जारी है. इस बार के विधानसभा चुनाव में प्याज की बढ़ती कीमत को आम लोगों ने चुनावी मुद्दा बनाया है या नहीं? इसको जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने सब्जी बाजार का रुख किया और हकीकत जानने की कोशिश की.

देखें जनता की राय

पूरे देश में प्‍याज की कीमतें आसमान छू रही हैं. रांची में भी एक किलो प्‍याज की कीमत अब 100 रुपये तक पहुंच गई है. प्याज की बढ़ती कीमत अपने ही कई रिकार्ड को इस बार तोड़ते नजर आ रही है. ऐसे में विधानसभा चुनाव को लेकर यह एक चुनावी मुद्दा भी बनते नजर आ रहा है. जिस तरह से पूरे देश में प्याज की कीमतों में उछाल आई है, लोगों के थाली से प्याज गायब हो गए हैं. ईटीवी भारत के पड़ताल के दौरान प्याज की दुकानों पर ग्राहकों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिली.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में राहुल गांधी ने खेला कर्ज माफी कार्ड, कहा- महागठबंधन की सरकार बनी तो किसानों का कर्जा होगा माफ

रांचीवासियों ने याद दिलाते हुए कहा कि प्याज की बढ़ती कीमत के कारण राजनीतिक पार्टियां पहले भी अंजाम भुगत चुकी है. साल 1998 में केंद्र की सरकार को सत्ता गंवानी पड़ी थी. ऐसे में कहीं इस बार भी प्रदेश से वर्तमान सरकार को सत्ता चली ना जाए, क्योंकि इस बार भी जिस तरह से प्याज की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, प्याज चुनावी मुद्दा बनते जा रहा है. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि सरकार ने ही अच्छे दिन का भरोसा दिया था. अब अच्छे दिन की तालाश बहुत लंबी होते जा रही है. प्याज की बढ़ती कीमतों से सबसे ज्यादा परेशान घरेलू महिलाएं ही है. ऐसे में विधानसभा चुनाव के दौरान प्याज की महंगाई का फायदा कौन सा दल उठा ले जाएगा और किसको इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा. यह आने वाला वक्त ही बताएगा.

Intro:रांची

वक थ्रू....विजय कुमार गोप

एक तरफ झारखंड में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है तो वहीं दूसरी तरफ प्याज की तपिश लोगों को सता रही है। जिस तरह से पूरे देश में प्याज की कीमतों उछाल आई है। लोगों के थाली से प्याज गायब हो गया है। झारखंड में इन दोनों विधानसभा चुनाव का दौर चल रहा है ऐसे में आम लोग प्याज की कीमत को चुनावी मुद्दा बना रहे हैं इसी की पड़ताल के लेकर ईटीवी भारत की टीम ने प्याज के खुदरा दुकानदारों के पास पहुंचे और ग्राहकों से जानने की कोशिश की कि इस बार विधानसभा चुनाव में क्या प्याज भी चुनावी मुद्दा बनेगा।


Body:प्याज की दुकानों पर ग्राहकों का अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिला लोगों ने कहा कि एक बार इसी तरह प्याज की बढ़ती कीमत में सत्ता पलट पर रख दिया था कहीं इस बार भी झारखंड में ऐसा ना हो जाए क्योंकि इस बार भी जिस तरह से प्याज की कीमत लगातार बढ़ रही है प्याज चुनावी मुद्दा जरूर होगा। कुछ लोगों का कहना है कि सरकार ही अच्छे दिन की वादे किए थे अब जाने कब अच्छे दिन आएंगे प्याज की बढ़ती कीमतों से सबसे ज्यादा महिला परेशान है क्योंकि आजकल के दिनों में किसी भी वैरायटी को बनाने के लिए प्याज की जरूरत होती है ऐसे में महिलाओं का कहना है कि प्याज के जगह पर लहसुन या कुछ और चीज का चौका से ही काम चला रहे हैं जिस तरह से प्याज कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है


Conclusion:
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