रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने झारखंड संक्रामक रोग अध्यादेश 2020 को लेकर भाजपा नेताओं द्वारा रविवार को सोशल मीडिया पर चलाए गए अभियान को नौटंकी करार दिया है. प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि अध्यादेश पर जनता के बीच बात रखने के पहले भाजपा नेताओं को कम से कम दो तीन पेज के इस अध्यादेश की कॉपी को एक बार पढ़ लेना था. पढ़ने के बाद अगर वे कुछ टिप्पणी करते तो बात भी समझ में आती, लेकिन बेमतलब का भ्रम और संक्रमण फैलाने की अपनी आदत से ये बाज नहीं आ रहे हैं. उन्होंने कहा है कि जनता यह अच्छी तरह से समझती है कि उनके द्वारा चुनी गई सरकार कोई भी ऐसा फैसला नहीं लेगी, जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ें.
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वहीं, प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए राज्य सरकार के पास अब तक अपना कोई कानून नहीं था और केंद्र सरकार के गाइडलाइन से ही काम चलाना पड़ रहा था. लेकिन अब राज्य सरकार की ओर से अपना कानून बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया गया है. वहीं, प्रदेश प्रवक्ता राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा भ्रम फैलाने की पुरानी आदत के कारण झारखंड संक्रामक रोग अध्यादेश 2020 को लेकर लोगों के बीच कुछ भ्रांतियां उत्पन्न हुई. इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता द्वारा पूर्व में ही सारी वस्तुस्थिति को स्पष्ट किया जा चुका है. उन्होंने कहा है कि राज्य में संक्रामक रोगों के प्रचार और संक्रमण रोकने के लिए कोई कानून की व्यवस्था नहीं थी, इसलिए इस अध्यादेश को लाना पड़ा है. ओड़िसा और केरल ने भी अपने राज्यों के लिए अध्यादेश लाया है.
क्या है झारखंड संक्रामत रोग अध्यादेश 2020
बता दें कि राज्य सरकार द्वारा संक्रामक रोगों के प्रसार एवं संक्रमण को रोकने के लिए 'झारखंड संक्रामक रोग अध्यादेश 2020' को कैबिनेट से मंजूरी मिली है. इसमें दंड को लेकर भ्रांतियां हैं. इस पर स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि अध्यादेश का रेगुलेशन बन रहा है. उसी में ही तय होगा कि किस प्रावधान के उल्लंघन पर कितना जुर्माना लगेगा. अध्यादेश में वर्णित एक लाख रुपये का दंड अधिकतम प्रस्तावित जुर्माना है. रेगुलेशन के गठन की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है तथा इसमें जो दंड का प्रावधान किया जायेगा, वह व्यावहारिक और अपराध की गंभीरता के समतुल्य होगा.
विभाग द्वारा कहा गया है कि वर्तमान में झारखंड राज्य में ऐसा कोई कानून नहीं है, जिससे राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराया जा सके. कोविड-19 संक्रमण की स्थिति में कई ऐसे निर्देश और अनावश्यक भीड़ जमा नहीं होना, सामाजिक दूरी को बनाए रखना, नियमित रूप से मास्क पहनना आदि का अनुपालन आवश्यक है. बता दें कि विपक्ष समेत कई राजनीतिक दलों ने मास्क में दंड के प्रावधान को लेकर आपत्ति जतायी है. विभाग द्वारा लिखा गया है कि समाचार पत्रों में विभिन्न स्तरों से इस अध्यादेश के संबंध में दिए गए बयानों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अध्यादेश के प्रावधानों को लेकर लोगों के मन में भ्रांतियां हैं.