रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में झारखंड स्टेट बार काउंसिल द्वारा कोर्ट फी अमेंडमेंट (court fee amendment case) एक्ट को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बनाई गई 3 सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट सौंपी गई. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण और एमिकस क्यूरी वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह ने कोर्ट को बताया कि यह रिपोर्ट समिति की अनुशंसा है, जब तक इस पर राज्य सरकार का कोई निर्णय नहीं होता है, तब तक इसका कोई महत्व नहीं है.
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कोर्ट को बताया गया कि नये कोर्ट फी कानून में 2 अनुसूची है. इसमें समिति ने केवल अनुसूचित एक (निचली अदालतों में दिए जाने वाले कोर्ट फी) के बारे में ही अनुशंसा की है. लेकिन अनुसूचित दो, जो हाई कोर्ट की फी से संबंधित है. इसपर कमेटी ने कोई अनुशंसा नहीं की है.
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने राज्य सरकार के निर्णय को कोर्ट के सामने प्रस्तुत करने के लिए समय की मांग की. कोर्ट ने मामले की सुनवाई 1 दिसंबर को निर्धारित की है. पहले हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि नये कानून के हिसाब से अगर कोर्ट फी वसूल किया जाता है तो वह केस के अंतिम निर्णय से प्रभावित होगा. प्रार्थी की ओर से कानून बनाने की प्रक्रिया में कई त्रुटियों की जानकारी कोर्ट को दी गई थी. यह भी कहा गया था कि कोर्ट फी में बेतहाशा वृद्धि सरकार द्वारा इस कानून के माध्यम से की है. कोर्ट फी वृद्धि से पहले आवश्यक पहलू की जांच पड़ताल नहीं की गई.
पिछली सुनवाई में सरकार की ओर से बताया गया था कि कोर्ट फी को लेकर बनी 3 सदस्यीय कमेटी की कई बैठकें हुई है. कमेटी की अंतिम बैठक 3 नवंबर को तय हुई है, उस दिन निर्णय हो जाने की संभावना है. पूर्व में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को यह बताया गया था कि कोर्ट फी बढ़ोतरी मामले में सुधार के लिए 3 सदस्यीय समिति बनाई है. इस कमेटी के अध्यक्ष राजस्व पर्षद सदस्य होंगे, जबकि वित्त एवं विधि विभाग के प्रधान सचिव इसके सदस्य के रूप में हैं.