रांचीः दो दिवसीय सीएसआर कॉन्क्लेव में कोल इंडिया द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अपने बजट प्रावधान के अनुरूप कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी यानी सीएसआर के जरिए भारी भरकम राशि खर्च किए जाने की बात कही गई. इस मौके पर सीसीएल के सीएमडी पीएम प्रसाद ने कहा कि पिछले सात-आठ वर्षों से कोल इंडिया अपने लक्ष्य से अधिक सीएसआर के तहत राशि खर्च कर रहा है.
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पिछले वित्तीय वर्ष में 500 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की गई है. उन्होंने कहा कि इस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य है कि सुनियोजित रूप से सीएसआर के तहत कार्य किया जाए. जिसमें देश के विभिन्न प्रांतों के आईआईटीयन, एक्सपर्ट लोग अपने विचार रख रहे हैं. समय के साथ आवश्यकता इस बात की हो रही है कि सीएसआर में बदलाव भी किए जाए, जिससे अधिक से अधिक लाभ मिल सके.
उन्होंने कहा कि कोल इंडिया के द्वारा पर्याप्त मात्रा में कोयला उत्पादन हो रहा है जिससे किसी भी तरह की कमी नहीं है. पिछले वर्ष कोल इंडिया ने 703 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया था. इस बार 780 मिलियन टन कोयला उत्पादन करना है. अप्रैल में अभी तक करीब 10-12% ग्रोथ कोल इंडिया कर रहा है, जबकि सीसीएल 4% ग्रोथ में है, मगर डिस्पैच में 10% ग्रोथ है. पावर प्लांट को कोयला पर्याप्त मिल रहा है मगर अभी गर्मी की वजह से कंजम्पशन अधिक है फिर भी कोयला की कमी नहीं है, कोयला पर्याप्त मात्रा मिल रहा है.
झारखंड में सीएसआर के तहत हो रहा है बेहतरीन कार्यः कोल इंडिया के निदेशक विनय रंजन ने कहा कि 2014 में कोल इंडिया की सीएसआर पॉलिसी बनी थी. जिसके तहत सीएसआर का कार्य होता है. इसमें 80% पैसा बजट का जो हमारे कोलियरीज कमांड एरिया है उसके 25 किलोमीटर के इर्द-गिर्द 80% खर्च करना है और शेष 20% राशि उस राज्य के अन्य क्षेत्रों में खर्च करने हैं. कंपनी एक्ट के अनुरूप बजट से ज्यादा खर्च कोल इंडिया कर रही है. करीब 500 करोड़ से अधिक का खर्च हर साल कोल इंडिया की ओर से होता है.
झारखंड में सीसीएल के लाल लाडली बहुत ही अच्छा प्रोजेक्ट चल रहा है, यह सीएसआर के तहत चलाया जा रहा है. इसके तहत हमारे कमांड एरिया के अच्छे-अच्छे बच्चे बड़े-बड़े इंजिनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेकर पढ़ाई कर रहे हैं. स्पोर्ट्स प्रमोशन के लिए सीसीएल काम करता है, वहां भी सीएसआर के जरिए बेहतरीन कार्य हो रहा है. कॉन्क्लेव में आने वाले सुझाव को कोल इंडिया में विचार किया जाएगा और लगेगा कि पॉलिसी में बदलाव किए जाए तो उस पर भी विचार किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि सीसीएल के द्वारा रांची में 5000 सीटर सेंट्रल लाइब्रेरी सीएसआर के तहत बनाने की तैयारी है, जिस पर लागत 65 करोड़ की आएगी. इसका एमओयू हो चुका है. वहीं गोड्डा में 300 बेड का एक हॉस्पिटल करीब 300 करोड़ की लागत से बनाया जाएगा. इसके लिए भी एमओयू हो चुका है. झारखंड में कई हॉस्पिटल, सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाने की योजना सीसीएल की है, जिस पर काम किया जा रहा है. कॉन्क्लेव के पहले दिन कई सत्रों में दिनभर विशेषज्ञों का व्याख्यान होता रहा. विशेषज्ञ भास्कर चटर्जी ने सीएसआर और सरकार की पॉलिसी पर विस्तार से चर्चा करते हुए इसे और प्रभावी बनाने की अपील की. सीसीएल दरभंगा हाउस परिसर में दो दिवसीय इस कॉन्क्लेव के दौरान प्रदर्शनी भी लगाई गई है. जिसमें कोल इंडिया के माध्यम से सीएसआर के तहत मिल रही सुविधाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है.