रांचीः हेमंत सरकार लंबे समय से लटकी नियमित और बैकलॉग नियुक्ति प्रक्रिया को अमली जामा पहनाने जा रही है. अभ्यर्थियों के इंतजार की घड़ी खत्म होने वाली है. आज यानि 22 जून की तारीख उनके जीवन में खुशियां लेकर आ रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज 2550 युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपेंगे. इनमें पंचायती राज विभाग के तहत पंचायत सचिव पद के 1633, राजस्व-निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के निम्न वर्गीय लिपिक पद के लिए 707, वित्त विभाग के निम्न वर्गीय लिपिक पद के लिए 166 और खाद्य आपूर्ति विभाग के तहत 44 युवाओं को निम्न वर्गीय लिपिक पद के लिए नियुक्ति पत्र दिया जाएगा.
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राज्य में एक तरफ 60-40 वाली नियोजन नीति को लेकर झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन के लगातार चल रहे विरोध के बीच सरकार ने नियुक्ति प्रक्रिया को जारी रखने का साहसिक फैसला लिया है. इसके लिए आज रांची के मोरहाबादी मैदान में नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.
इस खबर को ईटीवी भारत ने 15 जून को ही प्रकाशित किया था. आज होने वाले कार्यक्रम के मुताबिक मुख्यमंत्री सचिवालय ने वित्त विभाग, पंचायती राज, राजस्व-भूमि सुधार तथा राजभाषा विभाग, खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग और वाणिज्य कर विभाग के सचिवों को पत्र जारी कर अभ्यर्थियों की संख्या और तैयारियों के संबंध में 16 जून तक विस्तृत प्रतिवेदन मुख्यमंत्री सचिवालय को मुहैया कराने को कहा था. नियुक्ति पत्र वितरण के संचालन के लिए पंचायती राज विभाग को नोडल विभाग के रूप में नामित किया गया है. इस बाबत तैयारी पूरी कर ली गई है.
लंबे समय से पेंडिंग पड़ा था मामलाः दरअसल, इंटरमीडिएट स्तर पर संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के लिए नियमित नियुक्ति को लेकर 01/2017 और बैकलॉग नियुक्ति के लिए विज्ञापन संख्या 02/2017 निकाली गई थी. राज्य स्तरीय मेधा सूची के आधार पर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने पंचायत सचिव के अलावा अलग-अलग विभागों में निम्नवर्गीय लिपिक के लिए नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की थी. लेकिन कई वजहों से मामला पेंडिंग होता चला गया. बाद में जनवरी 2023 को जेएसएससी ने 3,088 पदों के लिए हुई परीक्षा के आधार पर 1,542 पंचायत सचिव और 647 निम्नवर्गीय लिपिक पद के लिए अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी किया. इस दौरान 879 पद रिक्त रह गये थे. इसके बावजूद चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र के लिए संघर्ष करना पड़ा.
कैसे खुला भाग्य का दरवाजाः मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था. छह माह पूर्व सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह की कोर्ट ने राज्य सरकार को राज्यस्तरीय मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया था. इसके लिए जनवरी-फरवरी 2018 में लिखित परीक्षा हुई थी. इसको तत्कालीन रघुवर सरकार की 2016 की नियोजन नीति के आधार पर लिया गया था. 13 अनुसूचित जिलों के सभी पद स्थानीयों के लिए आरक्षित थे. शेष 11 जिलों में कोई भी आवेदन कर सकता था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्यस्तरीय मेरिट के आधार पर मेधा सूची जारी करना होगा.
लाठियां खानी पड़ी थी पंचायत सेवकों कोः पांच साल के इंतजार के बाद जनवरी 2023 में जब पंचायत सेवकों और निम्नवर्गीय लिपिक का फाइनल रिजल्ट जारी हुआ तो उन्हें भरोसा हुआ कि अब सरकारी नौकरी लेने से कोई नहीं रोक पाएगा. हालाकि इसके लिए पंचायत सेवकों को लंबा संघर्ष करना पड़ा. तीन साल पहले रिजल्ट जारी नहीं होने से नाराज पंचायत सेवक सीएम आवास घेरने पहुंचे थे. इस दौरान पुलिस ने उनपर जमकर लाठियां भी बरसाई थी. सबसे खास बात है कि पंचायत सचिवों का पद रिक्त होने की वजह से पंचायत सचिवालय के कामकाज प्रभावित हो रहे थे. ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा था. इसकी वजह से पंचायत स्तर के विकास कार्य प्रभावित हो रहे थे क्योंकि विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए मुखिया और अन्य जनप्रतिनिधि के अलावा पंचायत सचिव का होना जरूरी होता है.
आपको यह जानना जरूरी है कि साल 2016 की नियोजन नीति की वजह से उपजे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मई माह में सीएम हेमंत सोरेन ने माध्यमिक स्तर के करीब 3,469 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटा था. इससे पहले जुलाई 2022 में प्राइवेट कंपनियों में 75 प्रतिशत स्थानीयों को नौकरी देने से संबंधित कानून के आधार पर 11,406 युवक और युवतियों को नियुक्ति पत्र दिया गया था. अब सरकार ने 60-40 वाले विरोध के बावजूद युवाओं को नौकरी देने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा दिया है. इस कार्यक्रम का लाभार्थी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे.