रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कमर्शियल माइनिंग मामले को लेकर मीडिया से बातचीच की. इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को सबका हित ध्यान में रखकर ही कोई निर्णय लेना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कमर्शियल माइनिंग पर नवंबर तक रोक लगाने की उनकी गुजारिश को लेकर केंद्र ने क्या फैसला किया है, इसकी आधिकारिक जानकारी उन्हें नहीं है. उन्होंने कहा कि कोयला मजदूर व्यवसायिक खनन के विरोध में हैं और हड़ताल पर जा रहे हैं. उनको भी लोकतंत्र में अपनी बात रखने का अधिकार है और उनकी बातों को भी सरकार को संज्ञान में लेना चाहिए. सीएम ने कहा कि झारखंड प्रदेश की जो वर्तमान स्थिति है, उसमें बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र में लोग जुड़े हुए हैं. उनकी आवाज भी सरकार के कानों तक जाएगी.
सभी तकनीकों का कर रहे हैं उपयोग
सोशल मीडिया पर ट्रेंड होने पर सीएम ने कहा कि वो अपना काम करने में विश्वास रखते हैं. उन्होंने कहा कि वह उन सभी संसाधनों का सदुपयोग करने का प्रयास करते हैं, जो उपलब्ध है. उन्होंने आगे कहा कि मौजूद व्यवस्था टेक्नोलॉजी का एक प्लेटफार्म है.
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पीएम के मन की बात पर किया कटाक्ष
सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश के संबोधन में अनाज वितरण की बात कही है. कभी-कभी व्यवहारिक रूप से सही व्यक्ति को अनाज नहीं मिल पाता. राज्य सरकार ने कहा कि इस राज्य में जिनके राशन कार्ड नहीं बने हैं, उन्हें भी राशन दिया गया है, साथ ही पका हुआ खाना भी खिलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में केवल अनाज वितरण ही समाधान नहीं है. इसके अलावा और भी विकल्प पर सरकार को सोचना पड़ेगा. हालांकि पीएम की घोषणा राज्य के लिए एक राहत की घोषणा जरूर है, लेकिन यह देखना होगा कि राज्य में कितने लोगों को लाभान्वित करता है. सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने पूरे संबोधन में हूल दिवस की एक बार भी चर्चा तक नहीं किए, जबकि इतिहास के पन्नों में इस घटना का जिक्र है. यह एक खेद का विषय है.