रांचीः सीएम हेमंत सोरेन से झारखंड चैंबर्स के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की है. मुलाकात के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने बिना नक्शे के निर्मित भवनों को नियमित करने का आग्रह किया है. मुख्यमंत्री ने आश्वासन देते हुए कहा कि बिल्डिंग रेगुलाइजेशन स्कीम (Building Regularization Scheme in Jharkhand) लाने की तैयारी की जा रही है, जिसपर काम किया जा रहा है.
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झारखंड में अब तक बने सभी अवैध भवनों खासकर आवासीय और वाणिज्यिक दोनों को वैध करने के लिए राज्य सरकार द्वारा बिल्डिंग रेगुलराइजेशन स्कीम लाने की दिशा में सरकार विचार कर रही है. फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के आग्रह पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सहमति दी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि नियमावली लाकर सभी भवनों को वैध किया जायेगा. गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से राज्यसभा सांसद और फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की पॉलिटिकल को-ऑर्डिनेशन कमिटी की चेयरपर्सन डॉ महुआ माजी के नेतृत्व में एफआईसीसीआई के पदाधिकारियों ने मुलाकात कर यह आग्रह किया.
चैंबर अध्यक्ष के आग्रह पर मुख्यमंत्री ने आश्वास दिया है कि किसी भी भवन को तोड़ा नहीं जायेगा. मुख्यमंत्री ने यह भी आश्वासन दिया है कि शीघ्र ही नीति का ड्राफ्ट सार्वजनिक कर लोगों से आपत्ति/सुझाव लिये जायेंगे. इसके बाद एक माह बाद लोगों से मिले सुझाव को समाहित करते हुए नीति लागू करेंगे. मुलाकात के दौरान चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि नई नीति सर्वसाधारण के अनुकूल हो. इसको लेकर नई नीति में राज्य में अब तक निर्मित सभी भवनों आवासीय/वाणिज्यिक के लिए अनुकूल हो. उन्होंने कहा कि निर्धारित शुल्क न्यूनतम हो, नक्शा पास करने के लिए भूमि के वही कागजात मांगे जायें, जो वर्ष 2016 के पहले के बाई लॉज में मांगे जाते थे. मुलाकात के दौरान चैंबर अध्यक्ष ने होल्डिंग टैक्स में की गई अप्रत्याशित वृद्धि से हो रही कठिनाईयों पर भी चर्चा किया और कहा कि इसपर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है.
मुख्यमंत्री को राज्यसभा सांसद ने बताया कि कई इमारतों में बनी हुई दुकान भवन मालिकों की आजीविका का मुख्य स्त्रोत है. यहां संचालित दुकानों से दुकान में कार्यरत कर्मचारी, श्रमिक और महिलाओं की आजीविका जुड़ी हुई हैं और सरकार को राजस्व की भी प्राप्ति होती है. नियमावली बनने से राज्य के लाखों भवन मालिकों को राहत मिलेगा.