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नीट और जेईई परीक्षा करवाने के खिलाफ सीएम हेमंत, पूछा- क्या टेंट और राशन लेकर आएंगे छात्र

रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पत्रकारों से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि नीट और जेईई मेंस की परीक्षा को बाद में आयोजित करने के लिए और समय लिया जा सकता था, यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है. सीएम ने कहा कि मौजूदा दौर में झारखंड में ही 5 सेंटर बनाए गए हैं, ऐसे में सिमडेगा और साहिबगंज जिले से भी बच्चे आएंगे, राज्य में आवागमन की सुविधा फिलहाल नहीं है, ऐसे में अपनी व्यवस्था करनी होगी और ठहरने की भी व्यवस्था खुद करनी होगी.

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सीएम ने मीडिया से की बातचीत
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Published : Aug 28, 2020, 10:29 PM IST

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को कहा कि नीट और जेईई मेंस की परीक्षा को बाद में आयोजित करने के लिए और समय लिया जा सकता था, यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है. स्टेट सेक्रेटेरिएट प्रोजेक्ट बिल्डिंग के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए सीएम ने कहा कि यह कोई 1 साल का कोर्स नहीं है, बल्कि चार पांच साल का कोर्स है, इसे आगे चलकर बढ़िया तरीके से प्रबंध कर पढ़ाई कराई जा सकती है.


लोग राशन और टेंट लेकर तो नहीं जाएंगे
सीएम हेमंत ने कहा कि मौजूदा दौर में झारखंड में ही 5 सेंटर बनाए गए हैं, ऐसे में सिमडेगा और साहिबगंज जिले से भी बच्चे आएंगे, राज्य में आवागमन की सुविधा फिलहाल नहीं है, ऐसे में अपनी व्यवस्था करनी होगी और ठहरने की भी व्यवस्था खुद करनी होगी, उनके साथ अभिभावक होंगे ऐसे में उनके ठहरने और खाने की व्यवस्था लेकर चलनी होगी. उन्होंने कहा ऐसा थोड़ी न होता है कि साथ में लोग राशन और टेंट लेकर के चले, इसलिए यह चिंता का विषय होगा. मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि अभी परीक्षा टाली जाए इसको लेकर उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को भी पत्र लिखा है.

इसे भी पढे़ं:- यूजीसी गाइडलाइंस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, बिना परीक्षा प्रमोट नहीं होंगे छात्र

सुरक्षित माहौल में हो परीक्षा
मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि संक्रमण से निजात दिलाने के लिए वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही चीजें सफल होंगी, ऐसे में बच्चे सुरक्षित तरीके से परीक्षा दे पाएंगे, लेकिन अब केंद्र सरकार क्या निर्णय लेती है यह देखना होगा. उन्होंने कहा कि वह एंट्रेंस एग्जाम के विरोध में नहीं है, लेकिन यह फिलहाल टाला जा सकता है, धीरे-धीरे लॉकडाउन से राज्य अनलॉक की तरफ बढ़ रही है और गतिविधियां बढ़ रही है, हर राज्य अपने बेहतर हालात को ध्यान में रखते हुए कदम उठा रहा है, ऐसी स्थिति में अगर अचानक सारी चीजें खोलने की स्थिति पैदा हो जाएगी तो आवागमन बढ़ जाएगा, जैसे प्रवासी मजदूरों के अचानक आने से बड़े पैमाने पर संक्रमण देश में फैला था, ऐसी स्थिति में परीक्षा में शामिल होने वाले बच्चों के बीच संक्रमण फैलने का डर है. उन्होंने कहा कि संक्रमण के समय इस परीक्षा की समस्या से निकलने का रास्ता खोजा जा सकता था.

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को कहा कि नीट और जेईई मेंस की परीक्षा को बाद में आयोजित करने के लिए और समय लिया जा सकता था, यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है. स्टेट सेक्रेटेरिएट प्रोजेक्ट बिल्डिंग के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए सीएम ने कहा कि यह कोई 1 साल का कोर्स नहीं है, बल्कि चार पांच साल का कोर्स है, इसे आगे चलकर बढ़िया तरीके से प्रबंध कर पढ़ाई कराई जा सकती है.


लोग राशन और टेंट लेकर तो नहीं जाएंगे
सीएम हेमंत ने कहा कि मौजूदा दौर में झारखंड में ही 5 सेंटर बनाए गए हैं, ऐसे में सिमडेगा और साहिबगंज जिले से भी बच्चे आएंगे, राज्य में आवागमन की सुविधा फिलहाल नहीं है, ऐसे में अपनी व्यवस्था करनी होगी और ठहरने की भी व्यवस्था खुद करनी होगी, उनके साथ अभिभावक होंगे ऐसे में उनके ठहरने और खाने की व्यवस्था लेकर चलनी होगी. उन्होंने कहा ऐसा थोड़ी न होता है कि साथ में लोग राशन और टेंट लेकर के चले, इसलिए यह चिंता का विषय होगा. मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि अभी परीक्षा टाली जाए इसको लेकर उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को भी पत्र लिखा है.

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सुरक्षित माहौल में हो परीक्षा
मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि संक्रमण से निजात दिलाने के लिए वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही चीजें सफल होंगी, ऐसे में बच्चे सुरक्षित तरीके से परीक्षा दे पाएंगे, लेकिन अब केंद्र सरकार क्या निर्णय लेती है यह देखना होगा. उन्होंने कहा कि वह एंट्रेंस एग्जाम के विरोध में नहीं है, लेकिन यह फिलहाल टाला जा सकता है, धीरे-धीरे लॉकडाउन से राज्य अनलॉक की तरफ बढ़ रही है और गतिविधियां बढ़ रही है, हर राज्य अपने बेहतर हालात को ध्यान में रखते हुए कदम उठा रहा है, ऐसी स्थिति में अगर अचानक सारी चीजें खोलने की स्थिति पैदा हो जाएगी तो आवागमन बढ़ जाएगा, जैसे प्रवासी मजदूरों के अचानक आने से बड़े पैमाने पर संक्रमण देश में फैला था, ऐसी स्थिति में परीक्षा में शामिल होने वाले बच्चों के बीच संक्रमण फैलने का डर है. उन्होंने कहा कि संक्रमण के समय इस परीक्षा की समस्या से निकलने का रास्ता खोजा जा सकता था.

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