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सीएम हेमंत का रेल मंत्री को पत्र, बिना चालान के खनिज की ढुलाई करा रहे हैं रेलवे अफसर, कमेटी करेगी जांच

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Published : Dec 14, 2022, 8:20 PM IST

Updated : Dec 14, 2022, 9:51 PM IST

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखा है (Hemant Soren letter to Ashwini Vaishnav), जिसमें रेलवे के जरिए खनिज संपदा के अवैध परिवहन को लेकर नाराजगी जाहिर की है.

Hemant Soren letter to Ashwini Vaishnav
Hemant Soren letter to Ashwini Vaishnav

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर (Hemant Soren letter to Ashwini Vaishnav) इस बात पर अपनी नाराजगी जताई है कि कई पत्राचार के बाद भी रेलवे के जरिए खनिज संपदा के परिवहन के मामले प्रकाश में आ रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि रेलवे ने लौह अयस्क को छोड़कर किसी भी खनिज के लिए अपने सॉफ्टवेयर को झारखंड इंटिग्रेटेड माइंस एंड मिनरल मैनेजमेंट सिस्टम यानी JIMMS पोर्टल से इंटिग्रेट नहीं किया है. इस बात को नीति आयोग, पूर्वी क्षेत्रीय परिषद और कोयला मंत्रालय की बैठकों में उठाया जा चुका है. सीएम ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा है कि उन्होंने कोयला मंत्री के साथ बैठक के दौरान खुद व्यक्तिगत रूप से इस बात को लेकर अनुरोध किया था.

ये भी पढ़ें- काम नहीं करने वालों को मुख्यमंत्री ने कार्रवाई की दी कड़ी चेतावनी, लोहरदगा में अधिकारियों के साथ की मैराथन बैठक

रेलवे के अफसर रहा रहे हैं अवैध ढुलाई: सीएम ने अपने पत्र में ईडी का जिक्र करते हुए कहा है कि एजेंसी के मुताबिक पिछले दो साल में साहिबगंज के नौ लोडिंग प्वाइंट से 3,531 से भी अधिक रेलवे रैक से बिना चालान के पत्थर की ढुलाई हुई है. अवैध परिवहन के रोकथान के लिए The Jharkhand Minerals (Prevention of illigal Mining, Transportation and Storage) Rules, 2017 के अधिसूचित होने के बाद इसका अनुपालन रेलमार्ग से हो रहे खनिज परिवहन के लिए भी किया जाना है. इसको लेकर खान विभाग के सचिव की ओर से कई पत्राचार किए जा चुके हैं. फिर भी सूचना मिल रही है कि रेलवे के माध्यम से बिना वैध चालान के खनिज की ढुलाई हो रही है. यह सब बिना रेलवे पदाधिकारियों की संलिप्तता के संभव नहीं है. इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने अवैध खनन और रेलवे पदाधिकारियों की संलिप्तता की जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच समिति के गठन के फैसला लिया है. उन्होंने रेल मंत्री से उम्मीद जतायी है कि जांच समिति को सहयोग करने के लिए उनकी तरफ से रेलवे के पदाधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा.

रेलवे कर रहा है मनमानी: मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि झारखंड कई दशकों से अवैध खनन के दंश को झेल रहा है. उनके नेतृत्व में बनी सरकार ने ऑनलाइन माध्यम से खनिज प्रबंधन के लिए JIMMS प्रणाली लागू किया है. इसके जरिए ऑनलाइन परमिट, ई-चालान और सभी वैधानिक भुगतान किये जाते हैं. इसका असर भी हुआ है. राज्य सरकार के राजस्व में इजाफा हो रहा है. राज्य सरकार ने खनन कार्य को रेग्युलेट करने और अवैध खनन की रोकथान के लिए JIMMS प्रणाली का इंटिग्रेशन सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के VAHAN पोर्टल और पथ निर्माण विभाग के टोल टैक्स और यूजर फी के लिए सृजित पोर्टल से कर दिया है. इसकी वजह से सड़क मार्ग से खनिज परिवहन की उचित निगरानी की जा रही है. लेकिन रेलवे की ओर से इसपर काम नहीं हो रहा है.

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर (Hemant Soren letter to Ashwini Vaishnav) इस बात पर अपनी नाराजगी जताई है कि कई पत्राचार के बाद भी रेलवे के जरिए खनिज संपदा के परिवहन के मामले प्रकाश में आ रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि रेलवे ने लौह अयस्क को छोड़कर किसी भी खनिज के लिए अपने सॉफ्टवेयर को झारखंड इंटिग्रेटेड माइंस एंड मिनरल मैनेजमेंट सिस्टम यानी JIMMS पोर्टल से इंटिग्रेट नहीं किया है. इस बात को नीति आयोग, पूर्वी क्षेत्रीय परिषद और कोयला मंत्रालय की बैठकों में उठाया जा चुका है. सीएम ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा है कि उन्होंने कोयला मंत्री के साथ बैठक के दौरान खुद व्यक्तिगत रूप से इस बात को लेकर अनुरोध किया था.

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रेलवे के अफसर रहा रहे हैं अवैध ढुलाई: सीएम ने अपने पत्र में ईडी का जिक्र करते हुए कहा है कि एजेंसी के मुताबिक पिछले दो साल में साहिबगंज के नौ लोडिंग प्वाइंट से 3,531 से भी अधिक रेलवे रैक से बिना चालान के पत्थर की ढुलाई हुई है. अवैध परिवहन के रोकथान के लिए The Jharkhand Minerals (Prevention of illigal Mining, Transportation and Storage) Rules, 2017 के अधिसूचित होने के बाद इसका अनुपालन रेलमार्ग से हो रहे खनिज परिवहन के लिए भी किया जाना है. इसको लेकर खान विभाग के सचिव की ओर से कई पत्राचार किए जा चुके हैं. फिर भी सूचना मिल रही है कि रेलवे के माध्यम से बिना वैध चालान के खनिज की ढुलाई हो रही है. यह सब बिना रेलवे पदाधिकारियों की संलिप्तता के संभव नहीं है. इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने अवैध खनन और रेलवे पदाधिकारियों की संलिप्तता की जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच समिति के गठन के फैसला लिया है. उन्होंने रेल मंत्री से उम्मीद जतायी है कि जांच समिति को सहयोग करने के लिए उनकी तरफ से रेलवे के पदाधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा.

रेलवे कर रहा है मनमानी: मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि झारखंड कई दशकों से अवैध खनन के दंश को झेल रहा है. उनके नेतृत्व में बनी सरकार ने ऑनलाइन माध्यम से खनिज प्रबंधन के लिए JIMMS प्रणाली लागू किया है. इसके जरिए ऑनलाइन परमिट, ई-चालान और सभी वैधानिक भुगतान किये जाते हैं. इसका असर भी हुआ है. राज्य सरकार के राजस्व में इजाफा हो रहा है. राज्य सरकार ने खनन कार्य को रेग्युलेट करने और अवैध खनन की रोकथान के लिए JIMMS प्रणाली का इंटिग्रेशन सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के VAHAN पोर्टल और पथ निर्माण विभाग के टोल टैक्स और यूजर फी के लिए सृजित पोर्टल से कर दिया है. इसकी वजह से सड़क मार्ग से खनिज परिवहन की उचित निगरानी की जा रही है. लेकिन रेलवे की ओर से इसपर काम नहीं हो रहा है.

Last Updated : Dec 14, 2022, 9:51 PM IST
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