रांची: राज्य में खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पहली बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को सम्मानित किया है और उन्हें सम्मान राशि दी है. खेलगांव स्थित हरिवंश टाना भगत इंडोर स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 19 खेलों के 222 खिलाड़ियों के बीच 4,46,20,000 रुपये और 52 खेल प्रशिक्षकों के बीच 48,30,000 रुपये की पसम्मान राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की है.
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पुरस्कार स्वरूप सम्मान राशि पाने वालों में सबसे अधिक फुटबॉल के 55, हॉकी के 39, वुशू के 24, तीरंदाजी के 23, ताइक्वांडो के 17, कुश्ती के 13, लॉन बॉल के 11 और एथलीट के 11 सहित कुल 222 खिलाड़ियों को सम्मान राशि दी गई. ये वो खिलाड़ी हैं जिन्होंने राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और ओलंपिक संघ से मान्यता प्राप्त खेलों में पदक जीते हैं. उन्हें झारखंड खेल नीति 2022 के तहत सम्मान राशि दी गयी है.
'खिलाड़ियों के भविष्य की गारंटी सरकार की': इस मौके पर संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि ऐसे आयोजन से खेल गांव के माध्यम से दुनिया भर में यह संदेश जायेगा कि झारखंड में हुनर की कोई कमी नहीं है. सरकार इन्हें तराशने का काम करेगी. मुख्यमंत्री ने खिलाड़ियों से कहा कि आप खेलते रहिये, सरकार आपके भविष्य की चिंता करेगी. खिलाड़ियों का भविष्य सुरक्षित करने की गारंटी सरकार की है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि तमाम कमियों के बावजूद हमारे खिलाड़ियों ने जो कौशल दिखाया है, वह वाकई सराहनीय है. सरकार पंचायत स्तर पर खेल को बढ़ावा देने के लिए हर साल 25 हजार रुपये देने का काम कर रही है. सरकार ने खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि न्यूनतम 50,000 रुपये और अधिकतम 5 करोड़ रुपये करने का प्रावधान किया है.
मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि अगर पहले ही ध्यान दिया गया होता तो आज खिलाड़ियों की हालत ऐसी नहीं होती. बिहार में रेल हादसे पर दुख व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि मैं हताहतों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं और आशा करता हूं कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी.
खिलाड़ियों को होगा फायदा: खिलाड़ियों ने भी सरकार की इस पहल की सराहना की है. निक्की प्रधान का कहना है कि इससे आर्थिक तंगी से जूझ रहे खिलाड़ियों को काफी फायदा होगा. वहीं सलीमा टेटे का कहना है कि इससे प्रेरणा मिलती है. सरकार ने पहली बार इस तरह का आयोजन कर न सिर्फ खिलाड़ियों बल्कि कोचों को भी प्रोत्साहित करने का काम किया है.
झारखंड को खेल का हब माना जाता है. यही कारण है कि कम संसाधनों के बावजूद भी यहां के खिलाड़ी देश-दुनिया में अपनी काबिलियत का लोहा मनवाने में पीछे नहीं रहते. ऐसे में सरकार की नई खेल नीति ने निश्चित रूप से उन्हें वित्तीय स्थिरता प्रदान कर उनका मनोबल बढ़ाया है.