रांची: झारखंड में 20 साल बाद अब अलग राज्य निर्माण में शामिल आंदोलन करने वाले आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती देने का फैसला मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया गया है. सीधी भर्ती लिए रिटायर्ड भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन भी किया जाएगा. आयोग प्राप्त आवेदनों के आधार पर दस्तावेजों की जांच कर आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को चिन्हित करेगा.
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राज्य सरकार के ओर से तैयार किए गए नियमानुसार अलग झारखंड राज्य की मांग करने वाले शहीद आंदोलनकारियों के आश्रितों का अब सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती की जाएगी. पुलिस की गोली से घायल 40% तक दिव्यांग हुए आंदोलनकारियों के आश्रितों को भी इसका लाभ दिया जाएगा. सरकार शहीद परिवार के एक सदस्य को 7000 तक का मासिक पेंशन देगी. इसके अतिरिक्त पुलिस की गोली से 40% तक दिव्यांग हुए शहीद के आश्रितों को भी पेंशन दिया जाएगा. आंदोलन के दौरान कुछ आंदोलनकारियों को कई महीने तक जेल में रातें गुजारनी पड़ी थी, ऐसे आंदोलनकारियों या उनके परिवार के किसी एक सदस्य को भी इस योजना के तहत पेंशन का लाभ दिया जाएगा.
पात्रता के आधार पर वर्गवार सीटें भी आरक्षित
झारखंड सरकार ने यह फैसला लिया है कि लाभुकों को सरकारी नौकरियों में 5 प्रतिशत तक का क्षैतिज आरक्षण भी दिया जाएगा. इसके तहत सरकार विभिन्न सरकारी नौकरियों में लाभुकों के लिए पात्रता के आधार पर वर्गवार सीटें भी आरक्षित की करेगी.
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आंदोलनारियों को भूला नहीं जा सकता: सीएम
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि 'जिस सपने के साथ झारखंड आंदोलन में लोगों ने सक्रिय भागिदारी निभाई थी, आज आखिर कोई राज्य उसे कैसे नजर अंदाज कर सकता है, अपने आंदोलनकारियों के त्याग और बलिदान से अस्तित्व में आया कोई राज्य कैसे उन्हें 20 वर्षों तक भूल कर आगे बढ़ सकता है, आज, इस माध्यम से मुझे बाबा के सहयोगियों और उनके साथियों को सम्मानित करने का मौका मिला है, यह मेरे लिए गौरव की बात है, यह सम्मान आंदोलनकारियों को नहीं, बल्कि झारखंड राज्य का सम्मान है, हम हैं क्योंकि उन्होंने हमारे कल के लिए अपने आज को हमेशा-हमेशा के लिए कुर्बान कर दिया.