रांची: गोस्सनर कॉलेज (Gossner College) अपने स्थापना के 50 वर्ष के स्वर्णिम काल को पूरे हर्षोल्लास के साथ मना रहा है. दो दिवसीय गोल्डन जुबली समारोह (Golden Jubilee) आज यानी 17 नवंबर को शुरू हुआ. इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे सीएम हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) का कॉलेज के छात्रों और कर्मियों ने जोरदार स्वागत किया. कार्यक्रम में कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप, विक्सल कोंगाड़ी के अलावे कई लोग मौजूद थे. कॉलेज कैंपस में आयोजित कार्यक्रम में ऑनलाइन सोवेनियर का विमोचन किया गया.
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यहां आकर हम अपने छात्र जीवन को याद कर बैठे- मुख्यमंत्री
गोल्डन जुबली समारोह को संबोधित करते हुए सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि यहां आकर हम अपने छात्र जीवन को याद कर बैठे हैं. बीआईटी में पढने के वक्त अक्सर यहां आने की इच्छा होती थी. आज मुख्य अतिथि के रुप में आपने मुझे बुलाया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद. मिशन समाज का योगदान हमेशा समाज के लिए रहा है खासकर आदिवासी समाज के लिए तो अभूतपूर्व रहा है. बीच-बीच में मिशन स्कूलों में बाधाएं आती रही मगर अब समय बदल गया है और धीरे-धीरे सभी बाधाएं दूर भी होती जा रही है. गोस्सनर कॉलेज में 27 विभाग कार्यरत हैं, जहां 9,000 छात्र छात्राएं पढ़ रही हैं. खासकर गरीब आदिवासी बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जो गौरव की बात है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के लॉकडाउन के समय आप लोगों की सामाजिक भूमिका बहुत ही अच्छी रही. अब धीरे-धीरे परिस्थिति सामान्य होती जा रही है. ऑनलाइन क्लास आनेवाली पीढी के लिए चुनौती है. खासकर गरीब बच्चों के लिए. इन सबके बीच जिंदगी भी जीना है और जीवन भी चलाना है. मुख्यमंत्री ने वक्त की कमी के लिए दुख जताते हुए कहा कि मेरी इच्छा है कि गोल्डेन जुबली समारोह में और भी वक्त गुजारु, मगर कार्य व्यस्ततता के कारण ऐसा नहीं कर पा रहा हूं.
इस मौके पर गोस्सनर कॉलेज गवर्निंग बॉडी के चेयरपर्सन जॉन डांग ने संबोधित करते हुए कहा कि यह शिक्षा का मंदिर है जहां बच्चे प्राकृतिक वातावरण में कुशलता पूर्वक पढाई करते हैं. उन्होंने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यक कॉलेज के रुप में मान्यता प्राप्त इस संस्थान में छात्राओं के लिए हॉस्टल की सुविधा तो है मगर छात्रों के लिए नहीं है.
जानिए गोस्सनर कॉलेज को
गोस्सनर कॉलेज का स्थापना 1 नवंबर 1971 में हुआ था. इस कॉलेज के प्रथम प्राचार्य निर्मल मिंज थे. प्रारंभ में इस कॉलेज में इंटर आर्ट्स और कॉमर्स की पढाई 30-30 छात्रों के साथ शुरू हुई जो आज 27 विभागों के साथ करीब 9,000 छात्र छात्राएं पढाई करती हैं. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ छात्रों को क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई कराने वाला यह पहला कॉलेज है जहां कुडुख भाषा की पढाई 1974 में शुरू किया गया था.