रांचीः द गुमला- सिमडेगा को-ऑपरेटिव बैंक (अब सहकारी बैंक लिमिटेड गुमला) में 4.42 करोड़ के गबन मामले की जांच अब सीआईडी करेगी. सीआईडी एडीजी अनिल पालटा के मुताबिक बिशुनपुर थाने में दर्ज केस का अनुसंधान अब सीआईडी ने टेकओवर कर लिया है. बैंक गबन कांड की जांच के लिए सीआईडी ने अनुसंधान टीम का गठन भी कर दिया है.
30 अक्टूबर 2017 को दर्ज हुई थी एफआईआर
30 अक्तूबर 2017 को बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक मनोज गुप्ता समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ लेखा प्रबंधक राजेश कुमार तिवारी ने एफआईआर दर्ज कराई थी. सीआईडी अधिकारियों के मुताबिक बैंक के अभिलेखों में छेड़छाड़, गाइडलाइंस के नियमों का उल्लंघन करते हुए सुनियोजित साजिश के तहत करोड़ों का गबन कर लिया गया था.
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कई लोगों की भूमिका संदेहास्पद
बिशुनपुर थाना में पुलिस ने जांच के दौरान अबतक कुल 4 करोड़ 42 लाख 67 हजार 269 रुपया 92 पैसा का गबन अनुसंधान में पाया है. प्राथमिक अभियुक्त मनोज कुमार गुप्ता के अलावे जांच के क्रम में पुलिस ने शिवधर सिंह, लेखाकार मेसर्स अंजलि एंड एसोसिएट्स, मेसर्स आर बंसल एंड एसोसिएट्स, तत्कालीन प्रबंध निदेशक, प्रबंधक लेखा, सहायक रोकड़पाल अखिलेश नाथ मल्लिक को जांच के बाद पुलिस ने प्राथमिक अभियुक्त बनाया था.
कैसे किया गया था गबन
सहकारी बैंक में हुए घोटाले की जांच में यह बात सामने आई थी कि कैशबुक और खाता में हेराफेरी कर राशि की गबन किया गया था. शुरुआत में बैंक में करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच के बाद वरीय अंकेक्षण पदाधिकारी सह जांच दल के अध्यक्ष महेश प्रसाद ने 10 अगस्त 2017 को जांच रिपोर्ट को-ऑपरेटिव सोसाइटी झारखंड को सौंपी थी. इसके बाद को-ऑपरेटिव सोसाइटी (झारखंड) के तत्कालीन रजिस्ट्रार विजय कुमार सिंह ने गुमला के डीएसओ को पत्र लिखकर तत्कालीन मैनेजर मनोज गुप्ता के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के लिए कहा था. मामले को दबाने के लिए रजिस्टर और कैशबुक के पन्ने भी गायब कर दिए गए थे.
कब का है मामला
जांच में वर्ष 2009, 2010, 2011, 2012, 2013 व 2014 में बिशुनपुर बैंक शाखा में गबन का मामला सामने आया था। जांच के बाद आरोपियों को निलंबित कर दिया गया था.